नवयौवना की कहानी,
कुछ तेरी ही जुबानी
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
तुम तब भी थी सयानी
अब हो गई तू जो दीवानी
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
“As
You Like” हर पन्ने में पढ़ता था
हस्तलिपियों में
‘मैं भी’
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
नवयौवना की कहानी
कुछ तेरी ही जुबानी
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
दुश्मन जो तुम कहलाती थी
अंतर्मन में मुस्कराती
थी।
जब पास तुम्हारे आता
धड़कनें तेज हो जाती थी।
फिर भी मोर फोहराबाई
दूर-दूर तुम जाती थी।
दुश्मन जो तुम कहलाती थी
अंतर्मन में मुस्कराती थी।।
रातें सारी जाग-जाग कर
दिनभर जो जम्हाती थी।
लाखों बातें होती
फिर भी अधूरी रह जाती थी।
हिन्दी के पीरियड में
रेकी जो मुझे पढ़ाती थी।
रातें सारी जाग-जाग कर
दिनभर जम्हाती थी।
नवयौवना की कहानी
कुछ तेरी ही जुबानी
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
दुश्मन जो तुम कहलाती थी
अंतर्मन में मुस्कराती थी।
रातें सारी जाग जाग कर
दिनभर जो जमहाती थी।
नवयौवना की कहानी
कुछ तेरी ही जुबानी
लिख दूँ क्या बात पुरानी ?
# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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