"जीवन बचाओ मुहिम"

हत्यारा और मांसाहार नहीं बल्कि जीवों की रक्षा करने वाला बनो।


शनिवार, जुलाई 28, 2018

परछाइहा - एक सोच, पुरखौति मुक्तांगन की तर्ज पर

परछाइहा - एक सोच, पुरखौति मुक्तांगन की तर्ज पर


भारतीय प्राच्य ग्रंथों में स्पष्ट रूप से मानव के विकास, सुख और शांति की संतुष्टि व ज्ञान के लिए पर्यटन को अति आवश्यक माना गया है। भारतीय ऋषि मुनियों ने पर्यटन को सबसे अत्यधिक महत्व दिया है। उनका मानना था कि ‘‘बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा।’’ पाश्चात्य विद्वान् संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘‘बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है।’ इसी सोंच पर आधारित छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नया रायपुर में पुरखौति मुक्तांगन की नींव रखी गई है। पुरखौति मुक्तांगन में छत्तीसगढ़ राज्य के प्राचीन, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की सुन्दरता और विविधता का संक्षिप्त दर्शन प्राप्त होता है। राज्य सरकार के इस सराहनीय प्रयास से प्रेरित पुरखौति मुक्तांगन की तर्ज पर परछाइहा (भारत छांया/दर्शन) की नींव रखने की स्वतंत्र सोच जन्म लेती है।
परछाइहा (भारत छांया/दर्शन) के माध्यम से समूचे राष्ट्र के प्राचीन धरोहर, प्रमुख धार्मिक स्थलों, दार्शनिक स्थलों, पर्यटकों को एक ही स्थान में उपलब्ध कराने का प्रयास हो, इसके अलावा देश के बाहर के भी कतिपय धार्मिक स्थलों जैसे कम्बोडिया के शिव मंदिर, मक्का-मदिना के मस्जिद को शामिल किया जा सकता है। जिससे छत्तीसगढ़ का गरीब से गरीब जनता भी सम्पूर्ण भारत भ्रमण का सुखद अनुभव कर सके। इससे न केवल राज्य के लोगों की समय व धन की बचत होगी वरन् राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि भी होगी। यदि ऐसे परिकल्पना पर आधारित किसी नये पर्यटन स्थल की नींव रखी जाती है तो संभव है ऐसा स्थल "परछाइहा" (भारत छांया/दर्शन) अंतर्राष्ट्रीय ख्याति को प्राप्त करेगा और देश विदेश के लोग भारत दर्शन के लिए यहां एक बार अवश्य आना चाहेंगे।


HP Joshi
Naya Raipur, Chhattisgarh

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण एवं भाग्यशाली फ़ॉलोअर की फोटो


Recent Information and Article

Satnam Dharm (सतनाम धर्म)

Durgmaya Educational Foundation


Must read this information and article in Last 30 Day's

पुलिस एवं सशस्त्र बल की पाठशाला

World Electro Homeopathy Farmacy


WWW.THEBHARAT.CO.IN

Important Notice :

यह वेबसाइट /ब्लॉग भारतीय संविधान की अनुच्छेद १९ (१) क - अभिव्यक्ति की आजादी के तहत सोशल मीडिया के रूप में तैयार की गयी है।
यह वेबसाईड एक ब्लाॅग है, इसे समाचार आधारित वेबपोर्टल न समझें।
इस ब्लाॅग में कोई भी लेखक/कवि/व्यक्ति अपनी मौलिक रचना और किताब निःशुल्क प्रकाशित करवा सकता है। इस ब्लाॅग के माध्यम से हम शैक्षणिक, समाजिक और धार्मिक जागरूकता लाने तथा वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए प्रयासरत् हैं। लेखनीय और संपादकीय त्रूटियों के लिए मै क्षमाप्रार्थी हूं। - श्रीमती विधि हुलेश्वर जोशी

Blog Archive

मार्च २०१७ से अब तक की सर्वाधिक वायरल सूचनाएँ और आलेख