थोड़ा सा अंग दे दो - THODA SA ANG DE DO
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
थोड़ा सा अंग दे दो “मेरी पहचान को”
चिंहाँकित कर जाऊँ तुम्हारे “सम्मान को”
कहना चाहती हूँ “तुम्हें
प्रेमी”
थोड़ा सा जीवनभर अपनाकर
एक झलक देख लूँ तुम्हें
एक बार फिर से “सपना देख
कर”
इसलिए है अधिकार “तुम्हें”
कि मेरा नाम गोदवा लो “अपनी बाहों में”
क्योंकि
मैं तो चाहती हूँ
नरक भी जाना
“तुम्हें अपनाकर”
मात्र एक बून्द
‘गोदने’ का गोदवा लो, मेरी पहचान के लिए
ताकि मेरी हो
वो सब जान लें
उन अनबूझ अनजान के लिए ।
थोड़ा सा अंग दे दो “मेरी पहचान को”
चिंहाँकित कर जाऊँ तुम्हारे “सम्मान को”
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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