"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शुक्रवार, जनवरी 10, 2020

अधिकारियों/स्टाफ की पदोन्नति एवं समयमान वेतनमान स्वीकृति के कार्यों को प्राथमिकता से पूर्ण कराया जावे - श्री जी.पी. सिंह, एडीजी

एडीजी श्री जी.पी. सिंह, नें लोक अभियोजन संचालनालय में अभियोजन अधिकारियों की मीटिंग ली 

न्याय प्रणाली में लोक अभियोजन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है - श्री जी.पी. सिंह, एडीजी 

अधिकारियों/स्टाफ की पदोन्नति एवं समयमान वेतनमान स्वीकृति के कार्यों को प्राथमिकता से पूर्ण कराया जावे - श्री जी.पी. सिंह, एडीजी 

आज दिनांक 10.01.2019 को श्री जी. पी. सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ईओडब्ल्यू/एसीबी एवं संचालक, लोक अभियोजन द्वारा इन्द्रावती भवन, नवा रायपुर स्थित लोक अभियोजन संचालनालय में अभियोजन अधिकारियों की मीटिंग ली गई। इस मीटिंग में लोक अभियोजन संचालनालय के अधिकारियों के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों में पदस्थ उप संचालक-अभियोजन, संयुक्त संचालक, जिला अभियोजन अधिकारी एवं सहायक जिला अभियोेजन अधिकारी उपस्थित रहे। समीक्षा बैठक में श्री जी. पी. सिंह ने उपस्थित अभियोजन अधिकारियों को संबोधित करते हुए निर्देशित किया कि:- 
न्याय प्रणाली में लोक अभियोजन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, अतएव प्रत्येक अभियोजन अधिकारी अपने पदजनित दायित्वों का निर्वहन उत्साह व निष्ठा से संपादित करें। 
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गुजरात राज्य विरूद्ध किसन लाल एवं अन्य में दिनांक 7.1.2014 को पारित निर्णय में, दोषमुक्ति के प्रकरणों की समीक्षा कर यथोचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं, जिसका पालन सुनिश्चित करें।
प्रभा साहू विरूद्ध छ.ग.शासन में माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा पारित दिशा-निर्देशों के तहत शासकीय अभिभाषक से समय-सीमा में ऐसे प्रकरणों की जानकारी अनिवार्य रूप से प्राप्त की जावे, जिसमें शासन की ओर से अपील न किया गया हो तथा उसकी समीक्षा कर यथोचित कार्यवाही सुनिष्चित करें।
तिजउ राम कंवर विरूद्ध छ.ग.शासन में माननीय उच्च न्याायालय, बिलासपुर द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुसार ब्रीफों का संधारण सुनिश्चित करें तथा संबंधित प्रकरणों के निराकरण उपरांत ब्रीफों के नष्टीकरण हेतु समय-सीमा का निर्धारण शासन को प्रस्तावित करें।
सत्र न्यायालय में पैरवी के लिये उप संचालक-अभियोजन को अतिरिक्त लोक अभियोजक घोषित किया गया है, अतएव संबंधित जिला कलेक्टर से संपर्क कर सत्र न्यायालय का आबंटन सुनिश्चित करावें।
अपने प्रभार के न्यायालयों में पारित निर्णयों की प्रतिलिपि अविलम्ब प्राप्त करें, उसकी समीक्षा करें तथा आवश्यकतानुसार उस पर विधिसम्मत अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करावें। 
सभी स्टेक होल्डर विभागों से यथोचित तालमेल बनाकर रखें, ताकि कार्य संपादन में सुगमता हो।
जिला मुख्यालयों में अभियोजन कार्यालयों के निर्माण के लिये जिला कलेक्टर एवं डिस्ट्रिक्ट जज से संपर्क कर जमीन का आबंटन करावें, ताकि शासन स्तर पर भवन निर्माण हेतु यथोचित पहल की जा सके।
इसी तरह व्यावसायिक दक्षता में सुधार के लिये समय-समय पर प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं का आयोजन कराया जावे, जिसमें ज्यूडिसरी के अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों को आहूत कर अभियोजन अधिकारियों को प्रशिक्षित करायें। 
अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर यथोचित निगाह एवं नियंत्रण रखें। उनके कार्य की गुणवत्ता में सुधार के लिये उनके कार्यों की लगातार समीक्षा करें एवं आवश्यकतानुसार उनका समुचित मार्गदर्शन करें। 
अधीनस्थों के कार्यों की सतत मानीटरिंग के लिये यह आवश्यक है कि पर्यवेक्षणीय अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों का समयानुसार निरीक्षण करें। अतिरिक्त संचालक- अभियोजन इस हेतु एकजाई निरीक्षण रोस्टर जारी करें।
अधिकारियों/स्टाफ की पदोन्नति एवं समयमान वेतनमान स्वीकृति के कार्यों को प्राथमिकता से पूर्ण कराया जावे।

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शनिवार, जनवरी 04, 2020

एडीजी श्री जीपी सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर नये साल की बधाई दी

एडीजी श्री जीपी सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर नये साल की बधाई दी

आज दिनांक 04/01/2020 को आईपीएस एसोसिएशन के अधिकारियों ने माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मिलकर नये साल की बधाई दी। इस दौरान श्री डीएम अवस्थी, पुलिस महानिदेशक, श्री जीपी सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ईओडब्ल्यू/एसीबी रायपुर, श्री आनंद छाबडा, आईजी रायपुर, श्री सुन्दरराज पी, डीआईजी बस्तर, श्री शेख आरिफ हुसैन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, रायपुर एवं श्रीमती पारूल माथूर, पुलिस अधीक्षक जांजगीर चाम्पा सहित अन्य आईपीएस अधिकारी उपस्थित रहे। माननीय मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों के कार्य की सराहना करते हुए बेहतर पुलिसिंग के लिए कार्य करने के लिए अपनी शुभकामना दी।

बुधवार, जनवरी 01, 2020

AnguthaChhap Lekhak : अँगूठाछाप लेखक - ‘‘अबोध विचारक के बईसुरहा दर्शन’’ नामक किताब की खासियत क्या है ?



Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" नामक किताब की खासियत क्या है ?

अँगूठाछाप लेखक - ‘‘अबोध विचारक के बईसुरहा दर्शन’’ एक असफल सामाजिक जागरूकता पर आधारित ग्रँथ है। Angutha Chhap Lekhak अँगूठाछाप लेखक न तो आत्मकथा है, न उपन्यास है, न एकाँकी है और न तो कहानी है। वास्तव में यह फिलॉसोफी भी नहीं है। बल्कि समस्त प्रकार के साहित्यिक संरचनाओं से प्रेरित और साहित्य के कसौटियों से परे एक ग्रँथ है। निःसंदेह समूचे विश्व में इस ग्रँथ से बेहतर लाखो ग्रँथ, क़िताब, साहित्य, दर्शन शास्त्र और धार्मिक पुस्तकें होंगे जो इससे कई गुणा बेहतर और सटीक मार्गदर्शन करता होगा परन्तु यह ग्रँथ एक नवीन ऑडियोलॉजी और साइंटिफिक थिंकिंग प्रस्तुत करता है।

चाहे क्यों न यह ग्रँथ लेखक की असफलता और अपरिपक्वता को चिन्हाँकित और प्रमाणित करता हो। चाहे क्यों न लेखक अपने विचार और फिलॉसोफी को समाज में थोपने के प्रयास से असफल रहा हो। फिर भी इस ग्रँथ के माध्यम से लेखक नें हंड्रेड्स क़्वेश्चन के साथ आपको नवदर्शन के अनुरूप सोचने और बौद्धिक विकास के लिए मजबूर करता है। यह ग्रँथ आपको एक बेहतरीन नवीन ऑडियोलॉजी के नाम पर ढ़ेर सारा प्रश्न और अधूरे स्पष्टीकरण के साथ आपको निराश भी करता है। यदि आप स्वयं न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुकूल तर्क करने में सक्षम नहीं हैं अपना उत्तर खोजने के योग्य नहीं हैं, Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" को पढ़ना आपके लिए बेचैनी का कारण बनेगा। इस क़िताब से आपको कोई विशेष शिक्षा अथवा जानकारी नहीं मिलेगी। यदि आप किसी पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं अथवा किसी विचारधारा के अंधग़ुलाम हैं तो आप इस ग्रँथ को बिलकुल मत पढ़िए। आपको लेखक के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए प्रेरित होना पड़ सकता है। क्योंकि आप जिन कृत्य को अपनी गौरवशाली परंपरा और संस्कृति मानते आ रहे हैं, लेखक उन्हीं कृत्यों पर संवैधानिक कर्तव्यों का हवाला देते हुए नए साइंटिफिक थिंकिंग के साथ तर्क करने का प्रयास करेंगे। फिर आपके पास दो विकल्प हो सकते हैं, पहला यह कि आप अपनी बुद्धि और तर्क के बल पर अंध ग़ुलामी से मुक्त हो जाएँ और दूसरा यह कि आप यथावत उसी विचारधारा के साथ आँख मुँदकर चलते रहें, चाहे वह कितना ही गलत क्यों न हो। आप अन्याय जानकर भी राइट टू क़्वेश्चन एंड स्पीकिंग का प्रयोग नहीं करेंगे बल्कि सहते रहेंगे, ढ़ोते रहेंगे।

Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" वर्तमान परिवेश में चल रहे व्यक्तिगत, सामाजिक तथा धार्मिक विश्वास और गौरवशाली परंपरा के नाम पर चले आ रहे बुराइयों पर साइंटिफिक थिंकिंग विकसित करने का प्रयास है। यह ग्रँथ एरर.फ्री नहीं बल्कि एरर.फुल प्रकाशित है। मूलतः इस ग्रँथ में मौजूद त्रूटि और स्वच्छंदता ही इसके ओरिजिनल एलिमेंट्स हैं। मूल रूप से हिन्दी भाषा में लिखे इस ग्रँथ में इंग्लिश और छत्तीसगढ़ी के शब्दों, वाक्यों और कहावतों का प्रयोग हुआ है। ये ग्रँथ हिन्दी भाषी लोगों को छत्तीसगढ़ी सीखने तथा बोलने के लिए प्रेरित कर सकती है। इसमें ऐसे शब्दसंयोग भी मिलेंगे जो शायद किसी भी डिक्शनरी में न हो। आत्म-आलोचना और अपमानजनक सम्बोधन के साथ लेखक ने हिडन मैसेज दिया है। यह ग्रँथ पाठकों को न सिर्फ सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए प्रेरित करती है वरन् साहित्य लिखने के लिए बुद्धिजीवी होने अथवा अधिक पढ़े लिखे होने की अनिवार्य योग्यता वाली मानसिकता पर भी कठोर प्रहार करता है। लेखक इस क़िताब के माध्यम से हिस्टोरिकल बुक्स पर भी क़्वेश्चन करता है।

Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब के लेखक कौन हैं ?
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब के लेखक श्री हुलेश्वर प्रसाद जोशी जी हैं । 

Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब किस प्रकाशन से प्रकाशित होगी ?
Angutha Chhap Lekhak "अँगूठाछाप लेखक" किताब का प्रकाशन "श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी, रायपुर-छत्तीसगढ़ www.thebharat.co.in" से होगी। 


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