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सोमवार, अगस्त 26, 2024

विशेषांक : कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती पर तुलनात्मक आलेख

कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती पर विशेष लेख - श्री हुलेश्वर जोशी

कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती पर तुलनात्मक अध्ययन- श्री हुलेश्वर जोशी


एतद्द्वारा मैं हुलेश्वर जोशी (लेखक) समस्त ब्रम्हांड के जीवजंतुओं को कृष्ण जन्माष्टमी और गुरु बालकदास जयंती की शुभकामनाएं देता हूँ; चूंकि आज भगवान कृष्ण और गुरु बालकदास का जन्मोत्सव है इसलिए उनके संबंध में कुछ सामान्यतः रोचक तथ्य बताना चाहता हूं :-

  • भगवान श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास का जन्म हिंदी कैलेंडर के अनुसार एक ही मास- भाद्रपद, पक्ष - अंधियारी (कृष्ण), दिवस - अष्टमी को हुआ था। इसलिए भगवान कृष्ण के जन्म को कृष्ण जन्माष्ठमी के रूप में मनाया जाता है तो गुरु बालकदास के जन्म को उनके जयंती के रुप में मनाया जाता है।
  • श्रीकृष्ण माता देवकी और वासुदेव के आठवें संतान हैं, इनके लालन पालन माता यशोदा और नंद बाबा करते हैं। गुरु बालकदास माता सफुरा और गुरु घासीदास के द्वितीय संतान हैं।
  • भगवान श्रीकृष्ण जी द्वापर में यादव कुल में जन्म लेकर राजा के संतान न होने के बावजूद राजा बने और सनातन धर्म को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया वहीं गुरु बालकदास भी किसी राजा के संतान न होकर गुरु घासीदास के पुत्र के रूप में जन्म लेकर राजा की उपाधि हासिल किए और सतनाम धर्म के स्थापना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
  • श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास अपने क्षमता के बल पर राजा तो बनते हैं मगर राज्य नहीं कर पाते हैं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहते हैं।
  • श्रीकृष्ण की एक प्रेमिका राधा और 8 पत्नियां रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थी, जबकि गुरु बालकदास की दो पत्नी नीरा और राधा थी।
  • श्रीकृष्ण के 80 पुत्र होने के प्रमाण मिलते हैं जिसमें रूखमणी के संतान प्रद्युम्न (ज्येष्ठ पुत्र) और केवल एक बेटी चतुमति हैं; जबकि गुरु बालकदास के केवल एक ही पुत्र साहेबदास हुए, साहेबदास की माता राधामाता हैं जबकि दो बेटियां गंगा और गलारा नीरामाता के गर्भ से जन्म लेती हैं।
  • श्रीकृष्ण का हत्या गांधारी के श्राप के कारण एक शिकारी के तीर से होता है तो वहीं गुरु बालकदास की हत्या उनके जातिवादी सामंतों द्वारा एम्बुश लगाकर किया जाता है।
  • जब श्रीकृष्ण जी द्वापर में जन्म लिए तब ऊँचनीच की भावना से समाज बिखरा पड़ा था, उन्होंने स्वयं वर्णव्यवस्था के खिलाफ रहकर प्राकृतिक न्याय के आधार पर काम करते हुए सनातन धर्म के लोगों को दुष्टों और पापियों से मुक्त किया तो वहीं गुरु बालकदास ने समाज में व्याप्त सैकड़ों बुराइयों के खिलाफ काम करते हुए अविभाजित मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) में सैकड़ो जातियों और अनेकों धर्म के लोगों को अमानवीय अत्याचार के खिलाफ संगठित कर सतनामी और सतनाम धर्म के अनुयायी बनाये तथा बिना किसी भेदभाव के मानवता की पुर्नस्थापना के लिए सबको समान अधिकार देने तथा महिलाओं के साथ होने वाले अमानवीय अत्याचार जिसमें मुख्यतः डोला उठाने की अमानवीय कृत्य पर रोक लगाया और सतनाम धर्म में अखाड़ा प्रथा का शुरुआत किया।
  • श्रीकृष्ण जी ने स्वयं तथा पांडवों के साथ मिलकर भारतवर्ष को दुराचारियों से मुक्त करने के लिए लड़ाई लड़ा और सनातन धर्म को सुरक्षित किया तो वहीं गुरु बालकदास ने स्वयं तथा सतनामी लठैतों के साथ मिलकर समाज में व्याप्त हिंसक लोगों के खिलाफ आम लोगों के मानव अधिकार और स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ा और भारतवर्ष विशेषकर मध्यप्रदेश के लोगों को समान सामाजिक जीवन प्रदान किया।
  • श्रीकृष्ण अपने पूर्व के ज्ञानी महात्माओं, देवी देवताओं के दर्शन की समीक्षा करके नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतिपादन किया तो वहीं गुरु बालकदास देश में व्याप्त बुराइयों की संभावनाओं के खिलाफ सशक्त समाज के लिए वैचारिक क्रांति का दर्शन प्रस्तुत किया।
  • श्रीकृष्ण ने प्रेम, आध्यात्म और दर्शन के माध्यम से अथवा सुदर्शन चक्र के प्रयोग के माध्यम से न्याय को स्थापित करने का काम किया तो गुरु बालकदास ने गुरु घासीदास बाबा के "मनखे मनखे एक समान" के सिद्धान्त को स्थापित करने के लिए रावटी, शांति सद्भावना सभा और शक्ति के माध्यम से दुराचारियों को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के आधार पर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। अर्थात दोनो ही पहले शांति का संदेश लेकर आते हैं और दुष्टों को भी एकमत होने का अनुरोध करते हैं और जब दुष्ट शांति संदेश को मानने से इनकार करके न्याय स्थापित करने में अवरोध पैदा करते हैं तो दुष्ट के नरसंहार के लिए शक्ति का प्रयोग करते हैं ताकि हर मनुष्य को समान जीवन और सम्मान का अधिकार मिल सके।
  • श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास दोनों ही जबतक अत्यंत आवश्यक न हो अर्थात थोड़ा भी शांति और सुलह की संभावना हो तब तक हिंसा के मार्ग का विरोध करते हैं।
  • श्रीकृष्ण और गुरु बालकदास दोनों ही शाकाहार की बात करते हैं और गाय को माता मानते हैं।
  • श्रीकृष्ण आत्मा को अजरअमर और शोकमुक्त बताते हैं तथा उनका मानना था कि पुनर्जन्म और मोक्ष और मोक्ष उपरांत पुनः मनवांछित जन्म मिलता है वे इसके लिए भगवान ब्रम्हा को उत्तरदायी समझते हैं तो वहीं गुरु बालकदास जीवन काल में ऐसे कर्म करने का सलाह देते हैं जिससे सतलोक (पृथ्वी) में जीवन के दौरान ही आपका परलोक अर्थात अमरलोक (मृत्य उपरांत नाम की अमरता) निर्धारित हो सके।
  • श्रीकृष्ण पांच तत्वों की उपलब्धता को साबित करते हुए सृष्टि के संचालन के लिए इन पांचों तत्व को जिम्मेदार बताते हैं तो ठीक कृष्ण के समानांतर ही गुरु बालकदास भी पांच तत्व (सतनाम) को ही सृष्टि की रचना और संचालन के कर्ताधर्ता मानते हैं।
  • श्रीकृष्ण के अनुयायी उनके जन्मोत्सव मनाने के लिए उनका व्रत उपवास रखते हैं और दहीहांडी खेल का आयोजन करते हैं तो वहीं गुरु बालकदास के अनुयायी जैतखाम और निशाना में पालो चढाते हैं, पंथी नृत्य करते हैं और मंगल चौका आरती गाते हैं।





मंगलवार, अगस्त 13, 2024

अबूझमाड़ खेल उत्सव के अंतर्गत जिला स्तरीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता-2024 का कलेक्टर-एसपी ने किया शुभारंभ : जिले के हुनरमंद खिलाड़ियों के लिए अच्छा मंच प्रदान करने पुलिस विभाग का आयोजन


अबूझमाड़ खेल उत्सव के अंतर्गत जिला स्तरीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता-2024 का कलेक्टर-एसपी ने किया शुभारंभ

जिले के हुनरमंद खिलाड़ियों को एक अच्छा मंच प्रदान करने पुलिस विभाग द्वारा किया जा रहा आयोजन

नारायणपुर, 13 अगस्त 2024 // जिले में पुलिस विभाग द्वारा 10 से 11 अगस्त तक थाना स्तर पर वॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें थाना स्तर के विजेता टीम को 5 हजार रुपये नकद पुरस्कार दिया गया। सभी प्रतिभागी टीम को एक-एक वॉलीबॉल प्रदान किया गया। खेल के दौरान खिलाड़ियों के लिए स्वलपाहार एवं भोजन की निःशुल्क व्यवस्था की गई थी। थाना स्तर पर विजेता टीमों को जिला स्तर प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु चयन किया गया है। थाना स्तर पर वॉलिबॉल प्रतियोगिता का आयोजन पश्चात 13 अगस्त को जिला स्तर वॉलीबॉल प्रतियोगिता का श्री बिपिन मांझी द्वारा क्रिड़ा परिसर खेल मैदान में सिक्का उछालकर और वॉलीबॉल खेल कर शुभारंभ किया गया।

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए पुलिस विभाग द्वारा भोजन एवं आवास की निःशुल्क व्यवस्था की गई है। प्रतियागिता में भाग लेने वाले सभी टीम के खिलाड़ियों को जर्सी भी प्रदान किया जा रहा है। इस अवसर पर कलेक्टर श्री मांझी ने खिलाड़ियों को खेल भावना के साथ अच्छा प्रदर्शन करने हेतु प्रेरित किया गया और पुलिस अधीक्षक श्री प्रभात कुमार ने खिलाड़ियों का हौसला अफजाई करते हुए कहा कि इस प्रतियोगिता का आयोजन आप सभी के अंदर के हुनर को एक अच्छा मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यहां दूर दूर के गांव की टीम जीत कर आई है तो आप सभी विजेता टीम हैं। आप सभी अच्छे खेल का प्रदर्शन करते हुए और बड़े स्तर के प्रतियोगिताओं में भाग लीजिए।

उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाली सभी 15 टीमों को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया जाएगा। जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 51 हजार रुपये, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 31 हजार रुपये और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली टीम को 21 हजार एवं ट्राफी पुरस्कार के रूप में प्रदान किया जाएगा।











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