सतनाम धरम के मनईया महतारी अउ बहिनी बर पाती
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सतनाम धरम के अनुयायी होए खातिर आपन के करतबिय होतहे कि आप सतनामी समाज ल एक जिम्मेदार अउ सच्चा मनखे/अंश परदान करव l आपके आशिष ले जनम लेवईया अंश ह केवल अउ केवल आपके ही इक्च्छानुसार करतबिय करही, आपके पुन्यपरताप के अनुसार ही आपके अंश के भविशय ह निरधारित होही l एकरे सेती ले मय ह बार-बार आपन के बिनती करत हंव कि आप सतनाम धरम के हित ल धियान धरके ही अपन अंश के निरमान करव l
एक इसतिरी के जीवन कब सुफल होथे :- इसतिरी जनम के सुफलता के समबंध म माता श्यामा देवी अउ सतनाम धरम के संतसमाज ले जेन गियान मिले हवय ओकर अनुसार मय ह आपन ले इसतिरी जनम के सुफलता के बिषय म जानकारी दिये के परयास करत हंव :: एक इसतिरी के जीनगी तबे सुफल होथे जब वो अपन अंश के रूप म बेटी नईते बेटा ल जनम देथे, अंश के निरमान बिना एक इसतिरी के जीनगी बियरथ खईता हो जाथे l जब माता के रूप म कुमाता नई बनय अउ कुपुतर नईते कुपुतरी बने ले अपन अंश ल बचा लेथे, मतलब ओकर अंश ह धरम के रस्दा म चलथे, तबे एक इसतिरी के जीनगी ह सुफल होथे l
परतेय महतारीन ले मोर बिनती हवय कि ओ अपन अंश ल सही रस्दा देखावय अउ धरम के मारग म चलावय l जेन महतारी के अंश ह सत के मारग ल अपन धरम जान लेथे अउ ओकरेच अनुरूप करम करथे, अइसन बेटा/बेटी के महतारी बर अमरलोक म एक उत्तम पद निरधारित हो जोथे l
नारी बर नवा रसदा :- संत समाज म प्रचलित प्रथा के अनुसार नारी जीवन के मरम ल बताये के सुअवसर ह मोर बर बड भागिय के बिसे आए, नारी जीनगी म करना चाही अउ का नई करना चाहि ए बिसे ह महतपुरन आए जेला मय निचे लिखत हंव –
1. परतेक नारी देवी के स्वरूप आए, नारी के सनमान देवी जस करे जाए चाहि नारी ह महतारी, बहिनी, बेटी, बहु या परइसतिही के रूप म होय l
2. नारी जीवन म उत्तम इसथान पति के होथे, ओकर बाद सास-ससुर : माता-पिता : धर्मगुरू /आदि पुरूष : अंश : देवर-ननद : कुल के समस्त सदस्य : समाज : सतनाम धर्म के समस्त अनुयायी और भवसागर के जम्मो जीवन धारी परानी l जबकि विवाहपूर्व माता-पिता के इसथान उत्तम होथे l
3. परतेक नारी ल शाकाहारी होना चाही अउ सतनाम धरम के बारे म समपुरन गियान होना चाही, जेकर ले सुवयम अउ अपन अंश ल धरम के पुरन गियान दे सकय l
4. परतेक इसतिरी ल (विधवा माता/बहन ल छोडके) सदैव सिंगार करना चाही अउ पति के प्रति निसठा रखना चाही l
5. परतेक नारी ल सदा ही धरम रक्षा अनुरूप अंश को जनम देना चाही अउ अपन अंश ल धरमवान बनाये के नियति करना चाही l
6. पति अउ सास-ससुर के सेवा सदा ही करना चाही l
7. सतनाम धरम अउ परमपुज्यनीय गुरूघासीदास के बताये रसदा म चलत अपन जीनगी के जम्मो करम ल करना चाही l
महतारी अउ बहिनी मन बर लिखे पतिया के पठन-पाठन करे ले महतारीन अउ बहिनी के जीनगी अमर हो जाही l
लेख : हुलेश्वर जोशी सतनामी