एक पुरानी सी धूल खाई सी कहानी है जिसमें एक दंपत्ति ने एक नेवला पाल रखी थी कुछ समय के अंतराल में उनको एक सुन्दर सा बालक हुआ। लम्बे समय से नेवला के साथ रहने के कारण दंपत्ति को उसमे विश्वाश हो गया था सो उसके संरक्षण में बालक को छोड़कर वे अपने कार्य में चले जाते थे।
एकदिन हुआ यूँ कि दंपत्ति खेत से काम करके लौटी तो देखा कि नेवला के मुख व शरीर के अधिकांश भाग में खून लगा हुआ था यानि वह खून से लथपथ था वह आँगन में उस नव दंपत्ति का प्रतीक्षा कर रहा था। दंपत्ति देखते ही यह निर्धारित कर लिया कि नेवला ने उनके बालक का वध कर खा लिया है। छण भर भी विलम्ब किये बिना दंपत्ति ने फावड़े और कुदाल से प्रहार कर उस नेवले का हत्या कर दिया।
नेवला का हत्या कर लेने के बाद वे रोते बिलखते हुए घर के भीतर प्रवेश किये तो पता चला कि नीचे एक सर्प कई टुकड़ों में कटा मरा हुआ मिला। दंपत्ति में थोड़ी आस जगी हे ईश्वर मेरा बालक जीवित हो। देखा सच में बालक जीवित मिला।
बिना पुष्टि के मात्र शंका के आधार पर किये गए हत्या से आपको क्या शिक्षा मिलती है जरूर बताएं।
writer by : Shri HP Joshi