"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शुक्रवार, मई 28, 2021

पुलिस और सशस्त्र बल के जवान नक्सल क्षेत्रों के विकास की रीढ़ हैं: श्री मोहित गर्ग, SP नारायणपुर

अबूझमाड़ में बिछ रही है पक्की सड़कों का जाल, आजादी के 73 साल बाद पहली बार अबुझमाड़ के लोग उन्नति के राह पर

पुलिस और सशस्त्र बल के जवान नक्सल क्षेत्रों के विकास की रीढ़ हैं: श्री मोहित गर्ग

आजादी के 73 साल बाद अब पल्ली (ओरछा) - बारसूर - गीदम के रास्ते बस चलना प्रारंभ हुआ है, इसके पहले अबुझमाड़ के लोगों को रोड़ और बस सुविधा नहीं होने के कारण न सिर्फ अनेकों प्रकार के कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था बल्कि वे उन्नति से भी कोसों दूर थे, बस सुविधा नहीं होने के कारण त्वरित चिकित्सकीय उपचार नहीं हो पाता था परिणाम स्वरूप हर साल सैकड़ों लोगों उपचार के अभाव में भी अपनी जान गवां रहे थे। यह सरकार और पुलिस प्रशासन के विशेष प्रयास का ही परिणाम है कि लोगों को अब असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ रहा है। एक ओर जहां विकास विरोधी नक्सली इन कार्यों में व्यवधान पैदा करने में लगे हैं वहीं आम नागरिक पुलिस/प्रशासन के कार्यों से प्रभावित होकर नक्सलवाद के खिलाफ आवाज उठाने एकजूट होने लगे हैं। नक्सलवाद द्वारा फैलाये गये मृत्यु के भय और आतंक के कारण आम नागरिक खूद को उन्नति से परे रखने को मजबूर थे परन्तु अब सरकार के लोेक कल्याणकारी योजनाओं, पुलिस व सशस्त्र बल से प्राप्त सुरक्षा कव्हर ने आम नागरिकों को शिक्षा, रोजगार और उन्नति से जोड़ने का काम किया है। केवल शासन तंत्र ही नहीं वरन् बुद्धजीवियों और पत्रकारों का भी मानना है कि बस्तर में विकास की गति तेज होने से वह दिन दूर नहीं जब समूचे बस्तर लाल आतंक के हिंसा से मुक्त हो जाएगा।

नारायणपुर - पल्ली (ओरछा) - बारसूर मार्ग 2-लेन चौड़ीकरण एवं उन्नयन:- प्रथम चरण में नारायणपुर से बारसूर की ओर (जिला नारायणपु की सीमा क्षेत्रांतर्गत) 43 कि.मी. रोड़ का निर्माण दिनांक 20/06/2012 से प्रारंभ हुआ है, यह रोेड़ 83.2849 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। द्वितीय चरण में बारसूर से पल्ली (ओरछा) की ओर शेष 18.4 कि.मी. रोड़ निर्माण का कार्य दिनांक 25/04/2016 से प्रारंभ हुआ है, जो 54.2579 करोड़ रूपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। दोनो चरण में कुल - 137.5428 करोड़ रूपय की लागत से तैयार हो रही कुल 61.4 कि.मी. लम्बाई के इस रोड़ में  48.4 कि.मी. रोड़ का निर्माण पूरी हो चूकी है तथा 13 कि.मी. रोड़ का निर्माण कार्य प्रगति पर है वहीं 122 पुल-पुलिया में से 67 पुल-पुलिया का निर्माण पूर्ण हो चूका है वहीं 55 पुल-पुलिया का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस रोड़ के दिनांक 30/12/2021 तक पूर्ण होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस रोड़ के निर्माण हेतु जिला पुलिस बल के अलावा सीपीएफएफ की 03 और छसबल की 01 कंपनी के लगभग 500 जवानों की सुरक्षा कव्हर में तैयार किया जा रहा है यह रोड़। इस मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सलियों ने 04 आईईडी विस्फोट, आगजनी की 01 घटना और डकैती का भी 01 घटना घटित किया है सड़क के निर्माण के दौरान 05 जवान शहीद और 08 जवान घायल हुए हैं वहीं 13 आईईडी बरामद किये गये हैं।

छोटेड़ोंगर (धौड़ाई/पल्ली) - ओरछा मार्ग (2-लेन) चौड़ीकरण एवं उन्नयन कार्य:- 31 कि.मी. रोड़ का निर्माण दिनांक 18/11/2015 से प्रारंभ हुआ है, यह रोेड़ 58.7465 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। 31 कि.मी. की लम्बी इस रोड़ में 26 कि.मी. रोड़ निर्माण का कार्य पूर्ण हो चूकी है तथा 05 कि.मी. रोड़ निर्माण कार्य प्रगति पर है वहीं इस मार्ग में पड़ने वाली 70 पुल में से 65 पुल का निर्माण हो चूका है, शेष 05 पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जो 30/06/2021 तक पूरी होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस रोड़ के निर्माण हेतु जिला पुलिस बल के अलावा सीपीएफएफ और छसबल की 02 कंपनी के लगभग 250 जवानों की सुरक्षा कव्हर में तैयार किया जा रहा है यह रोड़। इस मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सलियों ने 11 आईईडी विस्फोट और आगजनी की 03 घटना घटित किया है सड़क के निर्माण के दौरान 08 जवान घायल हुए हैं वहीं 13 आईईडी बरामद किये गये हैं।

नारायणपुर - सोनपुर - मरोड़ा मार्ग 2-लेन चौड़ीकरण एवं उन्नयन कार्य:- 78 कि.मी. रोड़ का निर्माण दिनांक 24/12/2014 से प्रारंभ हुआ है, यह रोेड़ 49.6923 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। 78 कि.मी. की लम्बी इस रोड़ में 27 कि.मी. रोड़ निर्माण का कार्य पूर्ण हो चूकी है तथा 51 कि.मी. रोड़ निर्माण कार्य प्रगति पर है वहीं इस मार्ग में पड़ने वाली 200 पुल-पुलिया में से 59 पुल-पुलिया का निर्माण हो चूका है, शेष 141 पुल-पुलिया का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जो 30/12/2021 तक पूरी होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस रोड़ के निर्माण हेतु जिला पुलिस बल के अलावा सीपीएफएफ और छसबल की 04 कंपनी के लगभग 500 जवानों की सुरक्षा कव्हर में तैयार किया जा रहा है यह रोड़। इस मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सलियों ने 09 आईईडी विस्फोट, आगजनी की 03 व तोडफोड की 01 घटना घटित किया है इस सड़क के निर्माण के दौरान 01 जवान शहीद और 07 जवान घायल हुए हैं वहीं 08 आईईडी बरामद किये गये हैं।

नारायणपुर से गारपा (आरडी 20किमी) से कच्चापाल (कुदला से कोहकामेटा) मार्ग:- 17.75 कि.मी. रोड़ का निर्माण दिनांक 14/06/2019 से प्रारंभ हुआ है, यह रोेड़ 1091.71 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। 17.75 कि.मी. की लम्बी इस रोड़ में 07 कि.मी. रोड़ निर्माण का कार्य पूर्ण हो चूकी है तथा 10.75 कि.मी. रोड़ निर्माण कार्य प्रगति पर है वहीं इस मार्ग में पड़ने वाली सभी 03 पुल-पुलिया का निर्माण हो चूका है यह मार्ग जो 30/05/2021 तक पूरी होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि इस रोड़ के निर्माण हेतु जिला पुलिस बल के अलावा सीपीएफएफ की 01 कंपनी के लगभग 150 जवानों की सुरक्षा कव्हर में तैयार किया जा रहा है यह रोड़। इस मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सलियों ने 05 आईईडी विस्फोट और आगजनी की 01 घटना घटित किया है सड़क के निर्माण के दौरान 01 जवान शहीद और 03 जवान घायल हुए हैं वहीं 03 आईईडी बरामद किये गये हैं।

ब्रेहबेड़ा (नारायणपुर) से कंदाड़ी - कीहकाड़ - मुरनार - बेचा मार्ग:- 31.80 कि.मी. रोड़ का निर्माण दिनांक 31/01/2020 से प्रारंभ हुआ है, यह रोेड़ 1870.06 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। 31.80 कि.मी. की लम्बी इस रोड़ में 02 कि.मी. रोड़ निर्माण का कार्य पूर्ण हो चूकी है तथा 29.80 कि.मी. रोड़ निर्माण कार्य प्रगति पर है वहीं इस मार्ग में पड़ने वाली 07 पुल-पुलिया में से 05 पुल-पुलिया का निर्माण हो चूका है, शेष 02 पुल-पुलिया का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सलियों ने आगजनी की 01 घटना घटित किया है।

श्री मोहित गर्ग, पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर ने बताया कि पुलिस और सशस्त्र बल के जवान नक्सल क्षेत्रों के विकास की रीढ़ हैं इनके योगदान और बलिदान का ही परिणाम है कि आज अबुझमाड़ सहित समूचे बस्तर देश-दुनिया में अपना नया किर्तिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है। हमारे जवान न सिर्फ कानून व्यवस्था स्थापित करने और नक्सल हिंसा मुक्त बस्तर के लिए अपने जान की बाजी लगाकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं बल्कि  बस्तर के विकास के लिए स्कूल, काॅलेज, अस्पताल, प्रशासकीय भवनों, मोबाईल टाॅवर, विद्युत कनेक्टिीविटी और सड़क निर्माण कार्यों को भी सुरक्षा दे रहे हैं। वर्तमान में कोविड-19, कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए जवानों के योगदान अत्यंत सराहनीय, अविस्मरणीय और अतुलनीय है।

शनिवार, मई 15, 2021

सामाजिक संस्था "नव संचार फाउंडेशन" कोरोना वारियर्स को बांट रही है फूड पैकेट्स

सामाजिक संस्था "नव संचार फाउंडेशन" कोरोना वारियर्स को बांट रही है फूड पैकेट्स
जिला नारायणपुर में कार्यरत सामाजिक संस्था 'नव संचार फाउंडेशन' द्वारा कोविड-19, कोरोना महामारी के रोकथाम हेतु फ्रंटलाइन वारियर्स के रूप में कार्यरत कर्मियों और अन्य जरूरतमंद लोगों को 1 सप्ताह तक फ़ूड पैकेट्स बांटने जा रही है; इसके अंतर्गत प्रथम एवं द्वितीय दिवस दिनांक 13/05/2021 और 14/05/2021 को पुलिस बल के लगभग 100-100 जवानों को पुलाव, सलाद और  हलुआ बांटा गया वहीं तीसरे दिवस दिनांक 15/05/2021 को पुलिस बल के जवानों और नगरपालिका के सफाई कर्मियों सहित मानसिक रूप से विक्षिप्त और घर से बाहर घूम रहे अन्य जरूरतमंद लोगों को मिलाकर लगभग 150 लोगों को पुलाव, सलाद और हलुआ बांटा गया। फूड पैकेट्स वितरण करने में संस्था के अध्यक्ष श्रीमती सीमा गर्ग, सचिव श्रीमती जागृति गर्ग, सचिव सुश्री आरती गर्ग, कोषाध्यक्ष श्री रोशनलाल गर्ग, सदस्य श्री मधुकरराव, श्रीमती मनु चंद्राकर, श्रीमति श्रुति उपाध्याय और श्रीमती गौरी साव का अहम योगदान है।

नव संचार फाउंडेशन के सचिव श्रीमती जागृति गर्ग ने देशभर के पंजीकृत और गैर पंजीकृत सामाजिक संस्थाओं से अपील की है कि सभी एनजीओ यथासंभव जरूरतमंद लोगों और कोरोना वायरस के रोकथाम में लगे फ्रंटलाइन वारियर्स की सहायता करें।

सोमवार, मई 03, 2021

पत्नी को काबू में कैसे रखें, पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत करने के 15 बेहतरीन उपाय : धर्मगुरु हुलेश्वर बाबा

पत्नी को काबू में कैसे रखें, पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत करने के 15 बेहतरीन उपाय : धर्मगुरु हुलेश्वर बाबा


मौजूदा समय में हम परिवार को लेकर इस बात के लिए आशान्वित रहते हैं कि हमारा परिवार सुःखमय, शांतिपूर्ण तथा समृद्धियुक्त हो। यदि आप भी इस तरह के कुछ आशाओं से प्रेरित हैं तो आपको इस बात का ख़्याल रखना होगा कि परिवार की सुःख, शांति और समृद्धि के लिए परिवार में एकता हो तथा एकता के लिए परिवार का Centralized किन्तु Power का विकेन्द्रीकृत होना भी जरूरी है। जबकि परिवार को Centralized रखने के लिए परिवार का एक अपना रूल्स हो। Discipline Set हो तथा इसके लिए बाकायदा Judicial System भी तैयार होनी चाहिए।

आपको सबसे ख़ास बात बता देना चाहता हूँ कि जो व्यक्ति इंसानियत के धर्म को समझते हैं। वे ऐसी किसी भी मानसिकता से ग्रसित होकर परिवार के कम शक्तिशाली लोगों ख़ासकर स्त्री को ग़ुलाम, सेविका या दासी समझने की भूल नहीं करेंगे। इसका तात्पर्य यह है कि परिवार में व्यक्तिगत रूप से Power और Income के आधार पर निर्णय लेने के अधिकार तय नहीं होंगे। बल्कि निर्णय का अधिकार परिवार के साझे हित और सर्वांगीण विकास की ध्येय से समानता और न्याय के सिद्धांत पर आधारित होगा। आप समझ चुके होंगे कि परिवार का मुखिया सबसे अधिक उम्र, सबसे अधिक ताकत अथवा सबसे अधिक आय के आधार पर निर्धारित नहीं होना चाहिए। ख़ासकर लिंग के आधार पर मुखिया होने की मानसिकता तो Natural Justice, Natural Beauty, Equality and Rules of Peace के ख़िलाफ़ है। यदि आपके परिवार में मुखिया अथवा निर्णय का अधिकार इन आधारों पर तय होते हैं तो आपका परिवार परिवार नहीं बल्कि Governing Body है वैसे मैं साफ शब्दों में कहूँ तो तानाशाही सरकार है।

पत्नी को नियंत्रण में रखने अथवा काबू या कब्जे में रखने की बात शुरू करने के पहले मैं एक कहानी बताना आवश्यक समझता हूँ। मेरे बाप, दादा और परदादाओं के द्वारा निरंतर गाय-बैल, भैसी-भैसा पाला जाता था। क्योंकि ये पशु अब तक दुग्ध पदार्थ और जीवन-यापन हेतु कृषि के लिए अत्यंत उपयोगी जानवर रहे हैं। आम मनुष्यों की भाँति मेरे बाप दादा भी इन्हें नियंत्रण अथवा कब्जा और काबू में रखते थे। मेरे पूर्वज निरंतर भूमि, जमीन जायजाद पर भी अपना कब्जा रखते रहे हैं। मेरे परदादाओं का सैकड़ों एकड़ जमीन था हजारों गाय, बैल और भैंस थे जिनका कब्जा वे अन्य लोगों को हस्तांतरित कर लेते थे अर्थात दान में अथवा दाम में बेच देते थे।

मैं भी भूमि, सामग्री और पशुओं जैसे चल-अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय करने और उसे कब्जा में रखने की मानसिकता को उचित समझकर ऐसा करता हूँ। मैं मानता हूँ कि “कब्जा का हस्तांतरण और क्रय-विक्रय किया जा सकता है।” सरकारें भी बाकायदा कानून बनाकर चल-अचल संपत्ति की कब्जा हस्तातंरण करने और क्रय-विक्रय का नियम बना रखी है जो लगभग सभी देश में संवैधानिक भी है। आपको भी पता है “चल-अचल संपत्ति को क्रय-विक्रय अथवा दान में देकर इसके कब्जा को हस्तांतरित किया जा सकता है। परंतु ख्याल रखना परिवार के सदस्य ही नहीं वरन् कोई भी इंसान चल-अचल संपत्ति अथवा वस्तु नहीं है इसलिए इस पर से कब्जा के हस्तांतरण का कोई प्रावधान नहीं है।”

अब आपको पता है कि आपके परिवार के सदस्य (माँ-बाप, पति-पत्नी, भाई-बहन और बच्चे) सहित आप स्वयं भी कोई वस्तु नहीं हैं। ये सारे कोई चल-अचल संपत्ति अथवा जानवर नहीं हैं। इसलिए आप पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता। आप पर से कोई अपना कब्जा क्रय-विक्रय अथवा दान के माध्यम से हस्तांतरित भी कर सकता। इसका मतलब यह भी है कि “पति-पत्नी ही नहीं वरन संतान भी कब्जा में रखने की वस्तु नहीं है।” यदि आपमें अब भी अपनी पत्नी को काबू में रखने अथवा नियंत्रण में रखने की मानसिकता शेष है तो आप उन्हें जानवर या ग़ुलाम समझने की भूल कर रहें हैं। यदि ऐसा भूल कर रहे हैं तो ख़्याल रखना आपकी अपनी बहन और बेटी भी किसी अन्य के लिए ....... है। आपकी माँ भी आपके बाप की ग़ुलाम है। दासी है। सेविका है। और आपकी माँ आपके बाप के लिए हस्तांतरण योग्य वस्तु अथवा Movable and/or Real Estate है।

इतिश्री करने के पहले आपको Clear कर देना चाहता हूँ कि पत्नी Movable and/or Real Estate नही है, अतः इनके ऊपर कब्ज़ा करने अथवा इन्हें काबू में रखने की मानसिकता दूषित, अमानवीय, अधार्मिक और ग़ैर कानूनी होने के साथ-साथ असंवैधानिक भी है।

आप दोषारोप कर सकते हैं कि अँगूठाछाप लेखक ने छद्म Title देकर आपको धोखा दिया है। ये केवल आपकी अपनी मौलिक समस्या नहीं है। आपको तो पहले से ही जब आपने क़िताब का Cover page पढ़ा होगा तब से ही ज्ञात है। बेचारा लेखक अबोध विचारक है। इसलिये भ्रम में है। बईसुरहा दर्शन के नाम पर इसी पद्धति से वैचारिक बदलाव का प्रयास कर रहा है।

दोषारोपण से बचाव के लिये मैं कुछ सरल, सहज और आसान परन्तु बेहतरीन उपाय आपसे साझा कर देना चाहता हूँ। यदि आप अपनी पत्नी अथवा पति को सदैव आकर्षित रखना चाहते हैं और यदि आप दोनों के मध्य प्रेम और समर्पण की भावना को बरकरार रखना चाहते हैं तो इसके लिए मेरे इन सुझावों का पालन करके इसे आजमा सकते हैं :-

@ अपने जीवनसाथी के साथ दोस्त बनकर जीवन जिएँ। पत्नी को ग़ुलाम, सेविका या दासी समझें। पति-पत्नी में से कोई एक महान नहीं बल्कि दोनों बराबर हैं। पति कोई ईश्वर, परमेश्वर, स्वामी या प्राणनाथ नहीं होता है।

@ पत्नी के साथ हर स्थिति में सहभागिता बरकरार रखें। भोजन और सब्जी बनाने, बर्तन और कपड़े धोने, तेल मालिश और हाथ पाँव दबाने से हिचकिचाएँ।

@ अपने जीवनसाथी के छोटे मोटे गलतियों की अनदेखी करें।

@ जीवनसाथी को बेजा-कब्ज़ा की वस्तु समझें। बल्कि उन्हें उनके समुचित मानव अधिकारों के इस्तेमाल के लिए उन्हें जागरूक करते रहें।

@ अपने जीवन साथी को नियमित रूप से Picnic Spot, सार्वजनिक स्थानों और Tour में ले जायें और आवश्यक आज़ादी प्रदान करें। हर विषय में खुलकर विचार-विमर्श करें। अपनी भावनाएँ और विचार सादगीपूर्ण तरीके से एक दूसरे से शेयर करें।

@ शारीरिक श्रम में दोनों बराबर का योगदान दें। ख़ासकर जब आप अवकाश में हों, आप घर का आधा काम अनिवार्य रूप से करें। जीवनसाथी के लिए उनके पसंदीदा भोजन बनाएँ। अपने हाथों से खिलाएँ और कभी-कभी सारे बर्तन भी धोएँ।

@ आकस्मिक स्थिति में यदि लड़ाई-झगड़े की स्थिति निर्मित हो रही हो तो माफ़ी माँग लें, अन्यथा हानि अधिक होने वाली है।

@ समय-समय पर Gift देते रहें। जब भी आपकी जीवनसाथी तारीफ योग्य काम करे तारीफ और धन्यवाद जरूर ज्ञापित करें।

@ यथासंभव समय-समय पर उन्हें मायके जरूर ले जाएँ। उनके मायके वालों का अपने माता-पिता के बराबर सम्मान करें।

@ पत्नी को संभोग, प्रजनन और सेवा की मशीन न समझें।

@ पत्नी के साथ कभी भी मारपीट करें। यदि आप मारपीट करते हैं मतलब आपके गलती पर आपकी पत्नी को भी पीटने का अधिकार है जिसे आपको स्वीकार करना चाहिये।

@ जीवन साथी को कभी भी इतना प्रताड़ित करें कि वो आपसे तंग आकर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाये। यदि आप स्वयं अपने जीवन साथी से परेशान हैं तो भी आत्महत्या क़दापि करें बल्कि तत्काल तलाक़ के विकल्प का चुनाव करें। तलाक़ की प्रक्रिया आपको सोचने-समझने की उचित अवसर देगी।

@ घरेलू शारीरिक काम से राहत दें। परंतु ख़ुद व्यस्त रहें और उन्हें भी व्यस्त रखें। अर्थात उच्च शिक्षा और शोध के लिये अध्ययन करते/कराते रहें। यदि ऐसा संभव हो तो महान लोगों की जीवनी, आत्मकथा और अन्य क़िताब पढ़ें और अपने जीवन-साथी को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

@ Social Media Sites और Mobile Phone से प्राप्त होने वाले Notification, धारावाहिक और धार्मिक राजनैतिक समाचार से बचें।

@ Life में Romance को बरकरार रखें। जब भी अवसर मिले जीवन-साथी के साथ खिलखिला कर हँसे। जीवन-साथी को भी मुस्कराने का अवसर दें।


यदि आप अभी भी पत्नी को नियंत्रण में रखने की मानसिकता को जीवित रखे हुए हैं तो चिंता मत करिये। मैं आपकी इस मानसिकता को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये आपके सामने खड़ा हूँ। अतः आपसे पुनः विनती है कि आप पत्नी के साथ साझेदारी और बराबरी के जीवन को इंज्वॉय करिये, उनके साथ नियमित रूप से खिलखिलाकर हँसिये और मुस्कराते रहिये। क्योंकि “चिंता ऐसी डाकिनी, काटि करेजा खाए। वैद्य बिचारा क्या करे, कहां तक दवा खवाय॥”


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