Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" नामक किताब की खासियत क्या है ?
अँगूठाछाप लेखक - ‘‘अबोध विचारक के बईसुरहा दर्शन’’ एक असफल सामाजिक जागरूकता पर आधारित ग्रँथ है। Angutha Chhap Lekhak अँगूठाछाप लेखक न तो आत्मकथा है, न उपन्यास है, न एकाँकी है और न तो कहानी है। वास्तव में यह फिलॉसोफी भी नहीं है। बल्कि समस्त प्रकार के साहित्यिक संरचनाओं से प्रेरित और साहित्य के कसौटियों से परे एक ग्रँथ है। निःसंदेह समूचे विश्व में इस ग्रँथ से बेहतर लाखो ग्रँथ, क़िताब, साहित्य, दर्शन शास्त्र और धार्मिक पुस्तकें होंगे जो इससे कई गुणा बेहतर और सटीक मार्गदर्शन करता होगा परन्तु यह ग्रँथ एक नवीन ऑडियोलॉजी और साइंटिफिक थिंकिंग प्रस्तुत करता है।
चाहे क्यों न यह ग्रँथ लेखक की असफलता और अपरिपक्वता को चिन्हाँकित और प्रमाणित करता हो। चाहे क्यों न लेखक अपने विचार और फिलॉसोफी को समाज में थोपने के प्रयास से असफल रहा हो। फिर भी इस ग्रँथ के माध्यम से लेखक नें हंड्रेड्स क़्वेश्चन के साथ आपको नवदर्शन के अनुरूप सोचने और बौद्धिक विकास के लिए मजबूर करता है। यह ग्रँथ आपको एक बेहतरीन नवीन ऑडियोलॉजी के नाम पर ढ़ेर सारा प्रश्न और अधूरे स्पष्टीकरण के साथ आपको निराश भी करता है। यदि आप स्वयं न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुकूल तर्क करने में सक्षम नहीं हैं अपना उत्तर खोजने के योग्य नहीं हैं, Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" को पढ़ना आपके लिए बेचैनी का कारण बनेगा। इस क़िताब से आपको कोई विशेष शिक्षा अथवा जानकारी नहीं मिलेगी। यदि आप किसी पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं अथवा किसी विचारधारा के अंधग़ुलाम हैं तो आप इस ग्रँथ को बिलकुल मत पढ़िए। आपको लेखक के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए प्रेरित होना पड़ सकता है। क्योंकि आप जिन कृत्य को अपनी गौरवशाली परंपरा और संस्कृति मानते आ रहे हैं, लेखक उन्हीं कृत्यों पर संवैधानिक कर्तव्यों का हवाला देते हुए नए साइंटिफिक थिंकिंग के साथ तर्क करने का प्रयास करेंगे। फिर आपके पास दो विकल्प हो सकते हैं, पहला यह कि आप अपनी बुद्धि और तर्क के बल पर अंध ग़ुलामी से मुक्त हो जाएँ और दूसरा यह कि आप यथावत उसी विचारधारा के साथ आँख मुँदकर चलते रहें, चाहे वह कितना ही गलत क्यों न हो। आप अन्याय जानकर भी राइट टू क़्वेश्चन एंड स्पीकिंग का प्रयोग नहीं करेंगे बल्कि सहते रहेंगे, ढ़ोते रहेंगे।
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" वर्तमान परिवेश में चल रहे व्यक्तिगत, सामाजिक तथा धार्मिक विश्वास और गौरवशाली परंपरा के नाम पर चले आ रहे बुराइयों पर साइंटिफिक थिंकिंग विकसित करने का प्रयास है। यह ग्रँथ एरर.फ्री नहीं बल्कि एरर.फुल प्रकाशित है। मूलतः इस ग्रँथ में मौजूद त्रूटि और स्वच्छंदता ही इसके ओरिजिनल एलिमेंट्स हैं। मूल रूप से हिन्दी भाषा में लिखे इस ग्रँथ में इंग्लिश और छत्तीसगढ़ी के शब्दों, वाक्यों और कहावतों का प्रयोग हुआ है। ये ग्रँथ हिन्दी भाषी लोगों को छत्तीसगढ़ी सीखने तथा बोलने के लिए प्रेरित कर सकती है। इसमें ऐसे शब्दसंयोग भी मिलेंगे जो शायद किसी भी डिक्शनरी में न हो। आत्म-आलोचना और अपमानजनक सम्बोधन के साथ लेखक ने हिडन मैसेज दिया है। यह ग्रँथ पाठकों को न सिर्फ सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए प्रेरित करती है वरन् साहित्य लिखने के लिए बुद्धिजीवी होने अथवा अधिक पढ़े लिखे होने की अनिवार्य योग्यता वाली मानसिकता पर भी कठोर प्रहार करता है। लेखक इस क़िताब के माध्यम से हिस्टोरिकल बुक्स पर भी क़्वेश्चन करता है।
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब के लेखक कौन हैं ?
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब के लेखक श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी जी हैं ।
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब किस प्रकाशन से प्रकाशित होगी ?
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब का प्रकाशन "श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी, रायपुर-छत्तीसगढ़ www.thebharat.co.in" से होगी।
बेहतरीन किताब, अच्छी समीक्षा... जरूर पढ़ें इस किताब को
जवाब देंहटाएंमेरी अगली किताब *"अंगूठाछाप लेखक - अबोध विचारक के बईसुरहा दर्शन"* दिनांक 21 फरवरी 2025 को प्रकाशित होगी; समूचे विश्व के हिंदी भाषी पाठकों को सादर सूचनार्थ.....
जवाब देंहटाएं(हुलेश्वर प्रसाद जोशी)
लेखक, विचारक एवं दार्शनिक
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