तइहा के गोठ - TAIHA KE GOTH
तइहा के गोठ ह
पहाय लागिस।
दुधारू गाय के
लात ह
मिठाये लागिस।
शिक्षाकर्मी बहू ह
बेटा ल
लउठी देखावत हे।
महतारी ह दरूहा बेटा बर
काल ल पिरोये लागिस।।
नवा नेवरनीन
घरघुसरीन के
राज हे।
देख तो बटकी के जम्मों सीथा म बाल हे।
झूठ के नियाव म
सच के फंदा चढ़गे।
महतारी ह दरूहा बेटा बर काल ल पिरोये लागिस।।
बिहाये डौकी के
भूखे लइका ह
रोटी जोहे।
सास-ससुर देवी-देवता के
तिरस्कार होही।
आगी लगय
दुश्चरित्तर बेटा के
जवानी म।
एक बात आथे
सेखनिन बहुरानी म।
हाथ जोड़ नवा नेवरनीन घरघुसरीन
के।
महतारी रोवत हे अँगना
दुवारी म।।
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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