श्याम पिया - SHYAM PIYA
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
श्याम पिया ‘मोहे’
मंद-मंद मुसकाओगी।
झाँक कर देखो
दिल को अपना
मुझको ही भीतर पाओगी।
साँसों को, चाहे
दिल में भर लो
मुझको ही तुम पाओगी।
श्याम पिया ‘मोहे’ मंद-मंद मुसकाओगी।।
श्याम पिया की
श्याम सी चुनरी
रंग तू कैसे लगाएगी?
होली के रंग में “डूबकर”
देख लो
खुद को “न” रंग पाओगी।
दीवाली के
लाखों जलते दीये में भी
कभी चमक न पाओगी।
श्याम पिया ‘मोहे’
मंद-मंद मुसकाओगी।।
अगर
मैं करूँ “रंगीनी”
मन को तेरी।
इन्द्रधनुष में भी
मिल जाओगी।
साँसों की धुन को सुन ले संगिनी।
श्याम पिया ‘मोहे’ मँद मँद मुसकाओगी।।
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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