मैं भारत का आम नागरिक हूं।
मैं मनुष्य हूं और मानवता का समर्थक।
चाहे क्यों न मेरे बच्चे प्राइवेट स्कूल कॉलेज में पढ़ते हो या चाहे क्यों न मेरा पूरा परिवार निजी अस्पताल में इलाज करवाता हो।
फिर भी ..
मैं चाहता हूं कि स्वास्थ्य और शिक्षा पूर्णतः निःशुल्क होनी चाहिए।
क्योंकि मैं मानव हूं मानव मानव एक समान और जम्मो जीव हे भाई बरोबर के सिद्धांत का समर्थक हूं।
क्या??
क्या तुम्हें ......
क्या तुम ........
हां, हां मैं चाहता हूं कि सब समान हों, मानव मानव में कोई भेदभाव न हो।
हां, मैं चाहता हूं कि जो आज निर्धन है गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं उनके बच्चे भी अच्छे विद्यालय में पढ़ सकें, मेरे बच्चों के समान उन्नति कर सकें।
हां, मैं चाहता हूं कि गरीबों को भी उनके मेहनत का पूरा पूरा श्रेय उन्हें ही मिले, उन्हें भी मेहनत करने और उन्नति करने का अवसर मिले।
हां, मैं चाहता हूं कि जो गरीब हैं वे भी आनंद के साथ जीवन जी सकें, परिवार के साथ समय बिता सकें। अच्छे सेवन स्टार होटल में खाना खा सकें, होटल ताज में रात बिता सकें और विदेश टूर में जा सकें।
हां, मैं चाहता हूं कि गरीबों के बच्चे भी यूपीएससी और देश के प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग फ़्री में कर सकें, आईएएस आईपीएस अधिकारी बन सकें, वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर बन सकें।
हां, मैं चाहता हूं कि उन्हें भी इतना सम्मान मिल सके कि वह देश के सर्वोच्च पदों में नियुक्त और निर्वाचित हो सके, इसके लिए उनकी आर्थिक स्थिति उन्हें न रोके।
हां, मैं चाहता हूं कि गरीबों के बच्चे भी मेरे बच्चों से आगे आ जाएं, उन्हें भी अपनी योग्यता साबित करने के लिए समान अवसर मिल सके।
हां, मैं चाहता हूं कि गरीबों के बच्चे भी एसी बस से स्कूल कॉलेज का सकें, एसी कमरे में रह कर अध्ययन कर सकें, आईआईटी आईआईएम में पढ़ सकें।
हां, हां, हां, मैं पूर्णतः समानता का समर्थक हूं, क्योंकि मैं जानता हूं मेरिट अवसर का प्रतिफल है सुविधाओं का प्रतिबिंब है इसलिए मेरिट और ज़ीरो के सिद्धांत में बदलाव की अपेक्षा करता हूं।
एचपी जोशी
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
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