श्रेष्ठ संस्कारों की सृजन करें
हे माताओं, मै आपसे निवेदन करती हुं कि आओ हम सब मिलकर श्रेष्ठ संस्कारों की सृजन करें ताकि हमारी आनें वाली पीढ़ी श्रेष्ठ संस्कारों से सुसज्जित होकर हमारे कुल के नाम को गौरब प्रदान करनें के योग्य हो सके, विष्व में हमें सर्वोच्च स्थान प्राप्त हो। यदि आपके पुर्वज श्रेष्ठ रहे, सर्वोच्च स्थान के योग्य रहे, तब आप अवष्य ही उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान को उनके आदेष को अपनें आनें वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित पहुॅचाओ, उन्हें श्रेष्ठ संस्कारों से संस्कारित करो और अपनें कुल के परम्परा को आगे बढ़ाते हुए ऊॅचे स्थान को प्राप्त करो। मुझे पुर्वजों से सर्वोच्च स्तर का ज्ञान प्राप्त हुआ है क्योकि मेरे पुर्वज पुज्यनीय रहे हैं मेरी आकांक्षा है कि मैं भी अपनें पुर्वजों की भांति स्थान को प्राप्त होऊॅ इसलिए मैें आप सबसे निवेदन करती हुॅ कि आप भी पुज्यनींय हों जो कि हमारे भारत के सम्मान में गुणक का कार्य करे, और सारा विष्व हमारे सम्मान में अपना षिष झुकाना अपना भाग्य समझे। मानव के रूप में हमारा जीवन तभी सफल होगा जब हम इस हेतू आवष्यक कार्य करेंगे जबकि उन कार्यों में ज्ञान का सृजन करना श्रेष्ठ है। भारत को मानव के उत्पत्तिकाल से ही विष्व के गुरू के रूप में जाना जाता रहा है और इसका एक ही कारण रहा वह है भारतीयों के द्वारा ज्ञान का प्रसार करना, षिक्षा देना और विष्व को सीखनें का अवसर देना, इसलिए हे भारतीय आत्मा उठो, सोये मत रहो अपनें सम्मान और स्थान को बनाये रखो।
माता श्यामा देवी