मैं खुद ही करूँ - MAIN KHUD HII KARUN
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
मृत्यु की चाहत नहीं
पर मृत्यु बना देना मुझे।
सुख की चाहत जन्म से
कि सुख बना देना मुझे।
शान्ति तो मेरे हाथ है
पर क्रान्ति बना देना
मुझे।
मैं खुद ही करूँ तमन्ना
एक तमन्ना बना देना मुझे।
एक पृथ्वी में निवास हूँ,
ब्रह्माण्ड बना देना मुझे।
लोक सारे जगमग करूँ
सूर्य बना देना मुझे।
शक्ति और सफलता निहित मुझमें,
संतोष बना देना मुझे।
मैं खुद ही करूँ ........
हरियर मन, तन केंरवछ भले
ज्ञानी बना देना मुझे।
अमृतपान की चाह भले है
अमृत बना देना मुझे।
कर जाऊँ विषपान भी
चासनी बना देना मुझे ।
मैं खुद ही करूँ ........
मौन हो रहा हूँ अब, मोहन बना देना मुझे।
कर जोरी विनती है प्रभु जी
तमन्ना दिला देना मुझे।
चाहे प्यासा रह जाऊँ
‘सावन में’
चौमास बना देना मुझे।
मैं खुद ही करूँ ......
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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