पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान के लिए अधिसूचना - HP Joshi
एतद्दवारा "पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान" के लिए अधिसूचना जारी किया जाता है। इसलिए आइएं आज हम एक ऐसे पिता के बारे में जानते हैं जैसा लगभग हर गांव में और हर मोहल्ले में ही नहीं वरन् हर परिवार में एक दो मिल ही रहे हैं।
मैं उन माता - पिता के बारे में बताने के पहले उन्हें एक उपाधि/सम्मान देने की घोषणा कर देना चाहता हूं, क्योंकि हर विशिष्ट कार्य करने वालों की अधिकार है उपाधि पाना, सम्मान पाना। ऐसे में उनके विशेष कार्य के लिए विशेष उपाधि देना भी आवश्यक है। पूरे दुनिया की परम्परा रही है जो सबसे पहले अपने संबंधित काम में फेमस होते हैं उनके नाम से ही उपाधियों की शुरुआत होती है।
अब मैं उपाधि/सम्मान के लिए कुछ नाम प्रस्तावित करता हूं :-
# वीरप्पन के औलाद# वीरप्पन के वंशज
# पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान
उपरोक्त तीनों नामांकन में से एक का चयन करना मेरे लिए अत्यंत कठिन था, इसलिए मैंने सोचा अपनी पत्नी विधि से इन तीनों नाम में से चयन करने का सुझाव मांगा, वह बोलने लगी "वीरप्पन का औलाद" कहना थोड़ा अशोभनीय प्रतीत होता है तो वहीं "वीरप्पन के वंशज" कहने से संबंधित के पूरे परिवार को उपाधि मिल जाएगी, जबकि ऐसे महान कार्य करने में परिवार के लगभग 2 - 3 सदस्य ही योगदान होता है तो अन्य जिनका योगदान न हो उन्हें उपाधि देना, उपाधि का दुरुपयोग होगा, इसलिए "पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान" की उपाधि अच्छा रहेगा। मैं उनके सुझाव से शीघ्र ही सहमत हो गया।
"पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान" किसे दी जाएगी??? इसके लिए पात्रता सुनिश्चित कर लिया जाए, अरे नहीं, थोड़ी देर रुककर वीरप्पन की ही बात कर लें।
वीरप्पन को केवल विख्यात हिंसावादी और चंदन तस्कर होने के कारण ही जाना जाना पर्याप्त नहीं है, उन्हें ऐसे पिता के रूप में भी जाना जाना चाहिए जिन्होंने अपने प्राण संकट में न पड़ जाए, उनके रोने से उनकी लोकेशन उजागर न हो जाए, या उसके रोने से पुलिस उन्हें पकड़ न लें, केवल इतनी सी बात के लिए उन्होंने अपनी कुछ ही महीने के शिशु (बेटी) की हत्या कर दिया था। वीरप्पन तो कुख्यात हिंसक आदमी था, उसे हम जानते है कि वह गलत आदमी था, परन्तु हम उन्हें नहीं जानते जो हमारे बीच रहकर अपनी बेटियों को मार डालते हैं या उनके मां के गर्भ में ही मरवा देते हैं। वे जो हमारे समाज में रहते हैं, वे जो हमारे गांव में रहते हैं वे जो हमारे परिवार में रहते हैं और अपनी ही बेटियों को जन्म लेने के पहले या बाद मरवा देते हैं और धार्मिक होने, सभ्य समाज के सम्माननीय व्यक्ति होने की गौरव, अपने दोहरे चरित्र के बदौलत ही प्राप्त कर लेते हैं उन्हें "पापा वीरप्पन सामाजिक सम्मान" की उपाधि दी जावेगी। आप पाठक से अनुरोध है इस उपाधि की भरपूर प्रचार करें, ताकि इस सम्मान/उपाधि के पात्र लोगों को बराबर सम्मान मिल सके।
आइए भ्रूणहत्या और बालिका वध को रोकने में अपना योगदान दें। बालक और बालिकाओं (महिला/पुरुष) के लिए तैयार दोहरे नियमों को एक समान बनाए, भेद मिटाएं।
आलेख
(HP Joshi)
Atal Nagar, Raipur, Chhattisgarh