मानवता: "जो स्वयं को श्रेष्ठ घोषित कर अन्य को किसी भी आधार पर छोटा/नीच मानता है उसका यह अनैतिक कृत्य उसे अमानवीय बना देता है जबकि जो मनुष्य किसी अन्य को महान/श्रेष्ठ मानकर उसे पूजता है वह स्वयं ही श्रेष्ठ बन जाता है। परन्तु इसका तात्पर्य यह कदापि नही कि वह स्वयं को नीच/छोटा समझकर सामने वाले को पूजाता हो, यदि वह ऐसा करता है तो उसका यह विचार उसे पतन की ओर ले जाता है।"
- HP Joshi
मनखे-मनखे एक समान
कोई नीच न है कोई महान
जवाब देंहटाएंVery Nice lorry booking
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