नव सँकल्प - NAV SANKALP
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
नये साल, नव सँकल्प हमारा
"मानवता ही
धर्म" के सिद्धांत को अपनायेंगे।
सहपाठी सब, भाई बहन हैं
अनवरत, रक्षा का धर्म निभाएंगे ।।
न,
जाति-धर्म का होगा बन्धन
"मनखे-मनखे एक बरोबर" हो जाएंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा, और गरिमा के लिए
न्यौछावर, प्राण कर जाएंगे।।
भ्रूण हत्या, भेदभाव के खिलाफ
एक नया, मुहिम चलायेंगे।
"जम्मो जीव हे भाई-बहिनी
बरोबर"
को धर्म, अपना बनायेंगे।।
स्वर्ग की कल्पना, साकार करने
सत्य, अहिंसा को अपनायेंगे।
शाकाहार, आयुर्वेद के लिए
हम पेड़ ही पेड़ लगायेंगे।।
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काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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