मैं बस्तर हूँ
उद्भव और जीवन का केंद्र
मैं बस्तर हूँ
दण्डकारण्य बस्तर !
विशालकाय पर्वत शृंखलाओं और नदियों का संगम
बरसात में सैकड़ों झील और झरनों वाला बस्तर।
मैं बस्तर हूँ
बोड़ा और पुटु खाना है तो
आओ बस्तर।
पास्ता के बजाय बास्ता
खाना हो तो आओ बस्तर ।
महुआ, चार और तेंदू खाना हो तो
आओ बस्तर ।
गर्म पर्वत और शीतल छाँह चाहिए
तो आओ बस्तर ।
लेना हो आनन्द जीवन का, तो आओ बस्तर ।
मैं बस्तर हूँ
तनावमुक्त जीवन दे सकता हूँ ।
स्वर्ग की अनुभूति दे सकता हूँ ।
हर कष्ट को हर सकता हूँ ।
आक्सीजन और आयुर्वेदिक औषधि दे सकता हूँ ।
उदात्त संस्कृतियों के संगम, मैं खुशहाल बस्तर हूँ ।
मैं बस्तर हूँ
हल्बी में मिला मिठास
मैं बस्तर हूँ ।
कल्लू - सल्फी और हडिया पिला
सकता हूँ।
वनवास श्रीराम का सफल कर
सकता हूँ।
आओ
तुम्हें श्रृंगी ऋषि से
मिला सकता हूँ।
इन्द्रावती और दूधनदी का
पानी पिला सकता हूँ।
मैं बस्तर हूँ
सुनसान हूँ
अनजान हूँ
मगर मौन नही हूँ ।
जीवन हूँ
मगर बदनाम हूँ
हिंसा के नाम पर
शान्त हूँ मगर लथपथ हूँ वीरों के रक्त से
मेरी गोद में सपूत हैं घूम रहे तो कुपुत्र भी छिपे हुए
लौह अयस्क से भरपूर,
मैं बस्तर हूँ अमचूर
मैं बस्तर हूँ
नरक से दूर सरग के समीप,
मैं बस्तर हूँ।
तुम आते ही नहीं तो
जानोगे कैसे मेरा हाल !
फिर भी विदेशों तक है
मेरा नाम।
कवियों, लेखकों
और शोधकर्ताओं की अज्ञानता
की कहानी
मैं बस्तर हूँ।
आओ खोजो, लिखो और जीयो
बस्तर
स्वर्ग से अधिक शांतिदायक
फिर भी मैं उपेक्षित
बस्तर हूँ।
मैं बस्तर हूँ।
आपके पूर्वजों का आश्रयस्थल।
मैं बस्तर हूँ आपकी मानवता का उद्गम।
मैं बस्तर हूँ प्रकृति का नियम।
मैं बस्तर हूँ ऋषिमुनियों का संयम।
मैं बस्तर हूँ बस्तर।
आपके लिए
आपका अपना बस्तर ।।
# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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