कुपोषण की पहचान तथा कुपोषण से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वस्थ और कुपोषण मुक्त भारत के निर्माण हेतु 08 मार्च 2018 को राष्ट्रव्यापी पोषण अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आमलोगों को जागरूक बनाने के उद्देश्य से कुपोषण की पहचान, कुपोषण के प्रकार, उसके कारण तथा कुपोषण से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी किया गया। बच्चों में कुपोषण का अर्थ है कि उचित पोषक तत्व न मिलने के कारण उनका जैसा विकास होना चाहिए वैसा न होना। कुपोषण एक गंभीर समस्या है और हमारे प्रयास से कुपोषण के स्तर में कमी लाई जा सकती है। कुपोषण में कमी लाने के लिए सबसे पहले हम इसके कारण को जानेंगे और उसे दूर करने के प्रयास करेंगे।
कुपोषण के प्रकार
कुपोषण मुख्यतः तीन प्रकार के होते है प्रथम उम्र के अनुसार कम वजन अंतर्गत उम्र के अनुसार सही वजन न होना कुपोषण का सबसे मुख्य मापक है, द्वितीय दुबलापन में वो बच्चे जिनका वनज उम्र की तुलना में कम होता है वे दुबलापन से ग्रसित होते हैं एवं तृतीय बौनापन में वो बच्चे जिनकी ऊंचाई उम्र की तुलना में कम होती है वे बौनापन से ग्रसित होते हैं।
कुपोषण के क्या-क्या कारण हो सकते हैं
कुपोषण केवल पर्याप्त भोजन न मिलना ही कुपोषण का मुख्य कारण नहीं होता अपितु इनके अन्य बहुत से कारण हो सकते हैं, जैसे अपर्याप्त भोजन उम्र के अनुसार आवश्यक मात्रा में भोजन नहीं मिलना कुपोषण का एक मुख्य कारण होता है। भोजन में पोषक तत्वों का अभाव जो भोजन उपलब्ध है उसमें यदि सभी पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं मिलते हैं तो भी यह कुपोषण का एक कारण होता है। अनुपयुक्त भोजन उम्र और अवस्था के अनुरूप लगातार भोजन का न मिल पाना भी कुपोषण का कारण होता है जैसे सामान्य महिला, गर्भवती महिला व बच्चों में अलग-अलग मात्रा में भोजन की जरूरत होती है, यह जरूरत पूरी न हो पाना भी कुपोषण का एक मुख्य कारण है। आर्थि एवं सामाजिक कारण कई बार पैसों की कमी के कारण केवल पेट भरने के लिए भोजन किया जाता है और पौष्टिक तत्वों का ध्यान नहीं रखा जाता है, यह भी कुपोषण का कारण होता है। इसके अतिरिक्त समाज में फैली बहुत सारी गलत धारणाओं के कारण बहुत सारे भोज्य पदार्थ नहीं खाये जाते जो पौष्टिकता से भरपूर होते हैं, जो कि कुपोषण का एक कारण है। जागरूकता की कमी कई बार बहुत से पौष्टिक भोज्य पदार्थ हमारे घर या आसपास उपलब्ध होने पर भी जागरूकता के अभाव के कारण हम नहीं खाते हैं, जो कि कुपोषण का एक कारण है। अस्वच्छ वातावरण हमारे आसपास के वातावरण में सफाई का अभाव होने के कारण बहुत सी बीमारियां होने लगती है यह भी कुपोषण का कारण है। नींद की कमी सामान्य रूप से कम से कम 08 घण्टे की नींद लेनी चाहिए यदि किसी कारण से नींद पुरी नहीं हो पाती तो यह भी कुपोषण का कारण है। संक्रामक बीमारियों के कारण बहुत से फैलने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, पीलिया, उल्टी व दस्त के कारण भी कुपोषण होता है। समय से पूर्व जन्म होने के कारण यदि बच्चे का जन्म समय के पहले अर्थात् 09 माह के पूर्व हुआ है तो वह भी कुपोषण का शिकार हो सकता है। पोषक तत्वों की सही जानकारी नहीं होने के कारण भोजन में पौष्टिक तत्वों की उपलब्धता का सही ज्ञान नहीं होना भी कुपोषण का कारण होता है। लड़का लड़की के बीच भेदभाव होने के कारण कई परिवारों में लड़का एवं लड़की के मध्य भेदभाव करते हुए लड़के को पहले व सही भोजन खिलाया जाता है व लड़की के भोजन का ध्यान नहीं रखा जाता है यह भी कुपोषण का कारण है। स्तनपान का अभाव होने के कारण जन्म के तुरंत बाद शीघ्र स्तनपान नहीं कराना व लगातार समय-समय पर बच्चे को स्तनपान नहीं कराने के कारण भी बच्चा कमजोर या बीमार हो जाता है व कुपोषण का शिकार हो जाता है।
कुपोषण दूर करने हेतु अपनाये जाने वाले मुख्य उपाय
प्रदेश सरकार ने कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं, परंतु हम सभी नागरिक का भी कर्तव्य है कि कुपोषण दूर करने के लिए पूरा प्रयास करें। कुपोषण दूर करने के लिए हमें विभिन्न उपाय अपनाने होंगे जैसे कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का पहला पीला दूध पीलाकर बहुत से बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसी तरह 06 माह तक के बच्चे को लगातार स्तनपान कराना चाहिए। इन बच्चों को स्तनपान के अलावा कोई दूसरी चीज पिलाना या चटाना नहीं चाहिए। उम्र के अनुसार सही मात्रा में भोजन खिलाना चाहिए। 06 माह पूरे किये हुए बच्चे को लगातार स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार जरूर खिलाना चाहिए। आंगनबाड़ी केन्द्र से मिले हु रेडी टू ईंट भी बच्चों को अवश्य खिलाना चाहिए। बहुत से भोज्य पदार्थ जो महंगे नहीं होते परंतु पौष्टिक होते हैं उन्हें जरूर खाना चाहिए जैसे सभी पत्तेदार सब्जी, मौसमी फल, सोयाबीन के उत्पाद एवे दूध व दूध से बनी हुई चीजें जरूर खाना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार थोड़ा-थोड़ा लेकिन दिन में कई बार भोजन अवश्य कराना चाहिए। समय-समय पर आवश्यक टीकारण जरूर कराना चाहिए। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं के भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्भवती व धात्री महिलाओं को सामान्य से अधिक मात्रा में भोजन की आवश्यकता होती है सही भोजन खिलाकर भी कुपोषण से बचा जा सकता है। भोजन के बारे में व्याप्त गलत धारणाओं को दूर करके पौष्टिक भोजन कराना चाहिए जैसे गलत धारण है कि टमाटर या अन्य खट्टे भोज्य पदार्थ का सेवन नुकसानदायक होता है ऐसा भोजन विटामिन-सी से भूरपूर होता है, अतः इनका सेवन जरूर करना चाहिए। अपने आसपास व घर के भीतर सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए रूके हुए पानी के निकास की व्यवस्था करनी चाहिए इस प्रकार स्वच्छता का ध्यान रखकर बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है। परिवार में जन्में लड़का एवं लड़की में भेदभाव न करते हुए दोनों के भोजन का समान रूप से ध्यान रखना चाहिए, इसी प्रकार किशोरी बालिकाओं के भोजन का भी विशेष ध्यान देना चाहिए। आज हम सभी संकल्प लेते हैं कि कुपो