अतिसार या डायरिया, कारण, लक्षण एवं परहेज (प्राथमिक उपचार)
अतिसार या डायरिया (अग्रेज़ी:Diarrhea) में या तो बार-बार मल त्याग करना पड़ता है या मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं। तीव्र दशाओं में उदर के समस्त निचले भाग में पीड़ा तथा बेचैनी प्रतीत होती है अथवा मलत्याग के कुछ समय पूर्व मालूम होती है। धीमे अतिसार के बहुत समय तक बने रहने से, या उग्र दशा में थोड़े ही समय में, रोगी का शरीर कृश हो जाता है और जल ह्रास (डिहाइड्रेशन) की भयंकर दशा उत्पन्न हो सकती है। खनिज लवणों के तीव्र ह्रास से रक्तपूरिता तथा मूर्छा (कॉमा) उत्पन्न होकर मृत्यु तक हो सकती है |
डायरिया के लक्षण : अतिसार के लक्षणों के रूप में दस्त आने के पहले हलका, मीठा पेट दर्द होना, कभी थोड़ा गाढ़ा तो कभी पानी के समान की तरह तेजी के साथ मल निकलना, शारीरिक दुर्बलता, पेट दबाने पर पीड़ा होना, जीभ सूखना इसके अलावा हाथ-पैर ठंडे पड़ना, शरीर में बेचैनी, थकान आदि लक्षण देखने की मिलते हैं।
डायरिया के कारण :
- मौसम बदलने, ज्यादा खाना, दूषित फल और पानी का सेवन, अति शीतल जल, बर्फ अधिक खाना |
- फ़ूड पॉइजनिंग से भी दस्त लग जाते है |
- सर्दियों और बारिश के मौसम में वायरल इंफेक्शन से सबसे ज्यादा डायरिया होता है।
- भोजन के पाचन के पहले ही दुबारा भोजन करना, पेट में कृमि होना, भय, शोक, दुःख, मानसिक तनाव , कम नींद लेने से भी अतिसार आदि होते हैं।
- पेट में बैक्टेरिया के संक्रमण |
- खाने पीने की चीजो में मिलावट से खास तौर पर दूध,पनीर ,बासी मीट खाने से से भी डायरिया हो जाता है |
परहेज एवं प्राथमिक उपचार :
- जीवन रक्षक घोल यानी ओ.आर.एस. घोल या एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी और चुटकी भर नमक मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद एक-एक कप पिएं।
- भोजन के रूप में दही-चावल या खिचड़ी खाएं।
- चावल का धोवन (चावल उबलने के बाद बचा हुआ गाढ़ा सूप), मूंग या मसूर की दाल का सूप, साबूदाना की खीर, छाछ या दही इच्छानुसार सेवन करें।
- दोपहर के भोजन में लौकी का रायता या दही की लस्सी लें।
आभार : hi.wikipedia.org