मैं थक जाऊँ तो भारत रूक जाएगा
मैं हार जाऊँ तो
स्वाभिमान हार जाएगा
रूक कर एक कहानी सुनाती
हूँ
हकीकत की बात बताती हूँ
।।
महिला सेना खड़ा करने का, बीड़ा एक उठाती हूँ।
‘मणिकर्णिका’ से ‘लक्ष्मीबाई’ बनने का
राज तुम्हें बताती हूँ।
हारना जो सीखी नहीं,
उस चुलबुल ‘मनु’ का गौरव गाती हूँ।
जिसने हमें आजादी दी,
उनकी आहूति का किस्सा सुनाती हूँ ।
रूक कर एक कहानी सुनाती हूँ ।
हकीकत की बात बताती हूँ ।।
लॉर्ड डलहौजी के हडप नीति
का विरोध कर जाती हूँ ।
स्वयंसेवक सेना बनाकर
महिलाओं को युद्ध सिखाती
हूँ ।
हमशक्ल ‘झलकारी बाई’ को
सेनाध्यक्ष बनाती हूँ ।
ओरछा और दतिया के राजाओं
को मैं धूल चटाती हूँ।।
रूक कर एक कहानी सुनाती
हूँ।
हकीकत की बात बताती हूँ
।।
स्वतंत्र भारत के सपने, हर आँख को दिखलाती हूँ।
‘तात्या टोपे’ से मिलकर
ग्वालियर के किले में
कब्जा कर जाती हूँ ।
बारम्बार फिरँगियों को
“गुमराह कर”
चालाकी दिखाती हूँ ।
कभी गोरों से हारी नहीं
ऐसी नारी का पाठ पढाती हूँ ।
रूक कर एक कहानी सुनाती हूँ ।
हकीकत की बात बताती हूं ।।
भारतीय स्वतंत्रता का, अध्याय
नया लिख जाती हूँ ।
अँग्रजों को
भारत से भगाने
एक समाज नया बनाती हूँ ।
लक्ष्य प्राप्ति में
सारंगी, पवन, और बादल को
हमराही बनाती हूँ ।
कदम-कदम चलती रही मैं
नारीशक्ति की याद तुम्हें
दिलाती हूँ ।
रूक कर एक कहानी सुनाती
हूँ ।
हकीकत की बात बताती हूँ ।।
मैं थक जाऊँ तो भारत रूक जाएगा
मैं हार जाऊँ तो स्वाभिमान हार जाएगा।
रूक कर एक कहानी सुनाती हूँ
हकीकत की बात बताती हूँ ।।
काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?
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