पुलिस अधीक्षक श्री गिरिजा शंकर जायसवाल अबुझमाड़ के सुदुरवर्ती क्षेत्र बासिंग और कोहकामेटा के प्रवास पर रहे, नक्सल अभियान तेज करने और विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिये अधिकारियों को किया निर्देशित
आईपीएस श्री गिरिजा शंकर जायसवाल, पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर अबुझमाड़ के सुदुर अंचल बासिंग और कोहकामेटा के प्रवास पर रहे, वहां उन्होने बासिंग और कोहकामेटा के धान खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण कर जन सुविधाओं का जायजा लिया। खरीदी केन्द्र के अधिकारियों को निर्देशित किया कि आम नागरिकों को धान विक्रय से संबंधित किसी भी प्रकार के समस्याओं का सामना न करना पड़े। धान विक्रय के लिये आने वाले लोगों के साथ किसी भी प्रकार से भेदभाव पूर्ण रवैया न अपनाया जाये, न तो किसी खास व्यक्ति अथवा व्यापारी को विशेष, व्हीआईपी ट्रीटमेंट न दिया जाये। कानून के समक्ष सभी समान हैं, अतः सबके साथ समानता और न्यायपूर्ण व्यवहार हो। स्थानीय नागरिक अत्यंत कोमल स्वभाव के भोलेभाले लोग हैं इनके साथ किसी भी स्थिति में गलत व्यवहार बर्दाश्त नही किया जायेगा।
श्री जायसवाल धान खरीदी केन्द्रों के निरीक्षण उपरांत कोहकामेटा थाना और कोहकामेटा थाना क्षेत्रांतर्गत स्थित पुलिस और केन्द्रीय सशस्त्र बल कैम्पों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण उपरांत अधिकारियों की मीटिंग लेकर प्रभावी नक्सल अभियान संचालित करने और विकास कार्यों को गति प्रदान करने निर्देशित किया। उन्होने अधिकारियों से कहा कि किसी भी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में अच्छी और गुणवत्तायुक्त सड़क का महत्वपूर्ण योगदान होता है ऐसे में निर्माणाधीन और प्रस्तावित सड़क निर्माण कार्य को फोकस में रखकर निर्माण कार्यों को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करें। अंत में श्री जायसवाल ने जवानों से मिलकर उनकी हौसला अफजाई करते हुए कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सर्वांगीण विकास पुलिस और सशस्त्र बल के जवानों की सुरक्षा पर केन्द्रित होती है, दुसरी भाषा में कहें तो जवान ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास की रीढ़ हैं क्योंकि जवानों द्वारा प्रदत्त सुरक्षा घेरे में विश्वास के बिना कोई भी फर्म यहां के विकास के लिये आगे कदम नहीं बढ़ा पाता है। जवानों से बात करते हुए श्री जायसवाल ने पुनः कहा कि आपसे अपेक्षा है कि आप सभी अपने योगदान के लिये लोगों के दिलों में निवास करते हैं अतः आप किसी भी स्थिति में अपने आचरण अथवा व्यवहार के लिये खासकर महिलाओं और बच्चों के मन में कठोर छाप न छाप जायें कि वे आपसे बात करने से सुरक्षा पाने से झिझक जायें।
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