पूरे देश के सभी क्रूर हत्यारे और बलात्कारियों को तीन महीने के भीतर सजा दी जा सकती है।
तीन दिन में ही क्रूर हत्या और रेप के आरोपी को फांसी दी जा सकती है, वह भी न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप।
तीन दिन में ही क्रूर हत्या और रेप के आरोपी को फांसी दी जा सकती है, वह भी न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप।
(एक विकल्प (एक आईडिया) बलात्कार और हत्या के आरोपियों के लिए न्याय व्यवस्था हेतु)
कैसे, बिना सेसन ट्रायल, केवल माननीय उच्च न्यायालय के सीटिंग जज के सामने फोरेंसिक जांच के बाद आरोपी गिरफतार होने के तीसरे दिन ही आरोपी को फासी की सजा दी जा सकती है। इस संबंध में इस लेख में विस्तृत सुझाव और जानकारी दी गई है, लेख पढ़ने के पहले आप पाठक से लेखक का एक प्रश्न है, जवाब अपने अंतर्मन में जरूर तैयार कर लें।
लेखक का प्रश्न :
यदि उन 4 अपराधियों, क्रूर अमनुश दरिंदे में यदि कोई एक व्यक्ति वास्तविक रूप से रेप में सहभागी ही न होता और वो चौथा व्यक्ति यदि आप होते तो? या फिर वह चौथा व्यक्ति आपका अपना सगा भाई या पुत्र होता तो?
एक बार जरूर सोचिए.........
कुछ न्यायिक सिद्धांत :
"बिना जांच के सजा, न्यायोचित नहीं हो सकता!"
"किसी भी शर्त में हिंसा के बदले हिंसा, या हत्या के बदले हत्या और रेप के बदले रेप न्याय नहीं हो सकता।"
"नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार अपराधी को अपना अपराध कबूलने अथवा अपनी बेगुनाही साबित करने का अवसर मिलना चाहिए।"
"पुलिस को सजा देने का अधिकार नहीं है, अपराधियों का एनकाऊंटर की कार्यवाही परिस्थितिजन्य प्रतीत होता है। इसे सजा देने का तरीका न मानें।"
संक्षेप में, तरीका:
1- आरोपी गिरफ्तार किया जाना और पुलिस कार्यवाही एक दिन में पूर्ण हो।
2- दूसरे दिन माननीय उच्च न्यायालय के सीटिंग जज के समक्ष, नार्को टेस्ट के साथ अन्य फोरेंसिक जांच हो, देर शाम तक 2-3 सदस्यीय माननीय न्यायाधीश द्वारा तत्काल मृत्यु दंड का आदेश जारी हो।
3- तीसरे दिन नए नियम के अनुसार, नियमानुसार आरोपी को फांसी दी जाए।
क्या हो तरीका, विस्तार से:
रेप और हत्या में सजा देने का प्रावधान अत्यंत कठोर और त्वरित करने की जरूरत है। ऐसे अपराधियों को एक माह या उससे कम समय सीमा में, अथवा आरोपी के पकड़े जाने के दूसरे दिन जांच और तीसरे दी मृत्युदंड/फांसी देने का प्रावधान होनी चाहिए। फोरेंसिक साइंस वर्तमान में बहुत आगे आ चुकी है बिना ट्रायल के ही ऐसे अपराधियों को सजा दी जा सकती है वह भी फोरेंसिक जांच और आरोपियों के ही बयान के आधार पर, बिल्कुल न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप।
इस तरीके को अपनाने के लिए केवल विशेषज्ञ द्वारा तैयार कुछ प्रश्नों की श्रृंखला के माध्यम से जांच की जा सकती है। माननीय उच्च न्यायालय के एक सीटिंग जज के सामने तत्काल प्रभाव से आरोपियों को पेश किया जावे, उसके बाद कुछ निम्नानुसार परीक्षण स्वतः माननीय न्यायाधीश के समक्ष हो:
1- Narco Analysis
2- एसडीएस (सस्पेक्ट डिटेक्शन सिस्टम) - पॉलीग्राफ + ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग
2- LVA (Layered Voice Analysis)
3- Lie Detection (Polygraph)
4- BEOSP - Brain Electrical Oscillation Signature Profile
5- EyeDetect
उपरोक्त टेस्ट में नार्को टेस्ट के साथ किसी भी एक या दो टेस्ट करने से ही सत्यापित किया जा सकता है कि क्या जिसे हम आरोपी समझकर पकड़े हैं वह सही में आरोपी है। शासन को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
इस लेख के माध्यम से देश के नीति निर्धारकों से अपील है कि वे ऐसे नियम बनाकर तत्काल प्रभावी करें, अथवा माननीय राष्ट्रपति के माध्यम से अध्यादेश जारी कर देश में जितने भी क्रूरता पूर्वक हत्या और रेप के मामले हैं उन्हें तीन महीने के भीतर निपटारा कराएं। "ऐसा संभव भी है।" जरूरत है तो केवल फोरेंसिक साइंस को एक अध्यादेश अथवा कानून लाकर वैध बनाने की।
लेखक के ज्ञान और जानकारी के आधार पर ऐसा लेब हमारे देश में भी उपलब्ध हैं, विस्तृत जानकारी और लेख की पुष्टि के लिए गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से संपर्क किया जा सकता है। लेखक को विश्वास है गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के सहयोग से तीन महीने से भी कम समय सीमा में देश के सभी क्रूर हत्या और रेप के मामले को निपटाया का सकता है। बिना किसी प्रकार से फास्ट ट्रेक न्यायालय में ट्रायल किए बिना ही।
लेखक का माफीनामा:
उपरोक्त आइडिया लेखक के ज्ञान और विश्वास पर आधारित है, यदि इससे किसी कानून का उल्लघंन अथवा माननीय न्यायालय का अवमानना होती हो तो लेखक HP (Huleshwar) Joshi पूर्व से क्षमा मांगता है।
अंत में एक अपील:
सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और वेब पोर्टल न्यूज चैनल में प्रकाशन और वायरल करने के लिए आपसे निवेदन है।
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