बलात्कार और क्रूर हत्या के अपराधियों को सामान्य फांसी न दी जाए, बल्कि उसके शरीर के महत्वपूर्ण Organ(s) और Tissue(s) को निकालकर बेची जाए और निर्भया का स्मारक बनाया जावे अथवा उनके आश्रितों को रकम दी जावे - एचपी जोशी
मृत्यु देखकर निर्भया के अपराधी को नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत याद आने लगा। तरह तरह के उपाय बताने लगा है इसलिए हम भी एक उपाय एक धर्म की बात बताने का प्रयास करते हैं, नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप ही एक आइडिया बताते हैं।
ये है, नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुकूल आइडिया:
अंगदान मृत्यु के पश्चात और पहले दोनों समय किया जा सकता है यह भी धर्म और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप है। इसलिए निर्भया के अपराधियों के सभी आवश्यक Organ(s) और Tissue(s) को बेचकर निर्भया का स्मारक बनाया जावे अथवा उनके आश्रितों को यह रुपए दिए जाएं।
क्योंकि,
"निर्भया की मृत्यु भी उनके जीवन के अधिकार सहित समस्त प्रकार के मानव अधिकारों का हनन है।" निर्भया के अपराधियों को मृत्युदंड नहीं मिलना, केवल निर्भया ही नहीं वरन् समस्त बलात्कारी और हत्यारे जिन्हें फांसी दी जा चुकी है उसके साथ अन्याय होगा और बलात्कार को बढ़ावा देने का आमंत्रण होगा। इसलिए क्यों न, बलात्कारियों की आंख, आंत, किडनी व हृदय सहित समस्त आवश्यक Organ(s) और Tissue(s) (जिसे किसी दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जा सके) को निकाल लिया जावे।
उल्लेखनीय है कि देश में अब तक लाखों लोगों ने अपने जीवित अवस्था में ही मृत्यु पश्चात अंगदान का संकल्प लिया है और हजारों लोगों के मृत्यु पश्चात उनके अंग को दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि लेखक स्वयं (Huleshwar Joshi) मृत्यु पश्चात अंगदान का संकल्प लिया है।
लेखक/संपादक, इस आलेख में किसी भी प्रकार के गलतियों, त्रुटियों और कानून के उल्लंघन पूर्ण क्षमाप्रार्थी है।
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