अब मिलेगी सूदखोर साहूकारों की प्रताड़ना से निजात, आईजी ने जारी किया फरमान
ऋण की वसूली के लिए कर्जदार के विरूद्ध हिंसा का प्रयोग, बार-बार ऋण वसूली के लिए पीछा करने वाले एवं बार-बार घर जाकर तगादा करने वाले साहूकारों की खैर नही - आईजी जीपी सिंह
ऋण की वसूली के लिए कर्जदार के विरूद्ध हिंसा का प्रयोग, बार-बार ऋण वसूली के लिए पीछा करना एवं बार-बार घर जाकर तगादा करना छत्तीसगढ़ ऋणियों का संरक्षण अधिनियम 1937 की धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन है।
अवैध वसूली करने वाले साहूकारों पर लगेगी लगाम, आईजी दुर्ग ने जारी किया फरमान
प्रायः यह देखने में आया है कि शासकीय/अर्द्धशासकीय कर्मचारियों एवं गांव के मजदूर किसान जो अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की पूर्ति के लिए गांव में साहूकारों से कर्ज लेते है। रेल्वे क्षेत्र के कर्मचारियों को ऋण देकर ब्याज का धंधा करने वाले साहूकार जिनके पास कोई साहूकारी लायसेंस नहीं रहता है, ऋण देकर कर्मचारियों के बैंक की पास बुक, एटीएम कार्ड आदि लेकर रख लेते है, कई प्रकरणों में यह भी देखा गया है कि साहूकार संबंधितों से कोरे चेक पर तथा स्टाम्प पर भी हस्ताक्षर करवा लेते हैं जिसका बाद में दुरूपयोग भी करते हैं। जिस दिनांक को वेतन का आहरण किया जाता है उस दिनांक को साहूकार कर्मचारियों का वेतन स्वयं एटीएम के माध्यम से आहरण कर लेते है और ऋण लेने वाले को अपने परिवार के पालन पोषण करने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गांव में ऐेसे साहूकार जमीन को अपने कब्जे में ले लेते है और बेच कर मूलधन से दुगुना ब्याज कमाते है तथा गरीब मजदूर किसान प्रताड़ित होते हैं।
यह भी देखने में आता है कि जिस दिनांक को कर्मचारियेां का वेतन आहरण किया जाता है उस दिनांक को कर्मचारियों को धमका-चमका कर कर्ज की वसूली करते है तथा इनकी ब्याज दर इतनी अधिक रहती है कि मूलधन से ज्यादा राशि ब्याज बतौर वसूल कर लेते है, उसके बावजूद मूलधन शेष रहता है, जिससे कई घर बर्बाद हो गए तथा ऐसे साहूकारों का खौफ रहता है।
ऐसी प्राप्त तमाम शिकायतें, जिसमें ऐसे प्रताड़ित लोग जिन्हें डरा धमका कर, बार-बार उनके घर पर कर्जा वसूली हेतु तगादा किया जाता है तथा उनके स्वामित्व वाले मकान, दुकान तथा वाहनों पर कब्जा कर लिया जाता है जो पूर्णतः अवैधानिक है, ऐसे साहूकार जो ऋण वसूली करते है।
ऐसे साहूकारों के विरुद्ध यथोचित वैधानिक कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।
आईजी श्री जीपी सिंह ने बताया कि ऐसे साहूकारो/ सूदखोरों के विरूद्ध जो ऊँची ब्याज दर पर कर्ज देकर ऋण वसूली करते है उनके विरूद्ध छत्तीसगढ़ ऋणियों का संरक्षण अधिनियम 1937 जिसे आम बोलचाल की भाषा में कर्जा एक्ट कहा जाता है। उसकी धारा 3 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि ऋण की वसूली के लिए कर्जा प्राप्त करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध हिंसा का प्रयोग, बार-बार ऋण वसूली के लिए उसका पीछा करना, उसके घर जाकर तगादा करना तथा उसके स्वामित्व की सम्पति से वंचित करना इत्यादि से साहूकार द्वारा ऐसे ऋण को अपने व्यवहार से बाधित नहीं किया जा सकता है जिससे वह अपने आप को अपमानित महसूस करें।
साहूकारों का यह कृत्य उक्त अधिनियम की धारा4 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसके तहत जुर्माना व कारावास का प्रावधान है। साथ ही इस धारा के साथ-साथ भादवि की अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
श्री जीपी सिंह ने अपील किया है कि ऐसे उत्पीड़ित व्यक्ति निकटतम थाना में लिखित रिपोर्ट करें, ताकि अवैध रूप से वसूली करने वाले व डराने धमकाने वाले साहूकारों के विरूद्ध यथोचित वैधानिक कार्यवाही की जा सके।
Very nice thanks a lote sir ji
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