हम
साल-दर-साल
दशहरा मनाते हैं।
इस साल भी
मनाएँगे। अगले साल
और उसके अगले
साल भी निरंतर
दशहरा मनाते रहेंगे।
मगर दुर्भाग्य केवल
रावण का पुतलादहन करेंगे।
अपने भीतर के
रावण को नहीं
जलाएँगे बल्कि उनके DNA को अपने रक्त में संचार करायेंगे और रावण को अमर करते
जायेंगे।
आपको याद
दिलाना चाहूँगा कि,
रावण तो हजारों
साल पहले मौत को प्राप्त हो चुके हैं।
वर्तमान राजनैतिक घटनाओं को
देखता हूँ तो
पाता हूँ पुतला
जिन्दा लोगों का
जलाया जाता है।
मेरे एक आदरणीय
मित्र का मानना
है कि रावण
का पुतलादहन करके
हम उन्हें और
अधिक अमर कर
रहे हैं। हालाँकि
मैं उनके विचारों
से सहमत नहीं
हूँ। फिर भी
क्या आप केवल
महात्मा, ज्ञानी, प्रकाण्ड़
विद्वान, ब्राम्हण और
राजा रावण का
ही पुतला दहन
करेंगे? मैं तो
ऐसा क़दापि नहीं
करने वाला। क्योंकि
मेरे भीतर हजारों
रावण और लाखों
राम हैं।
राम और
रावण केवल मेरे
अंदर नहीं, बल्कि
आपके भीतर भी
बराबर विद्यमान हैं।
यदि राम आपके
आराध्य हैं तो
राम जैसे बनने
का प्रयास करिये।
क्योंकि राम और रावण
दोनों में कुछ
समानताएँ भी हैं।
जो दोनों को
स्वतंत्र रूप से
महान बनाता है।
यदि रावण में
हम कोई दुर्गुण
देखते हैं तो
एकमात्र बड़ा दोष
उनका अहंकार और
बदले की भावना
है जो मुझमें
और आपमें कूट-कूट
कर भरा हुआ
है।
मैं रावण
को CLEAN CHIT नहीं दे
रहा और न
तो अपने आराध्य
राम के समानान्तर
ला रहा हूँ।
मेरा उद्देश्य है
कि आप भी
अपने भीतर के
रावण को चिन्हाँकित
करिये। यदि आपके
भीतर रावण जैसे
अहंकार और बदले
की भावना हैं
तो यह केवल
आपके लिए ही
नहीं वरन् आपके
परिवार, आपके समाज
और आपके देश
के लिए भी
खतरनाक ही है।
इसलिए पहले अपने
भीतर के अवगुण
को समाप्त करने
का प्रयास करिये
और सद्गुणों को
दूसरों के वैचारिक
सिद्धांत में प्रवाहित
करने का प्रयास
करिये।
आप आज़ाद
और धर्म निरपेक्ष
देश के नागरिक
हैं। जैसा चाहें
अपने आस्था और
विश्वास के अनुसार
चाहे जो करें।
किन्तु मैं दशहरा के
लिए कुछ संकल्प
लेता हूँ। आपसे
भी अनुरोध करता
हूँ कि आप
भी इसे हर
साल,
हर महिने या
शुरूआती दिनों में
हर रोज दोहराने
का प्रयास करें:-
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
भी स्त्री का
अपहरण नहीं करूँगा
और न तो
किसी स्त्री को
अपमानित करने के
लिए उनका अंगभंग
करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं चाहे
कितना ही महान/श्रेष्ठ
होऊँ उसका घमंड
नहीं करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं चाहे
कितना ही क्यों
न शक्तिशाली होऊँ,
अपने शक्ति का
दुरुपयोग नहीं करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि पराए स्त्री
को माता/बहन
मानूँगा। स्त्री के
शारीरिक बनावट को
निहारूँगा नहीं। अर्थात
स्त्री को केवल
भोग विलास की
वस्तु नहीं समझूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं ऐसे
दोस्तों, भाईयों और
परिजनों का त्याग
कर दूँगा जो
विश्वासघात करने में
माहिर हैं।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
भी शर्त में
महिलाओं के मानवाधिकार
का हनन नहीं
करूँगा। अर्थात उन्हें
ग़ुलाम या दासी
नहीं समझूँगा। मैं
विधि और दुर्गम्या
को अपना PROPERTY समझकर
जुआ में नहीं
लगाऊँगा। न उन्हें
दान में किसी
अन्य को दूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं दूसरों
के अवगुणों की
निंदा करने से
पहले अपने खुद
की अवगुणों को
समाप्त करने का
प्रयास करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
दूषित मानसिकता का
शिकार नहीं रहूँगा
बल्कि स्वच्छ आत्मा
से मानवीय व्यवहार
को अपने जीवन
में शामिल करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
के बहकावे में
आकर किसी भी
प्रकार से अमानवीय
निर्णय नहीं लूँगा
और न तो
अपनी ‘‘विधि’’ का
त्याग करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
भी शर्त में
हिंसा, बदले की
भावना और दुर्भावना
जैसे अमानवीय आचरण
से ग्रसित होकर
कोई काम नहीं
करूँगा। बल्कि अपराधमुक्त
समाज की स्थापना में
अपना योगदान दूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
के शिक्षा, रोजगार,
धन,
स्वास्थ्य और मानव
अधिकारों को छीनने
का कार्य नहीं
करूँगा। न इसे
छीनने के लिए
अपने पद और POWER का दुरूपयोग करूँगा।
@ मैं
प्रतिज्ञा करता हूँ
कि मैं किसी
भी मानव से
जाति और धर्मगत
दुर्भावना, द्वेष या
नफ़रत नहीं करूँगा।
प्रिय पाठकगण,
यदि आप पुतला
दहन के पक्ष
में हैं तो
आपसे अनुरोध है
कृपया पहले आप
स्वयं ही चरित्रवान बनें।
अपने दुर्गुणों को
समाप्त करें। उसके
बाद ही रावण
का पुतला दहन
करें। अन्यथा आपके
द्वारा पुतला दहन
करना अथवा रावण
के पुतला दहन
में भाग लेना
श्रीराम का अपमान
है।
आदरणीय पाठकगण आपको
एक
मज़ेदार बात बताता
हूँ। आप जब
रावण भाई साहब के पुतला
दहन
के लिये जायें
तो अपने आसपास
के लोगों को
जरूर देखिए। वहाँ
कुछ ऐसे लोग
भी मिलेंगे जो
कभी स्त्री का
सम्मान करना ही
नहीं जानते। कुछ
बलात्कार के आरोपी
और बलात्कार के
अपराधी भी BAIL और PAROLE में आकर
रावण के पुतला दहन में
शामिल हुए मिलेंगे।
बचपन में
मैं भी हर
साल रावण के
पुतला दहन में अनिवार्य
रूप से शामिल
होता था। युवावस्था
में भी शामिल
हुआ। मैं आज
भी आपके साथ
पुतला दहन में शामिल
होना चाहता हूँ।
मगर समस्या यह
है कि रावण
के पुतला दहन में
जो हजारों बलात्कारी
जेल से BAIL और PAROLE में आकर
शामिल होते हैं
और जो लाखों
बलात्कारी लोग अपनी
सजा पूरी करके
रावण के पुतला दहन
में शामिल हो
रहे हैं उनके
साथ,
उनके बगल में
खडे़ होना मुझे
स्वीकार्य नहीं; किन्तु मैं भी कतिपय मामलों में उत्सवधर्मी ही हूँ इसलिए मैं भी पुतला दहन समारोह
में शामिल हो जाता हूँ। वैसे मैं प्रयासरत् हूँ
कि मैं रावण
के पुतला दहन में
शामिल न होऊँ बल्कि उससे पहले अपनी खुद की पुतला बनाकर दहन करूँ।
आप सबसे
निवेदन है कि
उन बलात्कारियों को
रोक सको तो
रोको कि वो रावण
के पुतला दहन में
आपके साथ शामिल
न हों। ताकि
मैं आपके साथ
रावण के पुतला दहन
में बड़ी खुशी से शामिल हो
सकूँ। मगर मैं
जानता हूँ कि आप
सब मिलकर भी
बलात्कारियों को नहीं
रोक पाएँगे और
न तो हम अपनी बहन
बेटियों के साथ
होने वाले अमानवीय घटनाओं को रोक पाएँगे; जब तक हमारी मानसिकता खराब हो। मैं बलात्कार और
क्रुरतापूर्ण हत्या के दोषियों
को कठोर सजा देने का पक्षधर हूँ।
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