लालसा - LALSA
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी
लालसा है
एक प्यारा सा स्पर्श मात्र से तृप्त हो जाऊँ।
रोऊँ तो
आँसू पोंछते
तुम्हारी आँचल को मैं पाऊँ।
अगर पाओ खुशी
तो खुशियों में समा जाऊँ।
डाल हो तुम
“कदम की”
कलियाँ खिलते आज तुमपे पाऊँ।
एक प्यारा सा स्पर्श मात्र से तृप्त हो जाऊँ।।
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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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