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मंगलवार, अक्टूबर 01, 2019

जल संरक्षण के लिए एक अंतराष्ट्रीय और बेहतर उपाय (An international and better solution for water conservation)

जल संरक्षण के लिए एक अंतराष्ट्रीय और बेहतर उपाय 
: एचपी जोशी

आज समस्त विश्व के देश जल संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं, ऐसे में जल संरक्षण के लिए सभी स्तर में प्रयास करने की जरूरत है। जैसा कि आपको ज्ञात है पूरे दुनिया का अधिकांश हिस्सा खेती अर्थात कृषि कार्य के लिए उपयोग में लाया जा रहा है ऐसे में कृषि भूमि से भी पानी बचाने की जरूरत है इस संबंध में 02 आसान सवाल बनता है :

# क्या ऐसा संभव है कि किसान को अपने खेत के एक्स्ट्रा पानी को खेत से बाहर न निकालना पड़े, क्या वह उसका बचत/ हार्वेस्टिंग कर सकेगा????
# क्या जरूरत पड़ने पर किसान उस बचे पानी का इस्तेमाल भी कर सके????

उत्तर : हां, इस संबंध में श्री जोशी जी के सुझाव इस प्रकार से हैं :-
खेत के एक कोने में एकड़ हिसाब लगभग 40*40 फीट चौड़ा और 20 फीट गहरा कुंड निर्माण कराएं, (यह पैमाना सांकेतिक है निर्माण के समय वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया जावे, अर्थात उस क्षेत्र में कितना सेंटीमीटर पानी गिरता/बरसता है और खेत में उसके फसल के लिए कितने सेंटीमीटर पानी की जरूरत पड़ती है तो उन्हें कितना सेंटीमीटर पानी कुंड में बचत/हार्वेस्टिंग करने की जरूरत होगी, इस बात का ध्यान रखा जाए) कुंड के चारो ओर भूमि के बराबर उचाई से ऊपर अधिकतम 2.0फीट तक पार बनाएं, उसके एक कोने में 2.0 फीट अर्थात कुएं के पार के बराबर ऊंचाई तक एक बड़ा होल रखें, उसमें लोहे का पट्टी लगाएं, जो उपर-नीचे हो सके, अर्थात हमें खेतों में जितना पानी रखना है उतने ऊंचाई पर लोहे के पट्टी को सेट कर दें, ताकि अधिक पानी स्वत कुंड में भरता/स्टोर होता रहे। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे कुंड को ऊपर जाली से ढंक दिया जावे।

कुंड से पानी निकालने के लिए सोलर एनर्जी से चलने वाला मोटर पंप लगाया जावे, डीजल इंजन से पानी निकालने से पर्यावरण को हानि होगी, वहीं विद्युत यदि ताप विद्युत हो तो यह भी हमारे लिए हानिकारक ही है।

मजे की बात तो यह है कि पानी की उपलब्धता के अनुसार मछली पालन अथवा मोती की खेती भी किया जा सकेगा, अर्थात आपका उतना भू भाग किसानों के लिए व्यर्थ नहीं होगा।

उपर पानी बचाने के तरीके केवल कृषि भूमि ही भी अन्य सभी स्थानों में, अर्थात खुले क्षेत्र के लिए भी अपनाया जावे, पूरे दुनिया में जल निकासी पर जल्द रोक लगाने की जरूरत है, केवल टॉयलेट के एक्स्ट्रा पानी के लिए ही निकासी मिले, बाथरूम और किचन के पानी को पुनः फिल्टर करके बाड़ी अथवा गार्डन में उपयोग किया जावे।


खेतों के मेड में, सड़क किनारे और खाली स्थानों विशेषकर नदी, नलों के किनारे 24 घंटे आक्सीजन देने वाले पेड़, आयुर्वेदिक पौधे अथवा फलदार वृक्ष, इत्यादि लगाने की जरूरत है; ताकि इन वृक्षों से दोहरी तिहरी लाभ मिल सके।


HP Joshi
Atal Nagar, Nawa Raipur Chhattisgarh
Mob 98261-64156

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