"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

कलजुग के पहिचान - KALJUG KE PAHICHAN

                                

कलजुग के पहिचान - KALJUG KE PAHICHAN
 

देख तो सँगी रे

कइसे कलजुग ह बउरावत हे।

भरे चउमास म देख’

आमा ह मउरे लहलहावत हे।

गली के

कारी कुतिया घलो

बारो मास बियावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे।।

 

माता घलो कुमाता बनके

‘कोख म’

बेटी ल उजारत हे।

सुन्दरता के पाला पड़के

डब्बा के दूध पियावत हे।

अपन टेस देखाये खातिर

आया के

सुक्खा दुदु चुचरावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे।।

 

नवा नेवरनिन पानी नई दै

सास-ससुर करलावत हे।

सास बिचारी ल

‘सुंवासा तियागे के’

बारा उदिम सुझावत हे।

वाह रे !

सहरिया-कलजुगी डऊकी

मेडुआ बनाके किंदारत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे।।

 

बेटा ल देख तो सँगी

काबर ?

अपन धरम ल तियागत हे।

दाई-ददा बर दवई नइए

सँगवारी मन ल दारू म नहवावत हे।

डउकी बर चिरहा पोलिका

लइका ल नगरा घुमावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे ।।

 

नियाव के

गोठ लबिसार दे सँगी

गरीबहा दुबर गोहरावत हे।

जेकर लाठी तेकरे बइला

पउआ-भर दारू म

नियाव ह

बेचावत हे।

बलतकार करइया

ठिठोली करथे ‘गरीबिन बेटी ल’

देखव

पँखा म फहरावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे ।।

 

रोमाँस करत हे बडका गुरुजी

चपरासी ह पहरा लगावत हे।

इसकुल के

इसपेलिंग नई जानँय

तेन पिरिंसपल कहावत हे।

किसान के इनटेलीजेन्ट बेटा

त त त अर्रर चिल्लावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे।।

 

देख तो सँगी रे

कइसे कलजुग ह बउरावत हे।

भरे चउमास म ‘देख’

आमा ह मँऊरे

बिजरावत हे।

गली के कारी कुतिया घलो

बारो मास बियावत हे।

देख तो सँगी रे, कइसे कलजुग ह बउरावत हे।। 



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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