ईश्वर को कौन कौन से काम दूं ?? - HP Joshi
कल की ही बात है मैं सोच रहा था कि ईश्वर को सभी पाने की लालसा रखते हैं, मुझे भी ईश्वर से मिलने की सोचना चाहिए। ठीक इतने में ही एक विचार आया, ये तो ठीक है ईश्वर से मिल लूंगा, मगर मिलूंगा तो क्या बात होगी ?
उनसे किस प्रकार से मिला जाए?
कहां? मिला जाए
क्यों? मिलूं
किस प्रयोजन से मिलूं?
सोचता रहा, सोचता रहा....... इतने में विचार आया, कुछ बड़ा, उपयोगी अथवा अमूल्य वस्तुएं मांग लूंगा। फिर ये निर्धारित करने में लग गया, ऐसी क्या, और कौन कौन सी वस्तुएं है, जिसे मांगा जा सकता है? उनकी उपयोगिता क्या होगी? बड़ी लम्बी लिस्ट बना लिया, फिर देखा कि लिस्ट 9 पन्ने का हो गया, मगर मेरी अपेक्षाएं समाप्त नहीं हुई। इसी बीच सोचा यदि ईश्वर मिलकर बोलेंगे कि मै तुम्हे निर्धारित संख्या में ही आशीर्वाद दूंगा, तो??
फिर लिस्ट में कटौती करने लगा, उसकी उपयोगिता और विकल्प खोजने लगा। पता चला जो 9 पन्ने की मांग पत्र थी, उसमें सबको स्वयं ही पा सकता था। एक विचार आया स्वर्ग मांग लेता हूं, वहां मौज करूंगा, सुख से रहूंगा। मगर मेरी पत्नी, मेरी दुर्गम्या, मेरा तत्वम, मेरे माता - पिता, भाई - बहन और सगे संबंधियों, और मित्रों, गुरुजनों का क्या करूं ??
सोचा सबको ले जाऊंगा। अब लिस्ट बनाने लगा, किसको किसको ले जाऊंगा??
क्यों, ले जाऊंगा??
क्या, मेरे साथ वे सभी स्वर्ग में खुश रहेंगे।
मैंने अपने सभी परिजनों को लेे जाने की सूची में शामिल कर लिया, फिर दोस्तों, गुरुजनों और आसपास के विद्वान लोग जिन्हें मै जानता हूं उन्हें भी सूचीबद्ध करने लगा। इसी बीच ख्याल आया कि तत्वम के जन्मदिवस पर कुछ साथियों को काल किया था, तो वे आवश्यक काम बताकर, अथवा अन्य काम से व्यस्त होने का हवाला देकर आने से असमर्थता जाहिर किए थे। बड़े भैया को बुलाया तो बोले उनकी सासू मां की आज डायलिसिस हो रही है, इसलिए वे अस्पताल में हैं। मैंने सोचा ऐसे ही अधिकांश लोगो का महत्वपूर्ण कार्य अथवा जिम्मेदारियां होंगी, उन्हें लेे जाऊंगा, तो उनका धर्म खतरे में चला जाएगा, सोचा उनके अपने लोगों को भी लेे चलूंगा तो अच्छा होगा। सोचते सोचते रात दो बज गए, नींद आ रही थी, एलर्जी का दवाई भी खाया था, सुबह आवश्यक कार्यों को निपटाने ऑफिस भी जाना है, बाकि कल करूंगा, फिर सोचा कहीं आज ही भगवान आ गए तो???
मैंने फिर निद्रा त्यागने का संकल्प ले लिया, आगे चलकर पूरे भारत भर के लोग शामिल हो गए, याद आया समाज के प्रतिष्ठत व्यक्ति और मेरे आदर्श समाज सेवक साथी श्री बंजारे जी जो आबूधाबी में रहते छूट रहे हैं। मैं उसके बारे में सोचते सोचते, देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक पहुंच गया, निष्कर्ष में पहुंचा कि समूचे पृथ्वी के सभी मानव ही नहीं, वरन् सभी जीव जंतु भी स्वर्ग जाएंगे। तभी याद आया, कुछ लोग, आतंकवादी हैं, कुछ नक्सलवादी हैं, कुछ अपराधी हैं, कुछ असामाजिक तत्व भी हैं उनका क्या किया जाए??
उन्हें छोड़ देता हूं, फिर याद आया कि कुछ लोग धार्मिक वैमनस्यता को फैलने वाले धार्मिक नेताएं है, उनका क्या करूं??
चलो उन्हें भी छोड़ देता हूं, कुछ लोग ऐसे धार्मिक नेताओ को अपना गुरु मार्गदर्शक और भगवान मानते हैं, उनका क्या करूं?? सोचा इनको भी छोड़ देता हूं। फिर सोचा कुछ लोगों के भीतर स्लीपिंग क्रिमिनल्स हैं तो उनका क्या करूं??
सोचा छोड़ देता हूं। आगे खोजने लगा, किसमे किसमे स्लीपिंग क्रिमिनल्स है, असमंजस में पड़ गया, मेरे आसपास के लोगों में भी मिला, मुझमें भी स्लीपिंग क्रिमिनल्स मिल गया। इतने में ही मेरी पुत्र तत्वम जाग गया, आकर बोला पापा सूसू करना है। मैंने उन्हें सूसू करवाया, उसके बाद वह मेरे गोद में ही सोने का प्रयास करने लगा, मैंने सुलाया, तब तक रात्रि के साढ़े तीन बज गया था। निष्कर्ष में पहुंचे बिना ही सो गया।
HP Joshi
Nawa Raipur, Chhattisgarh
कल की ही बात है मैं सोच रहा था कि ईश्वर को सभी पाने की लालसा रखते हैं, मुझे भी ईश्वर से मिलने की सोचना चाहिए। ठीक इतने में ही एक विचार आया, ये तो ठीक है ईश्वर से मिल लूंगा, मगर मिलूंगा तो क्या बात होगी ?
उनसे किस प्रकार से मिला जाए?
कहां? मिला जाए
क्यों? मिलूं
किस प्रयोजन से मिलूं?
सोचता रहा, सोचता रहा....... इतने में विचार आया, कुछ बड़ा, उपयोगी अथवा अमूल्य वस्तुएं मांग लूंगा। फिर ये निर्धारित करने में लग गया, ऐसी क्या, और कौन कौन सी वस्तुएं है, जिसे मांगा जा सकता है? उनकी उपयोगिता क्या होगी? बड़ी लम्बी लिस्ट बना लिया, फिर देखा कि लिस्ट 9 पन्ने का हो गया, मगर मेरी अपेक्षाएं समाप्त नहीं हुई। इसी बीच सोचा यदि ईश्वर मिलकर बोलेंगे कि मै तुम्हे निर्धारित संख्या में ही आशीर्वाद दूंगा, तो??
फिर लिस्ट में कटौती करने लगा, उसकी उपयोगिता और विकल्प खोजने लगा। पता चला जो 9 पन्ने की मांग पत्र थी, उसमें सबको स्वयं ही पा सकता था। एक विचार आया स्वर्ग मांग लेता हूं, वहां मौज करूंगा, सुख से रहूंगा। मगर मेरी पत्नी, मेरी दुर्गम्या, मेरा तत्वम, मेरे माता - पिता, भाई - बहन और सगे संबंधियों, और मित्रों, गुरुजनों का क्या करूं ??
सोचा सबको ले जाऊंगा। अब लिस्ट बनाने लगा, किसको किसको ले जाऊंगा??
क्यों, ले जाऊंगा??
क्या, मेरे साथ वे सभी स्वर्ग में खुश रहेंगे।
मैंने अपने सभी परिजनों को लेे जाने की सूची में शामिल कर लिया, फिर दोस्तों, गुरुजनों और आसपास के विद्वान लोग जिन्हें मै जानता हूं उन्हें भी सूचीबद्ध करने लगा। इसी बीच ख्याल आया कि तत्वम के जन्मदिवस पर कुछ साथियों को काल किया था, तो वे आवश्यक काम बताकर, अथवा अन्य काम से व्यस्त होने का हवाला देकर आने से असमर्थता जाहिर किए थे। बड़े भैया को बुलाया तो बोले उनकी सासू मां की आज डायलिसिस हो रही है, इसलिए वे अस्पताल में हैं। मैंने सोचा ऐसे ही अधिकांश लोगो का महत्वपूर्ण कार्य अथवा जिम्मेदारियां होंगी, उन्हें लेे जाऊंगा, तो उनका धर्म खतरे में चला जाएगा, सोचा उनके अपने लोगों को भी लेे चलूंगा तो अच्छा होगा। सोचते सोचते रात दो बज गए, नींद आ रही थी, एलर्जी का दवाई भी खाया था, सुबह आवश्यक कार्यों को निपटाने ऑफिस भी जाना है, बाकि कल करूंगा, फिर सोचा कहीं आज ही भगवान आ गए तो???
मैंने फिर निद्रा त्यागने का संकल्प ले लिया, आगे चलकर पूरे भारत भर के लोग शामिल हो गए, याद आया समाज के प्रतिष्ठत व्यक्ति और मेरे आदर्श समाज सेवक साथी श्री बंजारे जी जो आबूधाबी में रहते छूट रहे हैं। मैं उसके बारे में सोचते सोचते, देश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक पहुंच गया, निष्कर्ष में पहुंचा कि समूचे पृथ्वी के सभी मानव ही नहीं, वरन् सभी जीव जंतु भी स्वर्ग जाएंगे। तभी याद आया, कुछ लोग, आतंकवादी हैं, कुछ नक्सलवादी हैं, कुछ अपराधी हैं, कुछ असामाजिक तत्व भी हैं उनका क्या किया जाए??
उन्हें छोड़ देता हूं, फिर याद आया कि कुछ लोग धार्मिक वैमनस्यता को फैलने वाले धार्मिक नेताएं है, उनका क्या करूं??
चलो उन्हें भी छोड़ देता हूं, कुछ लोग ऐसे धार्मिक नेताओ को अपना गुरु मार्गदर्शक और भगवान मानते हैं, उनका क्या करूं?? सोचा इनको भी छोड़ देता हूं। फिर सोचा कुछ लोगों के भीतर स्लीपिंग क्रिमिनल्स हैं तो उनका क्या करूं??
सोचा छोड़ देता हूं। आगे खोजने लगा, किसमे किसमे स्लीपिंग क्रिमिनल्स है, असमंजस में पड़ गया, मेरे आसपास के लोगों में भी मिला, मुझमें भी स्लीपिंग क्रिमिनल्स मिल गया। इतने में ही मेरी पुत्र तत्वम जाग गया, आकर बोला पापा सूसू करना है। मैंने उन्हें सूसू करवाया, उसके बाद वह मेरे गोद में ही सोने का प्रयास करने लगा, मैंने सुलाया, तब तक रात्रि के साढ़े तीन बज गया था। निष्कर्ष में पहुंचे बिना ही सो गया।
HP Joshi
Nawa Raipur, Chhattisgarh