चलिए मैं अपने कुछ प्रमुख बहाने के मूल सिद्धांत से आपको अवगत करा देता हूँ। क्या पता जीवन का, कब निपट जाऊँ? जीवन की कोई गारँटी तो है नही।
वैसे मेरे
एक ज्योतिष मित्र
ने मुझे 101 वर्ष
की उम्र तक
निरोगी और सुःखमय
जीवन जीने की
भविष्यवाणी किया है।
मैंने उनसे कहा
कि अमर होना
चाहता हूँ वे
कहने लगे “जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।” क्योंकि जन्म लेनेवाले
की मृत्यु निश्चित है, और मरे हुओं का जन्म निश्चित है। इसलिए
आपको अमर होने
के सपने देखना
छोड़ देने चाहिए।
मैंने कहा- मैं
महान हूँ। श्रेष्ठ
हूँ। आम आदमी
की भाँति नहीं
हूँ। अतः मुझे
तो अमरता ही
चाहिए। वे मौन
धारण कर लिये।
मैंने पुनः कहा
कुछ आराध्य आज
भी जिन्दा हैं
क्या?
मान्यवर चुप!
मैं एक दिन
अपनी दादी माँ
कली देवी जोशी से पूछ
लिया माँ मुझे
अमर होना है।
अमरता के लिए
क्या करूं? उन्होंने
मुझे बताया आप
अवश्य ही अमर
हो सकते हैं।
यदि आपके कार्य
अमरता के लायक
हो। अवश्य ही
मनुष्य को अमर
होने का प्रयास
करना चाहिए। कुछ
महान कार्य इंसान
को अमरता प्रदान
कर सकता है।
मैंने पूछा
माँ क्या इच्छाशक्ति
को जागृत करने
से अमरता मिल
सकता है? उन्होंने
बताया केवल इच्छाशक्ति
मात्र नहीं। हालाँकि
इच्छा शक्ति एक आवश्यक तत्व है।
मैंने पूछा माँ
मुझे बताईए क्या
मैं खाशाराम के
बनाए रास्ते पर
चलकर अमर हो
सकता हूँ? उन्होंने
बताया नहीं, यह
पूर्णतः अमानवीय, अप्राकृतिक और धूर्ततापूर्ण सोच है। यदि
आपको अमर होना
है तो आपको
यह जान लेना
आवश्यक है कि
अभी तक शारीरिक
अमरता संभव नहीं
है। शायद वैज्ञानिक
विज्ञान के साथ
मिलकर Gene Editing के
माध्यम से बहुत
समय बाद शरीर
को भी सुरक्षित
रख सकें। संभव
है विज्ञान के
माध्यम से शरीर
का Clone या
दूसरा कुछ विकल्प
बनाकर जीवन को
स्थानांतरित किया जा
सके या ऐसा
भी संभव है
कि विज्ञान शरीर
की कोशिकाओं के
जीवन और मृत्यु
को संतुलित करके
आपकी मूल भावना,
स्मरणशक्ति, शारीरिक बनावट
या अन्य महत्वपूर्ण
चीज़ों को संचित
किया जा सके।
वर्तमान में
जिस प्रकार से
Organ
और
Tissue को
Transplant किया जाता है
ठीक वैसे ही
जीवन को Transplant करने
की आज तक
ऐसा कोई भी
वैध या अवैध
यंत्र-मंत्र नहीं
है जिससे आपको
अमर किया जा
सके।
यदि आप
बेवकूफ नहीं हैं
तो आप भली
भाँति इस बात
को जानते हैं
कि आज तक
ऐसी कोई युक्ति
नहीं हुई जिससे
कोई अमर हो
सके। वर्तमान तक
जब भी अमरता
की बात होती
है केवल और
केवल नाम की
ही अमरता की
बात होती रही
है जिसे कुछ
मूर्ख शरीर की
अमरता के लिए
व्यर्थ प्रयास करते
रहते हैं।
मैंने पूछा
माँ मैं अच्छा
बहानेबाज हूँ। मुझे
लगता है मैं
श्रेष्ठ और महान
बहानेबाज हूँ तो
क्या मेरा नाम
बहानेबाजी के लिए
अमर हो सकता
है?
उन्होंने कहा अवश्य
ऐसा संभव है। जब
तक कोई आपसे
अधिक अच्छा बहानेबाज
न हो जाए
आपका नाम बहानेबाज
का पर्याय बन
सकता है। ठीक
वैसे ही जैसे
‘नत्थुलाल के मुंछ’
‘बीरबल की
खिचड़ी’ और
‘हजारी
लाल के
सपने’।
यह भी नाम
की अमरता ही
है। दादी माँ
की तर्क सुनकर
मैंने सोचा। निष्कर्ष
में पहुँचा कि
संभव है कि
मैं भी अपने
बहानों के लिए
अमर हो जाऊँ
इसलिए मैं बचपन
से लेकर आज
तक किये गए अपने बहाने
को लिखकर संधारित
और प्रचारित करने
का प्रयास कर
रहा हूँ। जिसमें से मेरे सात प्रमुख
बहाने कुछ इस
प्रकार है :-
@ मैं
अपने बहानों के
माध्यम से हार
की,
काम की और
जीत की जिम्मेदारियों
से बच जाता
हूँ फिर कार्य
करने का ठेका
क्यों लूँ?
@ मैं
संभावनाओं की तलाश
करने की, जिम्मेदारियों
से बच कर
जीवन को प्रकृति
के साथ छोड़
देता हूँ फिर
बेवजह मेहनत करने
का क्या मतलब?
@ मेरे
पास इतनी बुद्धि
नहीं है अथवा
मैं मूर्ख नहीं
हूँ जो ये
करूँ यह जानते
हुए कि इसमें
असफलता संभाव्य है।
@ अभी
मेरा उम्र नहीं
हुआ है अथवा
मेरा उम्र इसके
लायक नहीं रहा।
@ मेरा
स्वास्थ्य अभी तो
अव्वल दर्जे का
है। मुझे योग
और व्यायाम की
क्या जरूरत? अथवा
मेरा स्वास्थ्य इतना
अच्छा नहीं कि
मैं यह कर
सकूँ?
@ मैं
भाग्यशाली हूँ कि मेरे
पास सब कुछ
है। मुझे और कुछ
चीज़़ की आवश्यकता ही नहीं।
@ “परन्तु ऐसा तो कर सकता हूँ।’’ की
संभावना के बावजूद
ऐसा भी नहीं
कर सकता का
बहाना बना लेता
हूँ।
ये ऐसे
बहाने है जिसे
केवल मैं नहीं
बल्कि आप भी
अक्सर उपयोग में
लाते हैं। मैं
स्वयं विश्व के
सबसे महान और
श्रेष्ठ बहानेबाज अर्थात
बहानेबाजों के ईश्वर
बनने की सोच रहा
हूँ इसलिए मुझे
अपने बहाने से
बचने की कोई
जरूरत ही नहीं
हैं। किन्तु यदि आपको
अपने बहाना करने
की आदत से मुक्ति
पाना हैं तो
आपसे अनुरोध है कि
आप नीचे दी
जा रही इन
सात उपाय को
आजमाएँ। संभव है
आप अपने बहानेबाजी
के आदत से
मुक्त हो जाएँगे
और सफल जीवन
की ओर अग्रसर
हो जाएँगे, ताकि
मेरा रिकॉर्ड बरकरार
रहे
:-
@ अपने
कार्य की जिम्मेदारी
स्वयं लें, दूसरों
पर न टालें।
@ अपने
हर पराजय की,
हर असफलताओं की
जिम्मेदारी स्वयं लें
और सभी सहयोगियों
का आभार प्रकट
करें।
@ रोज
कुछ सीखें और
परोपकार के लिए
कुछ अच्छा करें।
@ अपने
स्वयं की अथवा
आसपास के सफल
और असफल लोगों
के सफलताओं और
असफलताओं की नियमित
रूप से समीक्षा
करें तथा समीक्षा
से प्रेरणा लें।
@ अपने
निंदकों और दुश्मनों
को मार्गदर्शक अथवा
प्रेरणास्त्रोत मान लें।
@ कार्य
चाहे कितना ही
क्यों न मुश्किल
लगे,
संभावनाओं की तलाश
जरूर करें।
@ परन्तु
का विकल्प हमेशा
रखें। अर्थात “ऐसा भले ही न कर सकूं परन्तु इससे बेहतर ऐसा तो कर ही सकता हूँ।”
आपको बता
दूँ कि बहानेबाज
लोग स्वयं को
बहुत Smart और
Successful व्यक्ति मानने
का भ्रम पाल
लेते हैं। जबकि
वास्तव में वो उससे
भी अधिक Smart और Successful
Personality को प्राप्त कर
सकते हैं। यदि
वो अपने बहानेबाजी से
परहेज कर दें।
एक बार मेरी
एक सहपाठी मुझसे
कही थी “आप
बहानेबाजी करेंगे तो
जीवन में सफलता
तो दूर की
बात है आप
अपने रक्त संबंधियों
का विश्वास भी नहीं
जीत सकेंगे।”
कृपया आप अपने बहानेबाजी को छोड़कर अपने लक्ष्य के अनुरूप थोड़ी मेहनत करना शुरू कर लें। बहानेबाज लोग वास्तव में असल जीवन में असफल और निराशायुक्त जीवन जीने को मजबूर होते हैं। यदि आप भी असल जीवन में असफल और निराशायुक्त जीवन शैली को अपनाना चाहते हैं तो बहानेबाजी में मुझसे प्रतियोगिता कर लीजिए। क्या पता शायद आपको सर्वश्रेष्ठ बहानेबाज का खिताब मैं स्वयं ही दे दूँ। ख़्याल रखना Repeating Negative Thoughts i.e. Having Negative Thoughts Is A Solid Step Towards Suicide. “नकारात्मक विचारों की पुनरावृत्ति करना अर्थात नकारात्मक विचारधारा रखना आत्महत्या श्रेणी की एक ठोस कदम है।” अतः आपसे अनुरोध है कि आप सदैव सकारात्मक रहें। सकारात्मक सोच से सकारात्मक उर्जा मिलती है जो आपके जीवन को सफल और सुःखद बनाने के लिए निहायत जरूरी है।