हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
एको जीव गंवावय झन, उदिम अईसे करबो।।
जोडी संग वादा निभाबोन,
जिनगी ल बचाबो।
सरकार के बात मानके,
घर के भीतरी रहिबो।।1।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
चाउर दार के नई हे कमी,
ए बात ल बगराबो।
फोकट म सरकार देवत हवय
रांध-रांध के खाबो।।2।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
जीमी कांदा-सेमी खोईला
जम्मो सुकसी ल सिरवाबो।
पाछू साल के अथान आम के
चांट-चांट चटकारबो।।3।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
मही म चाउर पिसान घोर,
कढ़ी सुग्घर बनाबो।
सुखा मिरचा अउ लहसुन के
चटनी म खाबो।।4।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
पसई नून खाके
जिनगी ल बचाबो।
तभेच माई पिला मिलके
हरेली ल मनाबो।।5।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
फोकट घर ले निकलन नहीं,
तिरि पासा खेलबो।
दारू-कुकरी के पइसा बचाके
नोनी बर फराक लेबो।।6।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
घर के भीतरी उधमकूद
लईका संग करबो।
हमरो बंस ह अमर राहय,
बुता अईसे करबो।।7।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
मेयार म साडी अरझाके
बाबू ल झुलना झूलाबो।
एक साहर के राजा कहिके
सुग्घर कहानी सुनाबो।।8।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
अंगना म गहिरा कोडके
करा बाटी खेलबो।
बारी म रेंहचूल बांध के
एहू ल झूलाबो।।9।।
हावय हमर संकल्प, अब कोरोना ले लडबो।
रचनाकार - एचपी जोशी, नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
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