"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

मेरे मन में - MERE MANN MEN

           

मेरे मन में - MERE MANN MEN 
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी 
 

आकर समा जाओ न मेरे मन में

आकर सुकून दो न मेरे मन को

आकर बुझाओ न “प्यास” मेरे मन की

आकर फिर न जो मेरे मन में ।  

 

नाम का प्रभाव है तुम पर

कि नहीं चाहती ?

आशीष !

या फिर

आवश्यकता नहीं है तुम्हें ?

मेरे मन में लगी है आग

“प्यास की”

बुझाओ न इसे !

 

अभी कौन हो ?

जो बनना चाहती हो अर्धांगिनी

तब रहे न रहे प्यास पिलाओगी “प्रेमानी”

लगता है

आज ही लिख दूँ !

सारी सुंदरता

या

मिठास प्रेम की

इक कहानी लिख दूँ !

 

दिन हो जाए न ‘रात’

आने न दूँ अंधेरी !

आनी हो तो आए चाँदनी

जो मिट जाए अंधेरी !



----------------------------


काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

--------------------------------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण एवं भाग्यशाली फ़ॉलोअर की फोटो


Recent Information and Article

Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

Durgmaya Educational Foundation


Must read this information and article in Last 30 Day's

पुलिस एवं सशस्त्र बल की पाठशाला

World Electro Homeopathy Farmacy


WWW.THEBHARAT.CO.IN

Important Notice :

यह वेबसाइट /ब्लॉग भारतीय संविधान की अनुच्छेद १९ (१) क - अभिव्यक्ति की आजादी के तहत सोशल मीडिया के रूप में तैयार की गयी है।
यह वेबसाईड एक ब्लाॅग है, इसे समाचार आधारित वेबपोर्टल न समझें।
इस ब्लाॅग में कोई भी लेखक/कवि/व्यक्ति अपनी मौलिक रचना और किताब निःशुल्क प्रकाशित करवा सकता है। इस ब्लाॅग के माध्यम से हम शैक्षणिक, समाजिक और धार्मिक जागरूकता लाने तथा वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए प्रयासरत् हैं। लेखनीय और संपादकीय त्रूटियों के लिए मै क्षमाप्रार्थी हूं। - श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी

Blog Archive

मार्च २०१७ से अब तक की सर्वाधिक वायरल सूचनाएँ और आलेख