प्रश्न- जीवन क्या है? जीवन का सार क्या है?
उत्तर- ‘‘जी’’ सार है जीवन का यदि जीवन से ‘‘जी’’ निकाल दिया जाए तो केवल ‘‘वन‘‘ ही रह जायेगा। ख्याल रखना जीवन के लिए जितना अवश्य ‘‘वन’’ है उतना ही वन के लिए ‘‘जी’’ आवश्यक है। जीवन क्या है? इसे जानने की लिए आपको जीना चाहिए, भरपूर जीना चाहिए, यदि आप जीएंगे नही तो जीवन को जान नही पाएंगे।
जीवन का ‘‘जी’’ एक प्रेरणादायक शब्द है जो आपको निरंतर प्रेरित करता है कि आप जीवन को जीएं, यदि आप जीवन को जीने के बजाय केवल घसीटते हैं, रगडते हैं काम में, क्रोध में, लोभ में और मोह में संलिप्त रखते हैं तो आपका जीवन निरर्थक हो जाएगा इसलिए आपको जीवन को जीना चाहिए, भरपूर जीना चाहिए, आनंद, खुसी, शांति और संतोष को अपना स्वभाविक गुण बनाकर जीएं। काम, क्रोध, लोभ और मोह के लिए स्वयं को संघर्ष, षडयंत्र और अमानवीय कृत्यों में संलग्न कर देंगे तो आपका जीवन व्यर्थ होगा क्योंकि जीवन एक प्रेरणादायक संदेश है जो आपको जीने के लिए प्रेरित करती है न कि घृणा, नफरत और द्वेष में लगे रहने के लिए।
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