"धर्म आचरण में पवित्रता लाने के लिए स्थापित आदर्श आचरण संहिता है, यह इंसान को हिंसा से अलग रहने की शिक्षा देती है; यदि को धर्म की रक्षा के नाम पर आपको हिंसा के लिए प्रेरित करता है तो उनसे परहेज करें।"
क्या कागजों में लिखने और बताने की वस्तु है धर्म ?
नहीं, धर्म कागजों में लिखने और गौरव करने की कोई वस्तु नहीं है बल्कि धर्म आध्यात्मिक मान्यताओं के आधार पर आचरण में पवित्रता लाने, तथा प्रत्येक जीव के लिए भाईचारा, सद्भावना, प्रेम और करुणा रखने की अपनी निजी मान्यता है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो आज जिसे धर्म के नाम से जाना जाता है "वह धर्म का वास्तविक रूप नहीं है" बल्कि धार्मिक मान्यताओं पर आधारित एक साझा नाम है। बड़े मजे की बात तो ये है कि जिसे धर्म का नाम दिया जाता है संबंधित धर्म की धार्मिक मान्यताओं और संस्कृति के कट्टर विरोधी लोग भी उसी धर्म की अनुयायी के रूप में जाने जाते हैं।
क्या धार्मिक कट्टरता अच्छी है ?
नहीं; क्योंकि द्वेष, बदले की भावना, कट्टरता, हिंसा और हत्या की विचारधारा धार्मिक कार्य नहीं है। ऐसे कृत्यों को ही धार्मिक मान्यताओं के तहत अधार्मिक और दुष्टों का कार्य माना जाता है।
क्या बदले की भावना से किसी व्यक्ति से नफरत और द्वेष करना धार्मिक अथवा मानवीय आचरण है ?
नहीं, कदापि नहीं। एक अच्छा इंसान वही है जो किसी भी शर्त में बदले की भावना से प्रेरित नहीं होता है। भगवान बुद्ध, महावीर और गुरु घासीदास बाबा ने कहा है कि "किसी को सपने में भी मारने का विचार रखना पाप है।"
क्या भारत का कोई भी नागरिक धर्म परिवर्तन कर सकता है ?
हाँ, संवैधानिक अधिकारों की बात करें तो भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद की धर्म ग्रहण करने का अधिकार है। इसके अलावा मानव अधिकारों की बात करें तो लगभग पूरे विश्व के सभी लोग अपने इच्छित धर्म को ग्रहण कर सकते हैं। अर्थात कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। किन्तु ध्यान रखने वाली बात ये है कि "धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति को प्रलोभन देना, उसकाना और भयदोहन करना अपराध की श्रेणी में आता है।"
अति सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया विचार
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