"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शुक्रवार, अप्रैल 09, 2021

वन्य क्षेत्रों में जल की उपलब्धता पर आधारित "मंकी सिंह की कहानी"

बंदर मंकी सिंह की आपबीती कहीं आपकी न हो जाए, इसलिए जल का संरक्षण करें... वन्य जीवों के लिए पर्याप्त जल और वृक्षों की उपलब्धता किस तरह सुनिश्चित किया जाए इसे जानने के लिए मातृका दीदी की सुझाव जरूर पढ़िए...

"मंकी सिंह की कहानी"

एक बार की बात है दो बहनें मातृका और दुर्गम्या Morning Walk पर जा रही थी तभी उन्होंने देखा सड़क किनारे बंदर मंकी सिंह अलसाया हुआ, दुःखी और निराश बैठा है।

मातृका दीदी बंदर के पास जाकर पूछती है: क्यों भाई मंकी सिंह आप परेशान और चिंतित क्यों बैठे हैं?

मंकी सिंह ने जवाब दिया: मातृका दीदी, "क्या आपको पता कि जंगलों से सारे फलदार और इमारती ही नहीं वरन अन्य वृक्षों को भी काटकर समाप्त कर दिया गया है जिसके कारण जंगलों के लगभग सारे जलस्रोत भी सूख चुके हैं।" भोजन और पानी के अभाव में जंगल के सारे जीवों के जीवन खतरे में पड़ गया है, यदि यही स्थिति रही तो सारे जंगली जानवर जल्दी ही मर जायेंगे।

मातृका दीदी: ओह! आप ये क्या कह रहे हैं मंकी सिंह?

मंकी सिंह: सही बता रहा हूँ मातृका दीदी, मेरा ही दुर्भाग्य देखिए भूख प्यास के कारण मेरे माता-पिता, पत्नी और बच्चे सहित मेरा पूरा परिवार मर गया है, इसलिए मैं दुःखी हूँ।

दुर्गम्या अपने बैग से Bottle निकालती है और मंकी सिंह को पीने के लिए देते हुए कहती है: मंकी सिंह आप भी बहुत भूखे प्यासे लग रहे हैं, थोड़ा पानी पी लीजिए फिर मेरे घर चलकर मेरे साथ भोजन ग्रहण कर लेना।

मंकी सिंह Bottle वापस करते हुए कहता है: नहीं दुर्गम्या दीदी मेरे परिवार के सारे सदस्य तो मर गए हैं फिर मैं जी कर क्या करूँगा कहते हुए फफककर रो पड़ता है।

मातृका दीदी मंकी सिंह के आँसू पोछती है और उसके शिर में हाथ फेरकर उन्हें समझाते हुए कहती है: भाई मंकी सिंह हम आपके परिवार तो आपको लौटा नहीं सकते मगर हम पर भरोसा रखो, हम प्रयास करेंगे कि अब जंगल के कोई भी जीव भूख और प्यास के कारण नहीं मरेगा और जंगल में फिर से खुशहाली वापस लौट आएगी।

दुर्गम्या दीदी मातृका दीदी के बातों का समर्थन करते हुए कहती है: भाई मंकी सिंह, हम प्रयास करेंगे कि जंगल फिर से आप सबके रहने योग्य और सुरक्षित हो जाए।

ये सुनकर थोड़ी ही देर में मंकी सिंह Bottle का ढक्कन खोलता है और एक ही घुट में पूरे पानी ढक कर जाता है और बोलता है: ThankYou दीदी।

तभी दुर्गम्या दीदी नौटंकी करते हुए कहती है: देखो न मातृका दीदी भाई मंकी सिंह ने तो मेरे Bottle के सारे पानी पी लिया.... उहू उहुँ कहते हुए रोने लगती है।

दुर्गम्या दीदी के नखरे देखकर मंकी सिंह और मातृका दीदी जोर से हस पड़ते हैं,उसके बाद तीनों वापस घर आ जाते हैं, आंगन में लगे आम फल की लालच मंकी सिंह को पेड़ में चढ़ने पर मजबूर कर देता है, मंकी सिंह आज खूब आम खाया और उसके बाद उछल कूद मचाते हुए कुछ आम नीचे आंगन में ही गिरा देता है इसे देखकर दुर्गम्या दीदी गुस्से में आ जाती है और बोलती है मंकी सिंह आखिर तुम बंदर ही रहोगे..... गुलाटी मारना कभी नहीं छोड़ोगे.....। मंकी सिंह नीचे आकर माफ़ी के भाव से बोलता है: Sorry Durgamya Joshi, फिर तीनों घर के भीतर प्रवेश करते हैं Cooler चालू करके चर्चा करने लग जाते हैं कि कैसे हम जंगलों में पर्याप्त मात्रा में पानी और जंगली जानवरों के लिए भोजन सुनिश्चित कर सकते हैं।

दुर्गम्या दीदी चर्चा का शुरुआत करते हुए बोलती है: हम सरकार से आग्रह करेंगे कि सरकार वन क्षेत्र में अधिक से अधिक बांध और चेकडैम बनवाये, जहाँ बांध और चेकडैम संभव न हो वहां पर तालाब अथवा डबरी का निर्माण करवाए।

मंकी सिंह: दुर्गम्या दीदी यह सबसे बेहतर उपाय है परंतु इसमें तो सरकार को भारी लागत लगाना पड़ेगा, ऊपर से अधिकतर बांध और चेकडैम विवादित भी हो जाते हैं। बांध बन भी गया तो लोग बांध के चोरों तरफ पिकनिक स्पॉट बनाकर जंगली जानवरों के लिए फिर से उसे प्रतिबंधित कर देते हैं। कुछ तालाब और डबरी तो शिकारी जानवरों के ही कब्जा में होता है जिसके कारण भूख प्यास मिटाने के नाम पर अधिकतर जीव उन शिकारी जानवरों के भोजन बन जाते हैं।

दुर्गम्या दीदी: तो हम इसके लिए बेहतर विकल्प के रूप में क्या कर सकते हैं मातृका दीदी?

मातृका दीदी: अच्छा है, कोई बात नहीं, हमारे पास इससे सरल, सहज, सस्ते और आसान परन्तु बेहतर उपाय है जिससे हम जंगल के हर स्थान में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं।

दुर्गम्या दीदी: वो कैसे दीदी?

मातृका दीदी: आप सबको तो पता है कि वन क्षेत्र में भी पहले से ही पर्याप्त संख्या में तालाब, डबरी और छोटे बड़े नाला उपलब्ध है; हम उन सारे स्थानों में ट्यूबवेल खोदाई करके उसमें सोलर पंप लगवा कर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं फिर प्यास के कारण कोई भी जीव मरेगा नहीं।

मंकी सिंह: ये तो बेहतर उपाय है मातृका दीदी। मगर एक समस्या उन जीवों के लिए स्थिर बनी रहेगी जो अधिकतर समय पर्वतों में रहते हैं। जब गर्मी के दिनों में उन्हें प्यास लगती है तो वे नीचे आकर पानी पीते उसके पहले ही उनके जान गले से आ निकलती है, मुश्किल से प्यास बुझ भी गई तो फिर से पहाड़ी के ऊपर चढ़ने में उन्हें पुनः प्यास लग जाती है। मातृका दीदी कई जंगली जानवर तो पर्वत श्रृंखलाओं के उस पार होते हैं उनके लिए क्या कुछ बेहतर व्यवस्था सोची जा सकती है?

मातृका दीदी: क्यों नहीं; हम ऐसे पर्वत श्रृंखलाओं के बीच वाले पर्वत के ऊपर ही ट्यूबवेल और सोलर एनर्जी के माध्यम से पानी उपलब्ध करवा सकते हैं जो नीचे की ओर छोटी सी झरना की भांति झरती रहेगी फलस्वरूप अलग अलग श्रेणी के जानवर एक ही समय में पानी पी सकेंगे इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के वृक्षों को भी जीवित रखने में लाभदायक हो सकेगा।

दुर्गम्या दीदी: मातृका दीदी हम मंकी सिंह के लिए उन स्थानों में आम और अन्य फलदार वृक्ष जरूर लगाएंगे; ताकि मंकी सिंह हमारे घर, आंगन, बाड़ी और खेतों के फसल, फल और पेड़ को बर्बाद करने न आएं।

मंकी सिंहः दुर्गम्या दीदी, हम जानवर तो खुद को जंगलों में ही सुरक्षित और बेहतर समझते हैं, आबादी क्षेत्र में आना हमारे लिए अत्यंत खतरनाक और जानलेवा होता है क्योंकि कई गांव और शहर में हमारे साथी जानवरों को भरमार बंदूक का शिकार होना पड़ता है।

चर्चा समाप्ति के बाद मातृका दीदी टेबल में रखे अपने स्मार्टफोन को उठाती है और सोशल मीडिया साइट्स के माध्यम से दोस्तों और सरकार से अपील करती है : "प्लीज सर.... प्लीज दोस्तों.... वनों और पर्वतीय क्षेत्रों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अपना योगदान दीजिए, क्योंकि जंगलों और पर्वतों में पानी और फलदार वृक्षों की जरूरत न सिर्फ मंकी सिंह और अन्य जंगली जीव के आवश्यक है वरन समान रूप से हम सभी मनुष्यों के लिए भी आवश्यक है।" आपको याद दिला देना चाहती हूँ कि पारिस्थितिकी तंत्र के सारे जीव के लिए सबसे पहली प्राथमिकता जल और भोजन है, सबसे खास बात तो ये है कि जैव विविधता के बिना हम मनुष्यों के जीवन की भी कल्पना नहीं की जा सकती।

वृक्ष, वन और जल एक दूसरे के पूरक और एक दूसरे पर निर्भर है, आप सबको तो पता ही है कि जल बिना किसी भी जीव की जीवन संभव नहीं है इसलिए प्लीज आज ही संकल्प लीजिए कि अपने घर, परिवार, वार्ड, मोहल्ले, गांव और शहर से पहले जंगलों में पर्याप्त पानी की उपलब्धता और वृक्षारोपण सुनिश्चित करेंगे। आप सबको ज्ञात है कि हर साल दर साल गर्मी बढ़ती जा रही है जिसके कारण हम Cooler, AC और Fridge के आदी होते जा रहे हैं जबकि ये हमारे जीवन के लिए घातक भी है इसलिए आपसे निवेदन है अपने घर, महल या Building को बड़ा बनाने के बजाय उसे छोटा बनाइये मगर अपने आंगन, बाड़ी, खेत और सड़क में पौधरोपण जरूर करिए इससे न सिर्फ धरती की तापमान कम होगी बल्कि हम Cooler, AC और Fridge के निर्भरता से भी उबर सकेंगे।

प्लीज सर..... प्लीज पाठक साथियों.... प्लीज मीडिया बंधुओं..... आप भी जल संरक्षण के लिए अपने हिस्से का पहल करिए ताकि मंकी सिंह की कहानी आपके साथ न दोहरा जाए।

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