लिख दूँ क्या ? "काव्य संग्रह"
अँगूठाछाप लेखक "किताब"
रविवार, मई 31, 2020
कहीं आपको "कलर विजन" नामक आंखों की बीमारी तो नहीं? - श्री हुलेश्वर जोशी
शनिवार, मई 30, 2020
श्री अजीत जोगी अमर हैं, महात्मा जोगी अमर रहेंगे - हुलेश्वर जोशी
गुरुवार, मई 21, 2020
हम सब भारतीय एक सामान - श्री जोशीजी की कविता
हम सब भारतीय एक सामान हमारे मन में कोई पाप नहीं।
हमको जी भर के जीना है, अपना किसी से बात नहीं।।
हम मानवता को जानते हैं, और किसी के खास नहीं।
हम सब भारतीय एक सामान मन में कोई बात नहीं।।
हिन्दू मुस्लिम दोनों ही भाई सिक्ख इसाई भी नहीं पराई।
आओ मेरे साथ आओ, आओ हो जाओ मेरे साथ में भाई।।
हमने भी तो कसम है खाई, भारत को आओ महान बनाई।
करें एक साथ काम हम, हुलेश्वर जोशी भी नहीं पराई।।
हम सब भारतीय एक सामान, हमारे मन में कोई पाप नहीं।
आओ होली के रंग में रंगें, दिवाली बिन मन उजियारा नहीं।।
हरियाली अउ गेड़ी तिहार, तीजा बिन राखी का मोल नहीं।
हम सब भारतीय एक सामान मन में कोई बात नहीं।।
हम सब भारतीय ........................
‘‘भारत के लाज आंव मै‘‘ - श्री जोशीजी की कविता
भारत के लाज आंव मै, मोला संग लगाले।
तहुं ल अपन संग ले जाहूं, मोर संग तंय जोरिया ले।।
दुरिहा खडे हंव पराय जात अस, अपन जात अपनाले।।
करिया गोरिया के भेद काबर, मानुस जात चिनहा ले।।
तेली, सतनामी अउ राउत, बामहन चाही ठाकुर कहाले।।
चरोटा भात के खवईया संगी, चना मुर्रा चाही खवादे।
भारत के लाज......
भारत के लाज आंव मैं, मोला संग लगाले।
चना ओनहारी के उपजईया मय, भले अंकरी म खवाले।।
भारत के लाज आंव मैं, मोला संग लगाले।
तइहा के गोठ ह पहाए लागिस - श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी की (कविता)
तइहा के गोठ ह पहाए लागिस
दूधारू गाय के लात ह मिठाए लागिस
शिक्षाकर्मी बहु ह गारी देथे बेटा ल
महतारी ह दरूहा बेटा बर काल पिरोए लागिस
नवा नेवरनिन घरघुसरी के राज हे
सांची के समुंदर मे नाश होही
बिहाए डउकी के बेटा ह रोटी जोहे
अउ सास ससुर देवी देवता के तिरस्कार होही
आगी लगय दुश्चरित्तर बेटा के जवानी म
एक बात आथे शिक्षाकर्मी बहुरानी म
हांथ जोर नवा नेवरनिन घरघुसरी के
महतारी रोवत हे घर दूवारी म
HP Joshi
बुधवार, मई 20, 2020
कोरोना वायरस के फूल (लेख) - श्री एच. पी. जोशी
माफीनामा- मूल रूप से इस लेख का "शीर्षक कोरोना वायरस और मंगरोहन वाले मुडही के फूल है" जो ईमानदारी की बात है परन्तु शोशल मीडिया में हेडिंग आधारित बेईमानी सीखकर मैने अपने लेख का शीर्षक "कोरोना वायरस के फूल" कर दिया है। मैं अपने इस बेईमानी के लिए आप पाठक बंधुओं से माफी चाहता हूं। परन्तु इस माफीनामा से आपको सीखने की भी जरूरत है कि आज अधिकांश वेबपोर्टल में पेज व्यू बढ़ाने अर्थात एडसेन्स अथवा किसी फर्म/कंपनी से विज्ञापन पाने के लिए भ्रामक शीर्षक का प्रयोग किया जाता है, ताकि आप शीर्षक के झांसे में आकर उनके लिंक में जाएं और उन्हें व्यू मिले मगर आपको गोल-मोल भंवर में फंसाकर वापस फेंक दिया जाता है। - एच. पी. जोशी (लेखक)
रविवार, मई 17, 2020
प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य H3 होनी चाहिए; जानिए H3 क्या है?
कर्म, कर्मफल और कर्म के लेखा जोखा का सिद्धांत - श्री हुलेश्वर जोशी
कर्म
का सिद्धांत क्या
है?
कर्मफल क्या है?
इसे जानने के
पहले हमें कर्म
को जानना होगा,
कि कर्म क्या
है?
कर्म किसे कहेंगे?
कर्म अच्छे हैं
या बुरे? इसके
लेखा जोखा का
क्या सिद्धांत है?
कर्म का फल
स्वयं के कर्म
के अनुसार मिलता
है कि हिस्सेदारी
वाली होती है?
इन सब प्रश्नों
का उत्तर जानने
के लिए धरमचंद
और करमचंद को
जान लेते हैं।
करमचंद और
धरमचंद दोनों बचपन
के साथी हैं।
दोनों का जन्म
भी एक ही
दिन हुआ है।
कद,
काठी और देखने
में लगभग एक
जैसे ही लगते
हैं। कोई अजनबी
यदि अलग-अलग
समय में करमचंद
और धरमचंद से
मिले तो धोखे
में रहेगा कि
दोनों व्यक्ति जिनसे
वह मिला है
एक ही व्यक्ति
है कि अलग
अलग दो हैं।
TWIN CELEBRITY SISTERS
CHINKI MINKI की तरह।
करमचंद और
धरमचंद दोनों आश्रम
में पढ़ते थे
तभी उनके गुरुजी
ने इनके बीच
मितानी करवा दिया।
परिवार के बड़ों
ने भोजली भी
बदवा दिया। इस
प्रकार से इनकी
अच्छी गाढ़ी दोस्ती
हो गई है।
दोनों एक दूसरे
के घनिष्ठ मित्र
हो चुके हैं।
इनकी मित्रता
कुछ-कुछ
सुदामा के मित्रता
से मिलता है।
केवल असमानता इस
बात की है
कि,
सुदामा और गोपाल
दादीरस का पान
नहीं करते हैं
जबकि करमचंद और
धरमचंद दादीरस के
आदी हैं। इनकी
मित्रता, मित्र के
लिए समर्पण और
सम्मान कर्ण से
अधिक है। भिन्नता
है तो केवल
इस बात की
कि,
कर्ण ने दुर्योधन
के इच्छा को
अपना धर्म बना
लिया है जबकि
करमचंद और धरमचंद
के मित्रता की
आत्मा देशी चेपटी के
भीतर बसती है।
मानो ये चेपटी
उनके लूँगी के
गाँठ में स्वयं
को गौरवान्वित समझते
हों शायद इसी लिए चेपटी को
ये मान्यवर अपनी
आत्मा समझते हैं।
करमचंद अपने
मितान धरमचंद के
विवाह समारोह में
नृत्य कर रहा
था। अचानक बैण्ड
वाले ने नागिन
DANCE वाला
MUSIC बजा
दिया। फिर क्या
था करमचंद नागिन
DANCE करने
लगा। बिधुन होकर
नाचते नाचते बेहोश
भी हो गया।
करमचंद के बम
में पथरीले सड़क
के नुकीले पत्थर
चुभ गया है
इसके बावजूद वह
नाच रहा है।
नीचे लूँगी खून
से लथपथ हो
चुका है। उसके
खून से कुछ
और लोग भी
लथपथ हो चुके
हैं। चस्माराम भी
खून से भीग
चुका है।
दादीरस की
दुकान के पास
किसी ने चस्माराम
को बताया कि
उसका कपड़ा खून
से भींग चुका
है। चस्माराम अपने
वस्त्र के भीतर
शरीर को CHECK किया
तब पता चला
कि उन्हें कोई
चोट नहीं है।
वापस आकर चस्माराम
ने BAND बाजा रूकवाया
और लोगों को
बताया तब पता
चला कि करमचंद
को चोट लगी
है। करमचंद अपने
लूँगी और शरीर
के खून को
देखते ही मूर्छित
हो गया।
अब चलो
समीक्षा करते हैं।
पता लगाने का
प्रयास करते हैं
कि,
करमचंद को क्यों
चोट लगी? क्या
पिछले जन्म में
उसने कोई पाप
किया था? क्या
उसने किसी के
लिए गड्ढे खोदे
थे जिसमें वह
गिरा है। क्या
करमचंद पापी था?
क्या करमचंद का
नृत्य करना पाप
था?
क्या करमचंद और
धरमचंद में पिछले
किसी जन्म में
कोई दुश्मनी थी?
या कभी करमचंद
और धरमचंद की
होने वाली पत्नी
के बीच कोई
पिछले जन्म की
दुश्मनी थी?
क्या सड़क
बनाने वाले ठेकेदार
की गलती थी?
क्या सरकार की
गलती है जो
कच्चे रास्ते को
उन्नत कर गिट्टी
मुरम का रोड़
बनवा दिया? क्या
BAND वाले
की गलती है
जो उसने नागिन
DANCE के
लिए MUSIC बजा दिया?
क्या धरमचंद की
गलती है कि
उसने अपने विवाह
में BAND लगवाया? क्या
धरमचंद के बाप
की गलती थी
जो उन्होंने धरमचंद
का विवाह तय
कर दिया? क्या
दादीरस का गलती
है जिसे करमचंद
ने पी रखी
है?
क्या दादीरस बनाने
वाले गनेशुराम की
गलती है? क्या
धरमचंद के छोटे
भाई मतवारीलाल की
गलती है जिसने
DISTILLED
WATER OF DRIED FLOWER JUICE MEANS MAHUA DARU खरीद
लाया और करमचंद
को पीने दिया
है?
कही ये
विधि का
विधान तो नहीं
है जो ऐसा
होना तय ही
था। परन्तु तय
होने का भी
कोई तो कारण
अथवा सिद्धांत अवश्य होनी
चाहिए। फल की
जिम्मेदारी कौन लेगा?
किसके या किस-किस
के कर्म पर
आरोप लगाया जाए
जिसके कारण करमचंद
अभी मूर्छित है?
उत्तर बिल्कुल
समझ और बुद्धि
के पकड़ से
दूर ही है।
हर अनुमान पहले
सटीक जान पड़ता
है,
फिर कुछ ही
समय में उत्तर
से दशकों प्रकाशवर्ष
दूर चले जाते
हैं। यही प्रक्रिया
अर्थात दूर और
निकट का खेल
बारम्बार नियमित रूप
से पुनरावृत्ति होती
है। करमचंद और
धरमचंद की कहानी
पढ़ने के बाद
कर्मफल का जो
सटीक उत्तर मिला
है उसके अनुसार
प्रतीत होता है
कि यहाँ FULLY
PARTNERSHIP GAME है। कोई
अकेला व्यक्ति अथवा
उसके पूर्वजन्म के
कर्म ही उनके
मूर्छा होने का
कारण नहीं है।
बल्कि प्रश्न के
दायरे में आने
वाले सभी व्यक्ति
और उनके कर्म
करमचंद के कष्ट
का कारण हैं।
संभव है किसी
भी कर्म और
कर्मफल का अकेला
कोई व्यक्ति अथवा
संबंधित व्यक्ति और
उनके कर्म जिम्मेदार
न हों। इसलिए
करमचंद के मूर्छा
के लिए सभी
कुछ-कुछ मात्रा में
जिम्मेदार हैं; ऐसा
मान लेना उचित
प्रतीत होता है।
क्या कर्म
का खाता होता
है?
क्या कर्म का
एक ही ACCOUNT होता
है एक जीवन
के लिए। क्या
एक जीवन के
कर्म का ACCOUNT सैकड़ो
लाखों की संख्या
में हो सकता
है?
क्या पति-पत्नी
की JOINT ACCOUNT होता है?
क्या आपके कर्म
के ACCOUNT से आपके
निकट या दूर
पीढ़ी को कुछ
हिस्से मिलेंगे? क्या
कर्म का ACCOUNT आपके
जन्म जन्माँतर तक
चलता रहेगा? कर्म
के ACCOUNT अर्थात लेखा
जोखा या खाता
से संबंधित सैकड़ों
प्रश्न उठते हैं।
परंतु क्या इन
सैकड़ों प्रश्नों का
कोई अत्यंत सटीक
उत्तर दे सकता
है?
उत्तर आता
है
‘‘नहीं।’’ नहीं क्यों?
क्योंकि यह एक
अनुमान है। मानक
SOP है।
आपका भ्रम मात्र
है। सत्य तो
क़दापि नहीं है।
यदि सत्यता है,
तो साक्ष्य भी
मिलना चाहिए। ठीक
वैसे ही जैसे
आपके YAHOO, HOTMAIL और GMAIL ACCOUNTS का
साक्ष्य है। आपके
SOCIAL
MEDIA ACCOUNTS जैसे
INSTAGRAM,
TWITTER, BLOGGER, FACEBOOK और TIKTOK के
साक्ष्य मिलते हैं।
ओह् माफ़ करना
TIKTOK भारत
में प्रतिबंधित है।
ठीक वैसे ही
जैसे बैंकों के
SAVINGS ACCOUNT, LOAN
ACCOUNT, FIXED DEPOSIT, RECURRING DEPOSIT, LIFE INSURANCE और TERM PLAN इत्यादि का
ACCOUNT होता
है।
कर्म का
खाता तो दिखाई
ही नहीं देता।
इसके साक्ष्य भी
नहीं मिलते। तो
क्या यह मान
लिया जाए कि,
कर्म का ACCOUNT नहीं
होता? क्या ये
मान लें कि
कर्म की ACCOUNT जैसी बात कोरी
कल्पना है?
मगर अभी
भी इसमें थोड़ा
संदेह नजर आता
है। क्योंकि हम
हजारों वर्षों से
यह मानते आ
रहे हैं कि,
कर्म का ACCOUNT और
लेखा जोखा होता
है। फिर एक
झटके में इन
चंद प्रश्नों के
झाँसे में आकर
अपनी बनी बनाई
SOP
को खारिज करके
अपनी अनुशासन क्यों
बदल डालें? क्यों
मानने लगें कि
कर्म का ACCOUNT नहीं
होता? खाता नहीं
होता।
समस्या ये
है कि, इसे
मानने पर भी
द्वन्द है। ‘कैसा
द्वन्द?’ इसे समझने
के पहले हम
लगभग एक लाख
ईसा साल पूर्व
चलते हैं। नजूलनाथ
और फजूलनाथ दो
सगे भाई हैं।
दोनों रतिहारिन की
संतान हैं। रतिहारिन
रोमसिंग कबीला के
कबीला प्रमुख की
पत्नी है। जब
कबीला प्रमुख रोमसिंग
दूसरे कबीलों को
अपने कब्जे में
लेने के अभियान
में चले गये
और लंबे बसंत
तक वापस नहीं
आए तो रतिहारिन
को उनकी चिंता
होने लगी। वह
रोमसिंग की तलाश में
निकल पड़ी। कुछ
कबीला तक उनके
यात्रा के दौरान
उनका ख़ूब सम्मान
हुआ।
रोमसिंग को
खोजते हुए लगभग
दो बसंत बीत
जाने के बाद,
रतिहारिन अपने रक्षकों
और अश्व के
बिना नदी किनारे
वह स्वयं को
पाईं। अब वह
गर्भवती और भोली
हो चुकी है।
उन्हें पता नहीं
कि कब, कैसे
और किसके या
किस-किस
के योगदान से
वह गर्भवती हुई
है?
वह आसपास के
कबीले में गई
तो किसी ने
उसे बताया कि
वह कबीला प्रमुख
रोमसिंग की पत्नी
है।
कुछ ही दिनों
में रोमसिंग
को भी इसकी
सूचना मिल गई।
वे रतिहारिन को
अपने राज्य ले
आये। अब शोध
शुरू हुआ कि
रतिहारिन कैसे गर्भवती
हुई। सबके सब
जानने में असफल
रहे। तब एक
दरबारी मंत्री ने
कहा इसे प्रकृति
का संतान मान
लेना चाहिए अथवा
शक्तिमान का आशीर्वाद
मान लेना चाहिए।
ठीक ऐसा ही
हुआ। क्योंकि दिमाग
खपाने और परिणाम
नहीं मिलने की
संभावना को देखते
हुए दरबारी मंत्री
की बात मान
लेना ही बेहतर
विकल्प था। वैसे आपने भी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा श्री रामचरितमानस में लिखी चौपाई को
सुना होगा जिसमें उन्होंने कहा है “समरथ को नहीं दोष गोसाईं, रवि सुरसरि पावक की नाईं।”
कुछ दिनों
में रतिहारिन ने
जुड़वा संतान को
जन्म दिया। उनका
नाम रखा गया,
नजूलनाथ और फजूलनाथ।
दोनों अत्यंत शक्तिशाली
और अपने समय
में विख्यात कबीला
प्रमुख हुये। नजूलनाथ
और फजूलनाथ के
जन्म का रहस्य
किसी को पता
नहीं। स्वयं रतिहारिन
को भी नहीं।
क्योंकि दीर्घकाल तक
वह बेसुध रही।
रतिहारिन स्मरण
शक्ति खो चुकी
है। मगर कोई
शक्ति तो लगा
है। कोई क्रिया
तो हुई है
जिसके कारण नजूलनाथ
और फजूलनाथ का
जन्म हुआ है।
कोई तो ACCOUNT खोला
होगा। प्राकृतिक संयोग
के बिना रतिहारिन
का गर्भवती होना
संभव ही नहीं
है।
रोमसिंह के
पास विवेचना का
कोई विकल्प नहीं
था इसका मतलब
ये नहीं कि
यह पूरा मामला
समझ से परे
है। बल्कि स्पष्ट
है। चूँकि रोमसिंग,
नजूलनाथ और फजूलनाथ
ही नहीं बल्कि
उनके आगे के
संतान भी अत्यंत
शक्तिशाली हुए इसलिए
किसी में साहस नहीं
था कि कोई
यह कहे कि
नजूलनाथ और फजूलनाथ
का जन्म ठीक
उनके जैसे ही
सामान्य संयोग से
हुआ है। अर्थात
रतिहारिन का बलात्कार
हुआ है।
हालाँकि कर्म,
कर्म के सिद्धांतों
और उससे जुड़े
इन प्रश्नों का
सटीक और सर्वमान्य
जवाब अभी तक
किसी के पास
नहीं है। अतः
जब तक आप
साहस और बुद्धि
से काम नहीं
लेंगे; तब तक आपको मानना ही पड़ेगा कि नजूलनाथ और
फजूलनाथ प्रकृति की
संतान है यानि शक्तिमान
के आशीर्वाद से
रतिहारिन गर्भवती हुई
है।
अंत में
यह साफ कर
देना चाहता हूँ
कि यह कहानी
कर्म, कर्म के
सिद्धांत, कर्म का
खाता जैसे महत्वपूर्ण
प्रश्नों के सटीक
उत्तर देने में
असफल है। आप
स्वयं को अँधेरे
से उजाले की
ओर ले जाने
का प्रयास करेंगे
तो संभव है
समुद्र तट के
नन्हे कछुआ जैसे
भ्रम में पड़कर
चंद्रमा की रोशनी
समझकर RESTAURANT में लगे
LED
LIGHTS के पास
पहुँच जाएँ। इसलिए बुद्ध
की बात मानिये, जो उन्होंने कहा है “अप्प दीपो भव”
महत्वपूर्ण एवं भाग्यशाली फ़ॉलोअर की फोटो
Recent Information and Article
Satnam Dharm (सतनाम धर्म)
Durgmaya Educational Foundation
Must read this information and article in Last 30 Day's
-
टायफाइड, लक्षण और प्राथमिक उपचार के सुझाव बेसिक परिचय : आंत्र ज्वर (अंग्रेज़ी:टाइफायड) जीवन के लिए एक खतरनाक रोग है जो कि सलमो...
-
गुरू घासीदास जयंती विशेषांक: गुरु घासीदास बाबा जी के 07 सिद्धांत, प्रचलित 42 अमृतवाणी (उपदेश) और 27 मुक्ता (हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में) संक्षि...
-
दहिमन क्या है; दहिमन के मुख्य फ़ायदे क्या है? : श्री हुलेश्वर जोशी दहिमन मुख्यतः वनऔषधीय पेड़ है; जिसके उपयोग से स्थानीय लोग और आयुर्वेद चिकित...
-
800मीटर और 1500 मीटर दौड़ के सात मुख्य नियम (सेना, सशस्त्र बल और पुलिस भर्ती हेतु विशेषरूप से उपयोगी)800मीटर और 1500 मीटर दौड़ के सात मुख्य नियम (सेना, सशस्त्र बल और पुलिस भर्ती हेतु विशेषरूप से उपयोगी) Seven main rules of 800 meter and 1500 ...
-
Chhattisgarh Police Advertisement छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती शारीरिक दक्षता परीक्षा मद एवं प्राप्तांकों की जानकारी DEF (CONST.) - Physical Test S...
-
गुरु घासीदास बाबा जयंती विशेषांक : गुरु घासीदास के सप्त सिद्धांत और अमृतवाणियाँ मानव मानव के बीच प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, समानता और न्याय क...
-
100 मीटर दौड़ के सात मुख्य नियम (सेना, सशस्त्र बल और पुलिस भर्ती हेतु विशेषरूप से उपयोगी) Seven main rules of 100 meter race (especially usef...
-
छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक (जीडी) भर्ती हेतु सफलता के नियम : आपकी नौकरी पक्की; यदि आप इन नियमों का करेंगे पालन Rules of success for Chhattisgar...
-
भापुसे प्रभात कुमार ने दिनांक 08.02.2024 को जिला नारायणपुर के 22वीं पुलिस अधीक्षक के रूप में लिया पदभार IPS Prabhat Kumar took charge as ...
-
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" नामक किताब की खासियत क्या है ? अँगूठाछाप लेखक - ‘‘अबोध विचारक के बईसुरहा दर्शन’’ एक असफल सा...