"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


बुधवार, फ़रवरी 22, 2023

बावली बन जाऊँ रे - BAWLI BAN JAUN RE

          

बावली बन जाऊँ रे - BAWLI BAN JAUN RE
कवि : हुलेश्वर प्रसाद जोशी 
 

तुमसे लगन जो न लगाऊँ, बावरी बन जाऊँ रे।

श्याम पिया तेरे रंग में, रंग रंग जाऊँ रे।

गोरी रंग न रंगाओ, सँवरेगी मैं रंग जाऊँ रे।

तुमसे लगन जो न लगाउँ, बावरी बन जाऊँ रे।।

 

तुम न बुलाना उसी तट को चली आऊँ रे।  

चुभ आए चाहे तीर बदन में, दौड़ी चली आऊँ रे।  

छिपकर देख लो कहीं गगन से, तुमको जो मैं पाऊँ रे।

लगन तुमसे जो न लगाऊँ, बावली बन जाऊँ रे।।

 

सावन में चाहे, प्यासी मैं मर जाऊँ रे।

पुरवाइयों में चाहे, जलन से जल जाऊँ रे।

सीत में चाहे, रेतीला तपन से तप जाऊँ रे।

तुमसे लगन जो न लगाऊँ, बावली बन जाऊँ रे।।


पाँव की पैरी गोकुल से छनकाना छोड़ आऊँ रे।

राजरानी बनाओ ‘न’ चाहे गवारन ही कहाऊँ रे।  

छोड़ आऊँ सारी सखियाँ, पर तुझपे समा जाऊँ रे।

तुमसे लगन जो न लगाऊँ, बावली बन जाऊँ रे।।

 

कजरेरी काजर से कारी हो जाऊँ रे।

नीत पुरवाइयों से सुगंध तेरी ही पाऊँ रे।

कोई वास्ता नहीं, चाहे तुम्हे न पाऊँ रे।

तुमसे लगन जो न लगाऊँ, बावली बन जाऊँ रे।। 



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काव्य संग्रह "लिख दूँ क्या ?
Poetry Collection "LIKH DUN KYA ?

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