मनुष्य के लिए मानवता सर्वश्रेष्ठ है, इससे महान कोई धर्म नही - HP Joshi
मनुष्य को व्यक्तिगत हित त्यागकर समाज और धर्म के लिए आगे आना चाहिए, जब राष्ट्र की बात हो तो समाज और धर्म को किनारे कर देनी चाहिए क्योंकि राष्ट्र इन सबसे सर्वोपरि है।
कुछ कुंठित विचारधारा के लोग जन्मभूमि का मतलब 5किलोमीटर के दायरा को मान लेते हैं परंतु ऐसा कदापि नहीं है। वरन जन्मभूमि का मतलब पूरे धरती से है इसीलिए हम मनुष्य के लिए मानवता को सर्वोच्च धर्म के रूप में जानते हैं।
जो मनुष्य मानवता के अनुरूप आचरण करता हो, उन्हें किसी जाति, समाज, गाँव, कस्बा, जिला, राज्य, धर्म अथवा देश के आधार पर नही जानना चाहिए। बल्कि ऐसे महामानव को उनके आचरण और कर्म के आधार पर जानने की जरूरत है।
हमारे पूर्वज कह चुके हैं "मानवता से बड़ी धर्म नही हो सकती।" फिर क्यों हम छोटे मोटे छुटभैय्या धार्मिक नेताओं के पाखण्ड में पड़कर मानवता के विपरीत, मानवता को ही खंडित करने का प्रयास करते हैं? क्यों हम स्वयम को सैकड़ों धर्मों में बांटकर अकेले होने के कगार में आ बैठे हैं?
गुरु घासीदास बाबा ने कहा है "मनखे मनखे एक समान" फिर क्यों हम मनुष्य को हजारों, लाखों जाति और क्षेत्र में बांट रहे हैं। "मनखे मनखे एक समान" कोई सिद्धांत मात्र नही वरन मानव धर्म की मूल व्याख्या है। धर्म की व्याख्या के लिए आप अरबों वाक्य की तानाबाना बना लें मगर सब इस 11 शब्द के वाक्य के भीतर ही आएगी इसलिए पूरे विश्व मे मौजूद लाखों धार्मिक पुस्तकों को त्यागकर केवल "मनखे मनखे एक समान" को अपने जीवन में आत्मार्पित कर लें और "सत्य ही मानव का आभूषण है।" इसे जानकर आप सत्य को अपने व्यवहार में शामिल कर लें तो फिर आपको किसी भी प्रकार के धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने की जरूरत ही नही पड़ेगी।
HP Joshi
New Delhi
Date 07-02-2019