"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

हावय हमर सँकल्प - HAWAY HAMAR SANKALP

                                 

हावय हमर सँकल्प - HAWAY HAMAR SANKALP 
 

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

एको जीव गँवावय झन, उदिम अइसे करबोन्।।

 

जोडी सँग वादा निभाबोन्

जिनगी ल बचाबोन्।

सरकार के बात मानके

घर के भीतरी रहिबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

चाँऊर-दार के नई हे कमी

ए बात ल बगराबोन्।

फोकट म सरकार

देवत हावय

 रांध-रांधके खाबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

जीमी कांदा, सेमी खोइला

जम्मो सुकसी ल सिरवाबोन्।

पाछू साल के अथान ‘आमा के’

चांट –चांट चटकारबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

मही म चाँऊर पिसान घोर

कढ़ी सुग्घर बनाबोन्।

सुखा मिरचा अउ लहसून के

चटनी म हम खाबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

पसई नून खाके

जिनगी ल बचाबोन्।

तभेच माई-पिला मिलके

हरेली ल मनाबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

फोकट घर ले निकलन नहीं

तिरी-पासा हम खेलबोन्।

दारू-कुकरी के पइसा बचाके

नोनी बर फराक लेबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

घर के भीतरी उधमकूद

लइका सँग हम करबोन्।

हमरो बंस ह अम्मर राहय

उदिम अइसे करबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

मेयार म साड़ी ल अरझाके

‘बाबू ल’

झुलना झूलाबोन्।

एक साहर के राजा कहिके

सुग्घर कहानी सुनाबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।

 

अँगना म गड्ढा कोदके

करा बाटी हम खेलबोन्।

बारी म रेंहचूल बांध के

एहू ल झुलाबोन्।

हावय हमर सँकल्प, अब कोरोना ले लडबोन्।



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# काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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