"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

मेरी समाधि में - MERI SAMAADHI MEN

               

मेरी समाधि में - MERI SAMAADHI MEN
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी 
 

मोहन अपनी बाँसुरी अब फिर न बजाना।  

चला आऊँगा तुम्हारे घर

तू भी चले आना।

राधिका को छोड़

‘उस तट में’

न बुलाना

द्वारिकाधीश मेरी समाधि में समा जाना।।

 

राधिका भूल जाएगी

‘तुम्हें’

पर तुम न भुलाना।

यमुना नहीं है

अब यमुना को भूल जाना।

मीरा को लगी है

“प्यास”

चाहे विष ही पिलाना।

द्वारिकाधीश मेरी समाधि में समा जाना।।

 

राधा ने माँगी है

‘बाँसुरी’

फिर न बजाना।

मेरा हाल क्या है?

ये न भूल जाना।

अनिरुद्ध को राज देकर

‘न’ राधिका से मिलने जाना।

द्वारिकाधीश मेरी समाधि में समा जाना।।

 

संकट नहीं ‘उसे’

कोई संकट न दे जाना।

बाँसुरी को भूल ब्रज में

चाहे चले आना।

चाहे हो जाए

शादी से पहले

‘मृत्यु’ कराना।

द्वारिकाधीश मेरी समाधि में समा जाना।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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