हिंदी दिवस विशेष लेख!
एक दिन बाद हिंदी दिवस की शुभकामनाएं, क्योंकि हमारी प्राथमिकता अंग्रेजी हो चुकी है साथ ही हमारी हिन्दी लंगड़ी भी तो हो चुकी है जो अंग्रेजी के बैसाखी बिना नहीं चल पाती।
मै हिन्दू हूं, हिंदीभाषी होने पर गर्व है कहने मात्र से क्या होना है जब आप अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाते हैं और उन्हें हिंदी में हिंदी लिखना नहीं आता, हिंदी के "ग्रामर" को "ग्रमार" लिखते हों।
यह जो "हमें हिंदीभाषी होने पर गर्व है" केवल लोगों को गुमराह करने का तरीका है आपस में समाज को विभाजित करने और दूरी बढ़ाने का तरीका है। क्योंकि मेरा मानना है जब तक पूरे देश के लोग एक भाषा या एक बोली नहीं जान पाएंगे एक दूसरे की भावनाओं को समझ नहीं पाएंगे। एक दूसरे कि जरूरत को समझ नहीं पाएंगे, एक दूसरे को अपना नहीं मान पाएंगे, एक दूसरे को गैर ही समझते रहेंगे।
आइए, देश के आम नागरिकों को गुमराह करना छोड़ें, सच्चे दिल से सभी जाति, धर्म के लोगों से जुड़ें, अफवाहों के बजाय अंतरात्मा की आवाज से पुकारें।
"हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक है" संकल्प को दोहराएं, मगर इस संयुक्त वाक्य के दूसरे भाग में थोड़ा संशोधन करने का प्रयास करें। ""भाषा" अनेक को" विलोपित करें और संकल्प लें कि हम सभी भारतीय नागरिकों में एकता, भाईचारे और बंधुत्व के लिए कम्युनिकेशन के लिए ही जरिया का इस्तेमाल करेंगे, अर्थात देश के हर नागरिक चाहे उन्हीं भाषा बोली कुछ भी हो मगर एक ऐसी राष्ट्रीय भाषा को अपनाएंगे, जिसे देश का अंतिम व्यक्ति भी जानता हो, समझता हो।
एचपी जोशी
अटल नगर, नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
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