सारे ब्रम्हाण्ड में माता के अलावा कोई ईश्वर नही - परमपूज्यनीय मालिक जोशी
बात उन दिनों की है जब मै कक्षा 8वीं में अध्ययनरत् था, उन दिनों मेरे दादा जी की गौटियानी ही नही बल्कि उसके बाद घोर गरीबी भी समाप्त चूकी थी। हमारा परिवार वनोपज, गाय/भैंस पालन और डेयरी उत्पादन के लाभ से सुखमय स्थिति में आ चूका था। इसी सुखयम अहसास को अधिक गौरवान्वित करने उद्देश्य से मेरे पिता श्री शैल जोशी नें सन् १९९९ में दादाश्री (परमपूज्यनीय मालिक जोशी) को चारधाम यात्रा कराने के लिए अपनी इच्छा जाहिर किया था, तब दादाजी ने यह कहकर मना कर दिया कि ‘‘मेरे लिए कली (मेरी पत्नी) समस्त धामों से श्रेष्ठ व दर्शनीय है।’’
उनका मानना था कि ‘‘सारे ब्रम्हाण्ड में माता के अलावा कोई ईश्वर नही है। भौतिक रूप से स्वर्ग की कल्पना मुर्खता है सुखमय परिवार को ही स्वर्ग की संज्ञा दी गई है।’’
संस्मरण - हुलेश्वर जोशी
दिनांक 27/07/2018
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