बूड़त ले बूड़त तक
जिनगी के राहत तक
रहे बर परही।
लागथे
एकरे सँग
मया पिरीत के बानी
लगाए बर परही।
99 साल के डोकरी बर
लागथे
जुन्ना ढेखरा
होए ल परही ।
2096 तक एकर जियत ले
कलहरत कलहरत
जिए बर परही।।
कोनो बीमारी होही मोला
ईलाज कराए बर परही।
99 साल के डोकरी के
आँसू बोहाए बर
जिए ल परही।
मान सनमान बचाए खातिर
घर म रहे बर परही।
कोरोना महामारी के परकोप ले
बाँचे बर परही।।
दुःख-सुख के चक्कर ल
डरे बर नई परही।
चाहे बिहान के होवत ले
एहर
लड़त रइही।
जेन मन एखर
एहर करत रइही
फेर ?
पहिली बता !
कोरोना ले तो बाचे बर
परही।।
दाई-ददा के सनमान बर
लड़े बर परही।
लइका ड़उकी के अधिकार बर
जीए ल परही।
कहइया के का हे “सँगी”
बूडत ले बूडत तक
जिनगी के राहत तक
जीए बर परही।
कोरोना महामारी के परकोप ले
बाँचे बर परही।
कलहरत कलहरत
जिए बर परही।।
# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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