बुद्धजीवी कौन ???
(हुलेश्वर जोशी)
सदियों से बुद्धजीवी कौन है? यह जानना महत्वपूर्ण विषय रहा है क्योंकि बुद्धजीवी ही सही मायने में ईश्वर, परमात्मा, भगवान और देवताओं का प्रतिनिधि है वहीं सही मायने में सच्चा धर्मगुरु है। जिनके मार्गदर्शन और बताए रास्ते पर चलना सच्चा धर्म है या यह कि उनके बताए मार्ग और नियम के अनुरूप जीवन जीना ही धार्मिक होना है।
यदि हम किसी बुद्धजीवी के सानिध्य में है मतलब हमसे कोई अपराध, हिंसा अथवा पाप होने की संभावना कम हो जाती है। बुद्धजीवियों के सानिध्य का लाभ जानकर मै बुद्धजीवियों के खोज में लगा रहा, लंबी यात्रा के बाद यह जान पाया कि बुद्धजीवी कौन है?? उन्हें कैसे पहचाना जा सकता है?? और क्या बुद्धजीवी का ढोंग करने वाले कुछ लोग भी बुद्धजीवी हैं?
आइये हम बुद्धजीवी कौन है कैसे होते हैं उन्हें जानने के पहले थोड़ा सा बुद्ध को जान लें, यदि आप बुद्ध को जानते हों तो आपको बुद्धजीवी खोजने में या बनने में कोई कठिनाई नहीं होगी क्योंकि बुद्ध जैसे, बुद्ध के सिद्धांतो के अनुरूप जीवन जीने वाले ही बुद्धजीवी हैं। बुद्ध की जीवन शैली और सिद्धांत क्या और कैसा था यह किसी साहित्य का पुस्तकों में खोजेंगे तो उसमे सत्य के बजाय बनावटी भी हो सकती है, तो हम बुद्ध को जानें कैसे??
बुद्ध स्वयं को ज्ञानी, महात्मा या भगवान अथवा ईश्वर नहीं मानते थे, वे स्वयं को साधारण सा मनुष्य मानते थे और इसके लिए वे केवल प्रकृति के सिद्धांत के अनुरूप आचरण व कार्य करते थे। हमें ज्ञात है बुद्ध का नाम बुद्ध नहीं था, वे बुद्ध बने थे। अब पहले हमें बुद्ध बनने का राज ही जान लेना चाहिए।
प्रकृति बड़ी भोली और सच्ची होती है जो किसी से दुर्भावना नहीं रखती, किसी से भेद नहीं करती, किसी से परहेज़ नहीं करती, किसी को अपना पराया नहीं मानती, किसी के लिए अपने आचरण में परिवर्तन नहीं करती, चाहे वह कोई भी हो। प्रकृति को आप नुकसान पहुंचाएंगे तब भी वे आपसे बदला नहीं लेंगे। बस इतनी सी सच्चाई, इतने से साधारण व्यवहार को अपनाने के कारण ही एक गौतम नाम का बालक आगे चलकर बुद्ध बन गया। प्रकृति के भोलेपन अपनाने के बाद कोई भी मनुष्य बुद्ध, बुद्धू, भोला या बुद्धजीवी हो सकता है। इतनी सी बात को जान लेने के बाद पृथक से यह जानने की आवश्यकता नहीं होती कि बुद्धजीवी कौन है? वे कैसे होते हैं? उन्हें कैसे पहचानें? क्योंकि प्रकृति के भोलेपन ही बुद्ध है और उसी भोलेपन से जीवन जीना, या ऐसे ही भोलेपन का व्यवहार करना ही बुद्धजीवियों की आधारशिला है पहचान है। कुछ ग्रंथ या पुस्तकें आपको बहलाएगी, बेवकूफ बनाएगी, कुछ मार्गदर्शन भी करेगी मगर आप प्रकृति के व्यवहार, प्रकृति से सिद्धांत और प्रकृति के न्याय को जानकर पूर्ण हो सकते हैं बुद्ध और बुद्धजीवियों को जान सकते हैं अलग से आपको लाखों पन्नों की ग्रंथ/पुस्तकें पढ़ने की जरूरत नहीं। बस आप "प्रकृति के व्यवहार, प्रकृति से सिद्धांत और प्रकृति के न्याय" को आत्मर्पित कर लें, फिर केवल अपने भीतर के आवाज को सुनें, उसके अनुरूप ही जीवन जिएं। यही सच्चा मानव धर्म भी है। किसी धर्म के अनुयायियों के आस्था तक बात न पहुंच जाए, वे चिढ़ न जाएं मेरा सही, तुम्हारा गलत ये न कहने लगें, इसलिए बुद्ध और बुद्धजीवी बनने बनाने की आज की लेख समाप्त करता हूं।
(हुलेश्वर जोशी)
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़