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सोमवार, मई 03, 2021

पत्नी को काबू में कैसे रखें, पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत करने के 15 बेहतरीन उपाय : धर्मगुरु हुलेश्वर बाबा

पत्नी को काबू में कैसे रखें, पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत करने के 15 बेहतरीन उपाय : धर्मगुरु हुलेश्वर बाबा


मौजूदा समय में हम परिवार को लेकर इस बात के लिए आशान्वित रहते हैं कि हमारा परिवार सुःखमय, शांतिपूर्ण तथा समृद्धियुक्त हो। यदि आप भी इस तरह के कुछ आशाओं से प्रेरित हैं तो आपको इस बात का ख़्याल रखना होगा कि परिवार की सुःख, शांति और समृद्धि के लिए परिवार में एकता हो तथा एकता के लिए परिवार का Centralized किन्तु Power का विकेन्द्रीकृत होना भी जरूरी है। जबकि परिवार को Centralized रखने के लिए परिवार का एक अपना रूल्स हो। Discipline Set हो तथा इसके लिए बाकायदा Judicial System भी तैयार होनी चाहिए।

आपको सबसे ख़ास बात बता देना चाहता हूँ कि जो व्यक्ति इंसानियत के धर्म को समझते हैं। वे ऐसी किसी भी मानसिकता से ग्रसित होकर परिवार के कम शक्तिशाली लोगों ख़ासकर स्त्री को ग़ुलाम, सेविका या दासी समझने की भूल नहीं करेंगे। इसका तात्पर्य यह है कि परिवार में व्यक्तिगत रूप से Power और Income के आधार पर निर्णय लेने के अधिकार तय नहीं होंगे। बल्कि निर्णय का अधिकार परिवार के साझे हित और सर्वांगीण विकास की ध्येय से समानता और न्याय के सिद्धांत पर आधारित होगा। आप समझ चुके होंगे कि परिवार का मुखिया सबसे अधिक उम्र, सबसे अधिक ताकत अथवा सबसे अधिक आय के आधार पर निर्धारित नहीं होना चाहिए। ख़ासकर लिंग के आधार पर मुखिया होने की मानसिकता तो Natural Justice, Natural Beauty, Equality and Rules of Peace के ख़िलाफ़ है। यदि आपके परिवार में मुखिया अथवा निर्णय का अधिकार इन आधारों पर तय होते हैं तो आपका परिवार परिवार नहीं बल्कि Governing Body है वैसे मैं साफ शब्दों में कहूँ तो तानाशाही सरकार है।

पत्नी को नियंत्रण में रखने अथवा काबू या कब्जे में रखने की बात शुरू करने के पहले मैं एक कहानी बताना आवश्यक समझता हूँ। मेरे बाप, दादा और परदादाओं के द्वारा निरंतर गाय-बैल, भैसी-भैसा पाला जाता था। क्योंकि ये पशु अब तक दुग्ध पदार्थ और जीवन-यापन हेतु कृषि के लिए अत्यंत उपयोगी जानवर रहे हैं। आम मनुष्यों की भाँति मेरे बाप दादा भी इन्हें नियंत्रण अथवा कब्जा और काबू में रखते थे। मेरे पूर्वज निरंतर भूमि, जमीन जायजाद पर भी अपना कब्जा रखते रहे हैं। मेरे परदादाओं का सैकड़ों एकड़ जमीन था हजारों गाय, बैल और भैंस थे जिनका कब्जा वे अन्य लोगों को हस्तांतरित कर लेते थे अर्थात दान में अथवा दाम में बेच देते थे।

मैं भी भूमि, सामग्री और पशुओं जैसे चल-अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय करने और उसे कब्जा में रखने की मानसिकता को उचित समझकर ऐसा करता हूँ। मैं मानता हूँ कि “कब्जा का हस्तांतरण और क्रय-विक्रय किया जा सकता है।” सरकारें भी बाकायदा कानून बनाकर चल-अचल संपत्ति की कब्जा हस्तातंरण करने और क्रय-विक्रय का नियम बना रखी है जो लगभग सभी देश में संवैधानिक भी है। आपको भी पता है “चल-अचल संपत्ति को क्रय-विक्रय अथवा दान में देकर इसके कब्जा को हस्तांतरित किया जा सकता है। परंतु ख्याल रखना परिवार के सदस्य ही नहीं वरन् कोई भी इंसान चल-अचल संपत्ति अथवा वस्तु नहीं है इसलिए इस पर से कब्जा के हस्तांतरण का कोई प्रावधान नहीं है।”

अब आपको पता है कि आपके परिवार के सदस्य (माँ-बाप, पति-पत्नी, भाई-बहन और बच्चे) सहित आप स्वयं भी कोई वस्तु नहीं हैं। ये सारे कोई चल-अचल संपत्ति अथवा जानवर नहीं हैं। इसलिए आप पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता। आप पर से कोई अपना कब्जा क्रय-विक्रय अथवा दान के माध्यम से हस्तांतरित भी कर सकता। इसका मतलब यह भी है कि “पति-पत्नी ही नहीं वरन संतान भी कब्जा में रखने की वस्तु नहीं है।” यदि आपमें अब भी अपनी पत्नी को काबू में रखने अथवा नियंत्रण में रखने की मानसिकता शेष है तो आप उन्हें जानवर या ग़ुलाम समझने की भूल कर रहें हैं। यदि ऐसा भूल कर रहे हैं तो ख़्याल रखना आपकी अपनी बहन और बेटी भी किसी अन्य के लिए ....... है। आपकी माँ भी आपके बाप की ग़ुलाम है। दासी है। सेविका है। और आपकी माँ आपके बाप के लिए हस्तांतरण योग्य वस्तु अथवा Movable and/or Real Estate है।

इतिश्री करने के पहले आपको Clear कर देना चाहता हूँ कि पत्नी Movable and/or Real Estate नही है, अतः इनके ऊपर कब्ज़ा करने अथवा इन्हें काबू में रखने की मानसिकता दूषित, अमानवीय, अधार्मिक और ग़ैर कानूनी होने के साथ-साथ असंवैधानिक भी है।

आप दोषारोप कर सकते हैं कि अँगूठाछाप लेखक ने छद्म Title देकर आपको धोखा दिया है। ये केवल आपकी अपनी मौलिक समस्या नहीं है। आपको तो पहले से ही जब आपने क़िताब का Cover page पढ़ा होगा तब से ही ज्ञात है। बेचारा लेखक अबोध विचारक है। इसलिये भ्रम में है। बईसुरहा दर्शन के नाम पर इसी पद्धति से वैचारिक बदलाव का प्रयास कर रहा है।

दोषारोपण से बचाव के लिये मैं कुछ सरल, सहज और आसान परन्तु बेहतरीन उपाय आपसे साझा कर देना चाहता हूँ। यदि आप अपनी पत्नी अथवा पति को सदैव आकर्षित रखना चाहते हैं और यदि आप दोनों के मध्य प्रेम और समर्पण की भावना को बरकरार रखना चाहते हैं तो इसके लिए मेरे इन सुझावों का पालन करके इसे आजमा सकते हैं :-

@ अपने जीवनसाथी के साथ दोस्त बनकर जीवन जिएँ। पत्नी को ग़ुलाम, सेविका या दासी समझें। पति-पत्नी में से कोई एक महान नहीं बल्कि दोनों बराबर हैं। पति कोई ईश्वर, परमेश्वर, स्वामी या प्राणनाथ नहीं होता है।

@ पत्नी के साथ हर स्थिति में सहभागिता बरकरार रखें। भोजन और सब्जी बनाने, बर्तन और कपड़े धोने, तेल मालिश और हाथ पाँव दबाने से हिचकिचाएँ।

@ अपने जीवनसाथी के छोटे मोटे गलतियों की अनदेखी करें।

@ जीवनसाथी को बेजा-कब्ज़ा की वस्तु समझें। बल्कि उन्हें उनके समुचित मानव अधिकारों के इस्तेमाल के लिए उन्हें जागरूक करते रहें।

@ अपने जीवन साथी को नियमित रूप से Picnic Spot, सार्वजनिक स्थानों और Tour में ले जायें और आवश्यक आज़ादी प्रदान करें। हर विषय में खुलकर विचार-विमर्श करें। अपनी भावनाएँ और विचार सादगीपूर्ण तरीके से एक दूसरे से शेयर करें।

@ शारीरिक श्रम में दोनों बराबर का योगदान दें। ख़ासकर जब आप अवकाश में हों, आप घर का आधा काम अनिवार्य रूप से करें। जीवनसाथी के लिए उनके पसंदीदा भोजन बनाएँ। अपने हाथों से खिलाएँ और कभी-कभी सारे बर्तन भी धोएँ।

@ आकस्मिक स्थिति में यदि लड़ाई-झगड़े की स्थिति निर्मित हो रही हो तो माफ़ी माँग लें, अन्यथा हानि अधिक होने वाली है।

@ समय-समय पर Gift देते रहें। जब भी आपकी जीवनसाथी तारीफ योग्य काम करे तारीफ और धन्यवाद जरूर ज्ञापित करें।

@ यथासंभव समय-समय पर उन्हें मायके जरूर ले जाएँ। उनके मायके वालों का अपने माता-पिता के बराबर सम्मान करें।

@ पत्नी को संभोग, प्रजनन और सेवा की मशीन न समझें।

@ पत्नी के साथ कभी भी मारपीट करें। यदि आप मारपीट करते हैं मतलब आपके गलती पर आपकी पत्नी को भी पीटने का अधिकार है जिसे आपको स्वीकार करना चाहिये।

@ जीवन साथी को कभी भी इतना प्रताड़ित करें कि वो आपसे तंग आकर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाये। यदि आप स्वयं अपने जीवन साथी से परेशान हैं तो भी आत्महत्या क़दापि करें बल्कि तत्काल तलाक़ के विकल्प का चुनाव करें। तलाक़ की प्रक्रिया आपको सोचने-समझने की उचित अवसर देगी।

@ घरेलू शारीरिक काम से राहत दें। परंतु ख़ुद व्यस्त रहें और उन्हें भी व्यस्त रखें। अर्थात उच्च शिक्षा और शोध के लिये अध्ययन करते/कराते रहें। यदि ऐसा संभव हो तो महान लोगों की जीवनी, आत्मकथा और अन्य क़िताब पढ़ें और अपने जीवन-साथी को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

@ Social Media Sites और Mobile Phone से प्राप्त होने वाले Notification, धारावाहिक और धार्मिक राजनैतिक समाचार से बचें।

@ Life में Romance को बरकरार रखें। जब भी अवसर मिले जीवन-साथी के साथ खिलखिला कर हँसे। जीवन-साथी को भी मुस्कराने का अवसर दें।


यदि आप अभी भी पत्नी को नियंत्रण में रखने की मानसिकता को जीवित रखे हुए हैं तो चिंता मत करिये। मैं आपकी इस मानसिकता को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये आपके सामने खड़ा हूँ। अतः आपसे पुनः विनती है कि आप पत्नी के साथ साझेदारी और बराबरी के जीवन को इंज्वॉय करिये, उनके साथ नियमित रूप से खिलखिलाकर हँसिये और मुस्कराते रहिये। क्योंकि “चिंता ऐसी डाकिनी, काटि करेजा खाए। वैद्य बिचारा क्या करे, कहां तक दवा खवाय॥”


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