सावधान और सुरक्षित रहिए क्योंकि कोरोना वायरस इस तस्वीर में दिख रहे फूल जैसे नग्न आंखों से दिखाई नही देता। दीगर राज्य और विदेशों से आने वाले अथवा कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले कोई भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, संक्रमित व्यक्ति के हथेली देखकर आप नही जान पाएंगे कि वह संक्रमित है या नहीं। मेरे हथेली में जो कोरोना वायरस जैसे दिख रहा है वह मुडही का फूल है, मुडही को नग्न आंखों से देखा जा सकता है मगर वास्तव में कोरोना वायरस अत्यंत तुच्छ आकार के होने के कारण विशेष वैज्ञानिक तकनीक अर्थात स्पेशल कोरोना टेस्टिंग किट से ही पता चल पाता है और दिख सकता है। इस मुडही को कोई अंधा व्यक्ति भी छूकर जान सकता है कि यह कोई फूल है सायद उन्हें लगे कि यह कोई फल है, मगर आप चाहे कितने ही अच्छे या दिव्य दृष्टि रखते हों आपको कोरोना के वायरस दिखाई नही देंगे, कोरोना वायरस की भविष्यवाणी कोई ज्योतिष भी नहीं कर सकता।
आपसे अनुरोध है एक ही घर परिवार में निवासरत अपने पारिवारिक सदस्यों के अलावा शेष सभी व्यक्तियों से फिजिकल डिस्टेनसिंग रखें। जब दूसरे किसी स्थान पर या किसी अन्य व्यक्ति से मिलने जाना पड़े या किसी अन्य व्यक्ति से वार्तालाप करना पड़े तो वार्तालाप और घर से बाहर रहने के दौरान नाक और मुह को अच्छे से ढ़कने योग्य मास्क जरूर लगाएं। घर में रहें तब भी समय समय पर साबुन से हाथ धोते रहें जब साबुन से हाथ धोएं तो कम से कम 20 सेकंड तक हाथ को धोते रहें। घर या कार्यालय से बाहर जब साबुन से हाथ धोने का व्यवस्था न मिले तब अल्कोहल बेस्ड सेनेटाइजर से हाथ साफ करते रहें। लिफ्ट के बटन, गेट, संदेहास्पद वस्तुओं अथवा सामग्री इत्यादि को छूने के पहले या बाद में साबुन से हाथ धोएं या सेनेटाइजर लगाएं; घर से बाहर निकलें तो बेहतर होगा सेनेटाइजर की एक छोटी बॉटल लेकर चलें।
यह उसी मुडही का फूल है जिसके तना और हरे डालियों का उपयोग छत्तीसगढी परंपरा में विवाह के दौरान मंगरोहन (लकड़ी का पुतला पुतली) बनाने और मड़वा छाने में किया जाता है। मंगरोहन मंडप के बीच में गड़ाया जाता है। मंगरोहन के सामने ही मिट्टी के 02 करसा में पानी भरकर उसके बाहरी आवरण में गोबर से चित्र बनाकर हल्दी और कुमकुम इत्यादि से रंगे हुए चाँवल से सजाया जाता है इस करसा के ढक्कन में ही तेल के जोत जलाया जाता है। जिसके चारों ओर दूल्हा दुल्हन भांवर घूमते हैं तब विवाह संपन्न होता है। सम्भव है आप इसे अर्थात मुडही को दूसरे किसी नाम से जानते हों।
माफीनामा- मूल रूप से इस लेख का "शीर्षक कोरोना वायरस और मंगरोहन वाले मुडही के फूल है" जो ईमानदारी की बात है परन्तु शोशल मीडिया में हेडिंग आधारित बेईमानी सीखकर मैने अपने लेख का शीर्षक "कोरोना वायरस के फूल" कर दिया है। मैं अपने इस बेईमानी के लिए आप पाठक बंधुओं से माफी चाहता हूं। परन्तु इस माफीनामा से आपको सीखने की भी जरूरत है कि आज अधिकांश वेबपोर्टल में पेज व्यू बढ़ाने अर्थात एडसेन्स अथवा किसी फर्म/कंपनी से विज्ञापन पाने के लिए भ्रामक शीर्षक का प्रयोग किया जाता है, ताकि आप शीर्षक के झांसे में आकर उनके लिंक में जाएं और उन्हें व्यू मिले मगर आपको गोल-मोल भंवर में फंसाकर वापस फेंक दिया जाता है। - एच. पी. जोशी (लेखक)
माफीनामा- मूल रूप से इस लेख का "शीर्षक कोरोना वायरस और मंगरोहन वाले मुडही के फूल है" जो ईमानदारी की बात है परन्तु शोशल मीडिया में हेडिंग आधारित बेईमानी सीखकर मैने अपने लेख का शीर्षक "कोरोना वायरस के फूल" कर दिया है। मैं अपने इस बेईमानी के लिए आप पाठक बंधुओं से माफी चाहता हूं। परन्तु इस माफीनामा से आपको सीखने की भी जरूरत है कि आज अधिकांश वेबपोर्टल में पेज व्यू बढ़ाने अर्थात एडसेन्स अथवा किसी फर्म/कंपनी से विज्ञापन पाने के लिए भ्रामक शीर्षक का प्रयोग किया जाता है, ताकि आप शीर्षक के झांसे में आकर उनके लिंक में जाएं और उन्हें व्यू मिले मगर आपको गोल-मोल भंवर में फंसाकर वापस फेंक दिया जाता है। - एच. पी. जोशी (लेखक)
Written Date : 19/05/2020
Nice
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