सोनहा खलियान म
बइठे, बड़का गुरुजी ह पगुरावत हे।
घूसखोरी के बरदान पाए
देवता के ठाठ ल बिगारत हे।
सगली भतली असन
खियाली म
सहायिका मन धूधरा माटी ल खवावत हे।
“अगराही लगए तुँहर जिनगानी म”
बिमरहा लइका के
महतारी ह गोहरावत हे।।
चोर चंडाल के भलमँसी गा
के
जाँगरचोट्टा
दलाल मन
बोट देवावत हे।
गरीबहा अप्पठ सरपंच बनके
आँखी मुंधियार
अँगूठा दबावत हे।
गाँव के नरवा फुटगे हावय
बराती मन टेकटर उठावत हे।
“अगराही लगए तुँहर
जिनगानी म”
बिमरहा लइका के
महतारी ह गोहरावत हे।।
पूजनीय गुरुजी के
धोती नदा गे
जींस तसमा म टेस देखावत हे।
स्कूल म
लइका मन ल
फ़ेसबुक के “रील्स” देखावत हे।।
मध्यान भोजन के
मसाला चाऊँर म
जेठ गउटिया ह मोटावत हे।
“अगराही लगए तुँहर जिनगानी म”
बिमरहा लइका के
महतारी ह गोहरावत हे।।
# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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