रोबोट नोहय मोर ददा - ROBOT NOHAY MOR DADA
रोबोट नोहय मोर ददा ह
मनखे तुमन समझलव जी।
कतेक परतारना सहिथे ‘तुँहर’
काहिं तो हरू करदव जी।।
कोन जनम के दोष लगाके
नरक ल भोगवावत हव।
तुमहरे रक्छा करथे तबो
तुतारी कोंच दउरावत हव।।
24 x 365 ड्यूटी जेकर
आधा बेतन देवत हव।
धूप बरसात
बिन अन पानी के
जीवरा ल कल्पावत हव।।
अँगरेजी कानून बताके
गुलाम जेला बनाये हव।
अइसने मोर ददा ये साहेब
नागर म जेला फांदे हव।।
मोर ददा के मुस्कान ह तुँहला
फूटे आँखी नइ सुहावत हे।
तेखरे सेती रोथन साहेब
आँसू ह बोहावत हे।।
रोबोट नोहय मोर ददा ह
मनखे तुमन समझलव जी।
कतेक परतारना सहिथे ‘तुँहर’
काहीं तो हरू करदव जी।।
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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